Book of Common Prayer
आसिया प्रदेश में प्रवेश
6 वे फ़्रिजिया तथा गलातिया क्षेत्रों में से होते हुए आगे बढ़ गए. पवित्रात्मा की आज्ञा थी कि वे आसिया क्षेत्र में परमेश्वर के वचन का प्रचार न करें 7 किन्तु मूसिया नगर पहुँचने पर उन्होंने बिथुनिया नगर जाने का विचार किया किन्तु मसीह येशु के आत्मा ने उन्हें इसकी आज्ञा नहीं दी. 8 इसलिए मूसिया नगर से निकल कर वे त्रोऑस नगर पहुँचे. 9 रात में पौलॉस ने एक दर्शन देखा: एक मकेदोनियावासी उनसे दुःखी शब्द में विनती कर रहा था, “मकेदोनिया क्षेत्र में आकर हमारी सहायता कीजिए!” 10 पौलॉस द्वारा इस दर्शन देखते ही हमने तुरन्त यह जानकर कि परमेश्वर का बुलावा है मकेदोनिया क्षेत्र जाने की योजना बनाई कि हम उनके बीच ईश्वरीय सुसमाचार का प्रचार करें.
फ़िलिप्पॉय नगर में पौलॉस
11 त्रोऑस नगर से हम सीधे जलमार्ग द्वारा सामोथ्रेसिया नगर पहुँचे और दूसरे दिन नियापोलिस नगर 12 और वहाँ से फ़िलिप्पॉय नगर, जो मकेदोनिया प्रदेश का एक प्रधान नगर तथा रोमी बस्ती है. हम यहाँ कुछ दिन ठहर गए.
13 शब्बाथ पर हम नगर द्वार से निकल कर प्रार्थना के लिए निर्धारित स्थान की खोज में नदी-तट पर चले गए. हम वहाँ इकट्ठी हुई स्त्रियों से वार्तालाप करते हुए बैठ गए. 14 वहाँ थुआतेइरा नगर निवासी लुदिया नामक एक स्त्री थी, जो परमेश्वर की आराधक थी. वह बैंगनी रंग के वस्त्रों की व्यापारी थी. उसने हमारा वार्तालाप सुना और प्रभु ने पौलॉस द्वारा दी जा रही शिक्षा के प्रति उसका हृदय खोल दिया. 15 जब उसने और उसके रिश्तेदारों ने बपतिस्मा ले लिया तब उसने हमको अपने यहाँ आमन्त्रित करते हुए कहा, “यदि आप यह मानते हैं कि मैं प्रभु के प्रति विश्वासयोग्य हूँ, तो आ कर मेरे घर में रहिए.” उसने हमें विनती स्वीकार करने पर विवश कर दिया.
बहत्तर प्रचारकों का भेजा जाना
10 इसके बाद प्रभु ने अन्य बहत्तर व्यक्तियों को चुन कर उन्हें दो-दो कर के उन नगरों और स्थानों पर अपने आगे भेज दिया, जहाँ वह स्वयं जाने पर थे. 2 मसीह येशु ने उनसे कहा, “फसल तो काफी है किन्तु मज़दूर कम. इसलिए फसल के स्वामी से खेत में मज़दूर भेजने की विनती करो. 3 जाओ! मैं तुम्हें भेज रहा हूँ. तुम भेड़ियों के मध्य मेमनों के समान हो. 4 अपने साथ न तो धन, न झोला और न ही जूतियाँ ले जाना. मार्ग में किसी का कुशल मंगल पूछने में भी समय खर्च न करना.
5 “जिस किसी घर में प्रवेश करो, तुम्हारे सबसे पहिले शब्द हों, ‘इस घर में शान्ति बनी रहे.’ 6 यदि परिवार-प्रधान शान्तिप्रिय व्यक्ति है, तुम्हारी शान्ति उस पर बनी रहेगी. यदि वह ऐसा नहीं है तो तुम्हारी शान्ति तुम्हारे ही पास लौट आएगी. 7 उसी घर के मेहमान बने रहना. भोजन और पीने के लिए जो कुछ तुम्हें परोसा जाए, उसे स्वीकार करना क्योंकि सेवक अपने वेतन का अधिकारी है. एक घर से निकल कर दूसरे घर में मेहमान न बनना.
8 “जब तुम किसी नगर में प्रवेश करो और वहाँ लोग तुम्हें सहर्ष स्वीकार करें, तो जो कुछ तुम्हें परोसा जाए, उसे खाओ. 9 वहाँ जो बीमार हैं, उन्हें चँगा करना और उन्हें सूचित करना, ‘परमेश्वर का राज्य तुम्हारे निकट आ गया है.’ 10 किन्तु यदि तुम किसी नगर में प्रवेश करो और वहाँ नगरवासियों द्वारा स्वीकार न किए जाओ तो उस नगर की गलियों में जा कर यह घोषणा करो, 11 ‘तुम्हारे नगर की धूल तक, जो हमारे पाँवों में लगी है, उसे हम तुम्हारे सामने झाड़े दे रहे हैं; परन्तु यह जान लो कि परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है.’ 12 सच मानो, न्याय के दिन पर सोदोम नगर के लिए तय किया गया दण्ड उस नगर के लिए तय किए दण्ड की तुलना में सहने योग्य होगा.
17 वे बहत्तर बहुत उत्साह से भरकर लौटे और कहने लगे, “प्रभु! आपके नाम में तो प्रेत भी हमारे सामने समर्पण कर देते हैं!”
18 इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं शैतान को बिजली के समान स्वर्ग से गिरते देख रहा था. 19 मैंने तुम्हें साँपों और बिच्छुओं को रौन्दने तथा शत्रु के सभी सामर्थ्य का नाश करने का अधिकार दिया है इसलिए किसी भी रीति से तुम्हारी हानि न होगी. 20 फिर भी, तुम्हारे लिए आनन्द का विषय यह न हो कि प्रेत तुम्हारी आज्ञाओं का पालन करते हैं परन्तु यह कि तुम्हारे नाम स्वर्ग में लिखे जा चुके हैं.”
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