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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 पेतरॉस 5:1-11

प्राचीन

इसलिए मैं, एक सह-प्राचीन होकर, जो मसीह येशु के दुःखों का प्रत्यक्ष गवाह तथा उस महिमा का सहभागी हूँ, जो भविष्य में प्रकट होने पर है, तुम्हारे पुरनियों से विनती कर रहा हूँ कि वे परमेश्वर की इच्छा में परमेश्वर के झुण्ड़ की देखरेख करें—दबाव में नहीं परन्तु अपनी इच्छा के अनुसार; अनुचित लाभ की दृष्टि से नहीं परन्तु शुद्ध सेवाभाव में, अपने झुण्ड़ पर प्रभुता दिखाकर नहीं परन्तु उनके लिए एक आदर्श बन कर; क्योंकि प्रधान चरवाहे के प्रकट होने पर तुम महिमा का अविनाशी मुकुट प्राप्त करोगे.

विनीत भावना

इसी प्रकार युवाओ, तुम प्राचीनों के अधीन रहो तथा तुम सभी एकदूसरे के प्रति दीनता की भावना धारण करो क्योंकि

“परमेश्वर घमण्ड़ियों का विरोध करते हैं
    परन्तु दीनों के पक्ष में रहते हैं.”

इसलिए परमेश्वर के सामर्थी हाथों के नीचे स्वयं को दीन बनाए रखो कि वह तुम्हें सही समय पर बढ़ाएं. अपनी सारी चिन्ता का बोझ परमेश्वर पर डाल दो क्योंकि वह तुम्हारा ध्यान रखते हैं.

धीरज रखो, सावधान रहो. तुम्हारा विरोधी शैतान गरजते हुए सिंह जैसे इस खोज में फिरता रहता है कि किसको फाड़ खाए. विश्वास में स्थिर रहकर उसका सामना करो क्योंकि तुम जानते हो कि इस संसार में साथी विश्वासी इसी प्रकार दुःख भोग रहे हैं.

10 जब तुम थोड़े समय के लिए दुःख भोग चुके होगे तब सारे अनुग्रह के परमेश्वर, जिन्होंने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त काल की महिमा में आमन्त्रित किया है, स्वयं तुम्हें सिद्ध, स्थिर, मजबूत तथा प्रतिष्ठित करेंगे. 11 उनका साम्राज्य सदा-सर्वदा हो, आमेन.

मत्तियाह 7:15-29

फलदायी जीवन के विषय में शिक्षा

(लूकॉ 6:43-45)

15 “झूठे भविष्यद्वक्ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के वेश में तुम्हारे बीच आ जाते हैं किन्तु वास्तव में वे भूखे भेड़िये होते हैं. 16 उनके स्वभाव से तुम उन्हें पहचान जाओगे. न तो कँटीली झाड़ियों में से अंगूर और न ही भटकटैया से अंजीर इकट्ठे किए जाते हैं. 17 वस्तुतः हर एक उत्तम पेड़ उत्तम फल ही फलता है और बुरा पेड़ बुरा फल. 18 यह सम्भव ही नहीं कि उत्तम पेड़ बुरा फल दे और बुरा पेड़ उत्तम फल. 19 जो पेड़ उत्तम फल नहीं देता, उसे काट कर आग में झोंक दिया जाता है. 20 इसलिए उनके स्वभाव से तुम उन्हें पहचान लोगे.

वास्तविक शिष्य

(लूकॉ 6:46-49)

21 “मुझे प्रभु, प्रभु सम्बोधित करता हुआ हर एक व्यक्ति स्वर्ग-राज्य में प्रवेश नहीं पाएगा परन्तु प्रवेश केवल वह पाएगा, जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पूरी करता है. 22 उस अवसर पर अनेक मुझसे प्रश्न करेंगे, ‘प्रभु, क्या हमने आपके नाम में भविष्यवाणी न की, क्या हमने आपके ही नाम में प्रेतों को न निकाला और क्या हमने आपके नाम में अनेक आश्चर्यकाम न किए?’ 23 मैं उनसे स्पष्ट कहूँगा, ‘मैं तो तुम्हें जानता भी नहीं. दुष्टो! चले जाओ मेरे सामने से!’

24 “इसलिए हर एक की तुलना, जो मेरी इन शिक्षाओं को सुन कर उनका पालन करता है, उस बुद्धिमान व्यक्ति से की जा सकती है, जिसने अपने भवन का निर्माण चट्टान पर किया. 25 आँधी उठी, वर्षा हुई, बाढ़ आई और उस भवन पर थपेड़े पड़े, फिर भी वह भवन स्थिर खड़ा रहा क्योंकि उसकी नींव चट्टान पर थी. 26 इसके विपरीत हर एक जो, मेरी इन शिक्षाओं को सुनता तो है किन्तु उनका पालन नहीं करता, वह उस निर्बुद्धि के समान होगा जिसने अपने भवन का निर्माण रेत पर किया. 27 आँधी उठी, वर्षा हुई, बाढ़ आई, उस भवन पर थपेड़े पड़े और वह धराशायी हो गया—भयावह था उसका विनाश!”

28 जब येशु ने यह शिक्षाएं दीं, भीड़ आश्चर्यचकित रह गई 29 क्योंकि येशु की शिक्षा-शैली अधिकारपूर्ण थी, न कि शास्त्रियों के समान.

Saral Hindi Bible (SHB)

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