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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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2 योहन

प्राचीन की ओर से चुनी हुई महिला और उसकी सन्तान को, जिनसे मुझे वास्तव में प्रेम है—न केवल मुझे परन्तु उन सबको भी जिन्होंने सच को जान लिया है. यह उस सच के लिए है, जिसका हमारे भीतर वास है तथा जो हमेशा-हमेशा हमारे साथ रहेगा.

परमेश्वर पिता और मसीह येशु की ओर से, जो पिता के पुत्र हैं, अनुग्रह, कृपा और शान्ति हमारे साथ सच तथा प्रेम में बनी रहेगी.

तुम्हारी सन्तान में अनेक का सच्चाई में स्वभाव देखना मेरे लिए बहुत ही खुशी का विषय है. यह ठीक वैसा ही है जैसा हमारे लिए पिता की आज्ञा है.

हे स्त्री, मेरी तुमसे विनती है: हम में आपस में प्रेम हो. यह मैं तुम्हें किसी नई आज्ञा के रूप में नहीं लिख रहा हूँ परन्तु यह वही आज्ञा है, जो हमें प्रारम्भ ही से दी गई है. प्रेम यही है कि हम उनकी आज्ञा के अनुसार स्वभाव करें. यह वही आज्ञा है, जो तुमने प्रारम्भ से सुनी है, ज़रूरी है कि तुम उसका पालन करो.

संसार में अनेक धूर्त निकल पड़े हैं, जो मसीह येशु के शरीर धारण करने को नकारते हैं. ऐसा व्यक्ति धूर्त है और मसीह विरोधी भी. अपने प्रति सावधान रहो, कहीं तुम हमारी उपलब्धियों को खो न बैठो, परन्तु तुम्हें सारे पुरस्कार प्राप्त हो. हर एक, जो भटक कर दूर निकल जाता है और मसीह की शिक्षा में स्थिर नहीं रहता, उसमें परमेश्वर नहीं; तथा जो शिक्षा में स्थिर रहता है, उसने पिता तथा पुत्र दोनों ही को प्राप्त कर लिया है. 10 यदि कोई तुम्हारे पास आकर यह शिक्षा नहीं देता, तुम न तो उसका अतिथि-सत्कार करो, न ही उसको नमस्कार करो; 11 क्योंकि जो उसको नमस्कार करता है, वह उसकी बुराई में भागीदार हो जाता है.

12 हालांकि लिखने योग्य अनेक विषय हैं किन्तु मैं स्याही व लेखन-पत्रक इस्तेमाल नहीं करना चाहता; परन्तु मेरी आशा है कि मैं तुम्हारे पास आऊँगा तथा आमने-सामने तुमसे बातचीत करूँगा कि हमारा आनन्द पूरा हो जाए.

13 तुम्हारी चुनी हुई बहन की सन्तान तुम्हें नमस्कार करती है.

लूकॉ 5:12-26

कोढ़ रोगी की शुद्धि

(मत्ति 8:1-4; मारक 1:40-45)

12 किसी नगर में एक व्यक्ति था, जिसके सारे शरीर में कोढ़ रोग फैल चुका था. मसीह येशु को देख उसने भूमि पर गिर कर उनसे विनती की, “प्रभु! यदि आप चाहें तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं.”

13 मसीह येशु ने हाथ बढ़ा कर उसका स्पर्श किया और कहा, “मैं चाहता हूँ, शुद्ध हो जाओ!” तत्काल ही उसे कोढ़ रोग से चंगाई प्राप्त हो गई.

14 मसीह येशु ने उसे आज्ञा दी, “इसके विषय में किसी से कुछ न कहना परन्तु जा कर याजक को अपने शुद्ध होने का प्रमाण दो तथा मोशेह द्वारा निर्धारित शुद्धि-बलि भेंट करो कि तुम्हारा कोढ़ से छुटकारा उनके सामने गवाही हो जाए.”

15 फिर भी मसीह येशु के विषय में समाचार और भी अधिक फैलता गया. परिणामस्वरूप लोग भारी संख्या में उनके प्रवचन सुनने और बीमारियों से चँगा होने की अभिलाषा से उनके पास आने लगे. 16 मसीह येशु प्रायः भीड़ को छोड़, गुप्त रूप से, एकान्त में जा कर प्रार्थना किया करते थे.

लकवे से पीड़ित को स्वास्थ्यदान

(मत्ति 9:2-8; मारक 2:1-12)

17 एक दिन, जब मसीह येशु शिक्षा दे रहे थे, फ़रीसी तथा व्यवस्थापक, जो गलील तथा यहूदिया प्रदेशों तथा येरूशालेम नगर से वहाँ आए थे, बैठे हुए थे. रोगियों को स्वस्थ करने का परमेश्वर-प्रदत्त सामर्थ्य मसीह येशु में सक्रिय था. 18 कुछ व्यक्ति एक लकवे के रोगी को बिछौने पर लिटा कर वहाँ लाए. ये लोग रोगी को मसीह येशु के सामने लाने का प्रयास कर रहे थे. 19 जब वे भीड़ के कारण उसे भीतर ले जाने में असफल रहे तो वे छत पर चढ़ गए और छत में से उसके बिछौने सहित रोगी को मसीह येशु के ठीक सामने उतार दिया.

20 उनका यह विश्वास देख मसीह येशु ने कहा, “वत्स! तुम्हारे पाप क्षमा किए जा चुके हैं.”

21 फ़रीसी और शास्त्री अपने मन में विचार करने लगे, “कौन है यह व्यक्ति, जो परमेश्वर-निन्दा कर रहा है? भला परमेश्वर के अतिरिक्त अन्य कौन पाप क्षमा कर सकता है?”

22 यह जानते हुए कि उनके मन में क्या विचार उठ रहे थे, मसीह येशु ने उनसे कहा, “आप अपने मन में इस प्रकार तर्क-वितर्क क्यों कर रहे हैं? 23 क्या कहना सरल होगा, ‘तुम्हारे पाप क्षमा कर दिए गए’ या ‘उठो और चलो’? 24 किन्तु इसलिए कि मैं चाहता हूँ कि आपको यह मालूम हो जाए कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है, मैं लकवे के इस रोगी से कह रहा हूँ, ‘मेरी आज्ञा है, खड़े हो जाओ, अपना बिछौना उठाओ और घर जाओ!’” 25 उसी क्षण वह रोगी उन सबके सामने उठ खड़ा हुआ, अपना बिछौना उठाया, जिस पर वह लेटा हुआ था और परमेश्वर का धन्यवाद करते हुए घर चला गया. 26 सभी हैरान रह गए. सभी परमेश्वर का धन्यवाद करने लगे. श्रद्धा से भरकर वे कह रहे थे, “हमने आज अनोखे काम होते देखे हैं.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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