Book of Common Prayer
2 मेरे बच्चों, मैं यह सब तुम्हें इसलिए लिख रहा हूँ कि तुम पाप न करो किन्तु यदि किसी से पाप हो ही जाए तो पिता के पास हमारे लिए एक सहायक है मसीह येशु, जो धर्मी हैं. 2 वही हमारे पापों के लिए प्रायश्चित-बलि हैं—मात्र हमारे ही पापों के लिए नहीं परन्तु सारे संसार के पापों के लिए.
दूसरी ज़रूरत: आदेशों का पालन
3 परमेश्वर के आदेशों का पालन करना इस बात का प्रमाण है कि हमने परमेश्वर को जान लिया है. 4 वह, जो यह कहता तो रहता है, “मैं परमेश्वर को जानता हूँ”, किन्तु उनके आदेशों और आज्ञाओं के पालन नहीं करता, झूठा है और उसमें सच है ही नहीं 5 परन्तु जो कोई उनकी आज्ञा का पालन करता है, उसमें परमेश्वर का प्रेम वास्तव में सिद्धता तक पहुँचा दिया गया है. परमेश्वर में हमारे स्थिर बने रहने का प्रमाण यह है: 6 जो कोई यह दावा करता है कि वह मसीह येशु में स्थिर है, तो वह उन्हीं के समान चाल-चलन भी करे.
7 प्रियजन, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं परन्तु वही आज्ञा लिख रहा हूँ, जो प्रारम्भ ही से थी; यह वही समाचार है, जो तुम सुन चुके हो. 8 फिर भी मैं तुम्हें एक नईं आज्ञा लिख रहा हूँ, जो मसीह में सच था तथा तुममें भी सच है. अन्धकार मिट रहा है तथा वास्तविक ज्योति चमकी है.
9 वह, जो यह दावा करता है कि वह ज्योति में है, फिर भी अपने भाई से घृणा करता है, अब तक अन्धकार में है. 10 जो साथी विश्वासी से प्रेम करता है, उसका वास ज्योति में है, तथा उसमें ऐसा कुछ भी नहीं जिससे वह ठोकर खाए. 11 परन्तु वह, जो साथी विश्वासी से घृणा करता है, अन्धकार में है, अन्धकार में ही चलता है तथा नहीं जानता कि वह किस दिशा में बढ़ रहा है क्योंकि अन्धकार ने उसे अंधा बना दिया है.
12 जब मैं उनके साथ था, मैंने उन्हें आपके उस नाम में, जो आपने मुझे दिया था, सुरक्षित रखा. मैंने उनकी रक्षा की; उनमें से किसी का नाश नहीं हुआ, सिवाय विनाश के पुत्र के; वह भी इसलिए कि पवित्रशास्त्र का वचन पूरा हो. 13 अब मैं आपके पास आ रहा हूँ. ये सब मैं संसार में रहते हुए ही कह रहा हूँ कि वे मेरे आनन्द से परिपूर्ण हो जाएँ. 14 मैंने उनको आपका वचन-सन्देश दिया है. संसार ने उनसे घृणा की है क्योंकि वे संसार के नहीं हैं, जिस प्रकार मैं भी संसार का नहीं हूँ. 15 मैं आप से यह विनती नहीं करता कि आप उन्हें संसार में से उठा लें परन्तु यह कि आप उन्हें उस दुष्ट से बचाए रखें. 16 वे संसार के नहीं हैं, जिस प्रकार मैं भी संसार का नहीं हूँ. 17 उन्हें सच्चाई में अपने लिए अलग कीजिए—आपका वचन सत्य है. 18 जैसे आपने मुझे संसार में भेजा था, मैंने भी उन्हें संसार में भेजा. 19 उनके लिए मैं स्वयं को समर्पित करता हूँ कि वे भी सच्चाई में समर्पित हो जाएँ.
New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.