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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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इब्री 5:1-10

सबसे अच्छा महायाजक

हर एक महापुरोहित मनुष्यों में से चुना जाता है और मनुष्यों के ही लिए परमेश्वर से सम्बन्धित संस्कारों के लिए चुना जाता है कि पापों के लिए भेंट तथा बलि दोनों चढ़ाया करे. उसमें अज्ञानों तथा भूले-भटकों के साथ नम्र व्यवहार करने की क्षमता होती है क्योंकि वह स्वयं भी निर्बलताओं के अधीन है. इसीलिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह पापों के लिए बलि चढ़ाया करे—लोगों के लिए तथा स्वयं अपने लिए. किसी भी व्यक्ति को यह सम्मान अपनी कोशिश से नहीं परन्तु परमेश्वर की बुलाहट द्वारा प्राप्त होती है, जैसे हारोन को.

इसी प्रकार मसीह ने भी महापुरोहित के पद पर बैठने के लिए स्वयं को ऊँचा नहीं किया परन्तु उन्होंने, जिन्होंने उनसे यह कहा:

“तुम मेरे पुत्र हो,
    आज मैं तुम्हारा पिता हुआ हूँ”;

जैसा उन्होंने दूसरी जगह भी कहा है,

तुम मेलख़ीत्सेदेक की शृंखला में
    एक अनन्त काल के याजक हो.

अपने देह में रहने के समय में उन्होंने ऊँचे शब्द में रोते हुए, आँसुओं के साथ उनके सामने प्रार्थनाएँ और विनती कीं, जो उन्हें मृत्यु से बचा सकते थे. उनकी परमेश्वर में भक्ति के कारण उनकी प्रार्थनाएँ स्वीकार की गईं. पुत्र होने पर भी उन्होंने अपने दुःख उठाने से आज्ञा मानने की शिक्षा ली. फिर सिद्ध घोषित किए जाने के बाद वह स्वयं उन सबके लिए, जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं, अनन्त काल उद्धार का कारण बन गए; 10 क्योंकि वह परमेश्वर द्वारा मेलख़ीत्सेदेक की श्रृंखला के महापुरोहित चुने गए थे.

योहन 4:1-26

शोमरोनी स्त्री और मसीह येशु

जब मसीह येशु को यह मालूम हुआ कि फ़रीसियों के मध्य उनके विषय में चर्चा हो रही है कि वह योहन से अधिक शिष्य बनाते और बपतिस्मा देते हैं; यद्यपि स्वयं मसीह येशु नहीं परन्तु उनके शिष्य बपतिस्मा देते थे, तब वह यहूदिया प्रदेश छोड़ कर पुनः गलील प्रदेश को लौटे और उन्हें शोमरोन प्रदेश में से हो कर जाना पड़ा. वह शोमरोन प्रदेश के सूख़ार नामक नगर पहुँचे. यह नगर उस भूमि के पास है, जो याक़ोब ने अपने पुत्र योसेफ़ को दी थी. याक़ोब का कुआँ भी वहीं था. यात्रा से थके मसीह येशु कुएँ के पास बैठ गए. यह लगभग छठे घण्टे का समय था.

उसी समय शोमरोनवासी एक स्त्री उस कुएँ से जल भरने आई. मसीह येशु ने उससे कहा, “मुझे पीने के लिए जल दो.” उस समय मसीह येशु के शिष्य नगर में भोजन लेने गए हुए थे.

इस पर आश्चर्य करते हुए उस शोमरोनी स्त्री ने मसीह येशु से पूछा, “आप यहूदी हो कर मुझ शोमरोनी से जल कैसे माँग रहे हैं!”—यहूदी शोमरोनवासियों से किसी प्रकार का संबंध नहीं रखते थे.

10 मसीह येशु ने उत्तर दिया, “यदि तुम परमेश्वर के वरदान को जानतीं और यह पहचानतीं कि वह कौन है, जो तुमसे कह रहा है, ‘मुझे पीने के लिए जल दो’, तो तुम उससे मांगतीं और वह तुम्हें जीवन का जल देता.”

11 स्त्री ने कहा, “किन्तु श्रीमन, आपके पास तो जल निकालने के लिए कुछ भी नहीं है और कुआँ बहुत गहरा है; जीवन का जल आपके पास कहाँ से आया! 12 आप हमारे कुलपिता याक़ोब से बढ़कर तो हैं नहीं, जिन्होंने हमें यह कुआँ दिया, जिसमें से स्वयं उन्होंने, उनकी सन्तान ने और उनके पशुओं ने भी पिया.” 13 मसीह येशु ने कहा, “कुएँ का जल पी कर हर एक व्यक्ति फिर प्यासा होगा किन्तु जो व्यक्ति मेरा दिया हुआ जल पिएगा वह आजीवन किसी भी प्रकार से प्यासा न होगा. 14 और वह जल जो मैं उसे दूँगा, उसमें से अनन्त काल के जीवन का सोता बन कर फूट निकलेगा.”

15 यह सुनकर स्त्री ने उनसे कहा, “श्रीमन, आप मुझे भी वह जल दीजिए कि मुझे न प्यास लगे और न ही मुझे यहाँ तक जल भरने आते रहना पड़े.”

16 मसीह येशु ने उससे कहा, “जाओ, अपने पति को यहाँ ले कर आओ.”

17 स्त्री ने उत्तर दिया, “मेरे पति नहीं है.” मसीह येशु ने उससे कहा, “तुमने सच कहा कि तुम्हारा पति नहीं है. 18 सच यह है कि पाँच पति पहले ही तुम्हारे साथ रह चुके हैं और अब भी जो तुम्हारे साथ रह रहा है, तुम्हारा पति नहीं है.”

19 यह सुन स्त्री ने उनसे कहा, “श्रीमन, ऐसा लगता है कि आप भविष्यद्वक्ता हैं. 20 हमारे पूर्वज इस पर्वत पर आराधना करते थे किन्तु आप यहूदी लोग कहते हैं कि येरूशालेम ही वह स्थान है, जहाँ आराधना करना सही है.”

21 मसीह येशु ने उससे कहा, “मेरा विश्वास करो कि वह समय आ रहा है जब तुम न तो इस पर्वत पर पिता की आराधना करोगे और न येरूशालेम में. 22 तुम लोग तो उसकी आराधना करते हो जिसे तुम जानते नहीं. हम उनकी आराधना करते हैं जिन्हें हम जानते हैं 23 क्योंकि अन्ततः: उद्धार यहूदियों में से ही है. वह समय आ रहा है बल्कि आ ही गया है जब सच्चे भक्त पिता की आराधना अपनी अन्तरात्मा और सच्चाई में करेंगे क्योंकि पिता अपने लिए ऐसे ही भक्तों की खोज में हैं. 24 परमेश्वर आत्मा हैं इसलिए आवश्यक है कि उनके भक्त अपनी आत्मा और सच्चाई में उनकी आराधना करें.”

25 स्त्री ने उनसे कहा, “मैं जानती हूँ कि मसीह, जिन्हें ख्रिस्त कहा जाता है, आ रहे हैं. जब वह आएंगे तो सब कुछ साफ़ कर देंगे.”

26 मसीह येशु ने उससे कहा, “मैं, जो तुमसे बातें कर रहा हूँ, वही हूँ.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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