Book of Common Prayer
झूठे शिक्षक
4 पवित्रात्मा का स्पष्ट कथन यह है कि अन्त के समय में कुछ व्यक्ति विश्वास का त्याग कर देंगे और वे धूर्त आत्माओं तथा दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाएँगे. 2 यह उन झूठे मनुष्यों के दिखावे की शिक्षाओं के कारण होगा, जिनके विवेक में मानो जलते हुए लोहे से मुहर लगा दी गई हों. 3 ये वे हैं, जो विवाह करने से रोकते हैं, भोजन पदार्थों को भी त्यागने की माँग करते हैं, जिन्हें परमेश्वर ने विश्वासियों और सच्चाई को जानने वाले व्यक्तियों की भलाई के लिए इसलिए बनाया है कि धन्यवाद के साथ मिलजुल कर खाया जाएँ. 4 परमेश्वर की बनाई हुई हर एक वस्तु अच्छी है, कोई भी वस्तु अस्वीकार करने योग्य नहीं—यदि उसे धन्यवाद के साथ स्वीकार किया जाए, 5 क्योंकि वह परमेश्वर के वचन तथा प्रार्थना द्वारा शुद्ध की जाती है.
6 विश्वासियों को इन बातों का अहसास कराने के द्वारा तुम स्वयं को मसीह येशु का आदर्श सेवक साबित करोगे, जिसका पोषण निरन्तर विश्वास के वचन तथा अच्छे उपदेशों की बातों के द्वारा होता है, जिसका तुम पालन करते आए हो. 7 सांसारिक तथा काल्पनिक कथाओं से दूर रहो, इसके विपरीत तुम अपने आप को परमेश्वर की भक्ति के लिए अनुशासित कर लो. 8 शारीरिक व्यायाम सिर्फ थोड़े लाभ का है जबकि परमेश्वर-भक्ति का लाभ सब बातों में है क्योंकि वह जीवन का आश्वासन देती है—इस समय और आनेवाले जीवन, दोनों का.
9 यह बात सच है, जो हर प्रकार से मानने योग्य है: 10 हम उसी के लिए परिश्रम तथा संघर्ष करते हैं क्योंकि हमने अपनी आशा जीवित परमेश्वर पर लगाई है, जो सब मनुष्यों के उद्धारकर्ता हैं, विशेषकर उनके, जो विश्वास करते हैं.
11 तुम्हारे आदेशों और शिक्षाओं के विषय ये ही हों. 12 तुलना में कम आयु के कारण कोई तुम्हें तुच्छ न समझे परन्तु बातचीत, स्वभाव, प्रेम, विश्वास तथा पवित्रता में मसीह के विश्वासियों का आदर्श बनो. 13 मेरे वहाँ पहुँचने तक पवित्रशास्त्र के सार्वजनिक रीति से पढ़ने, उपदेश तथा शिक्षा पाने में लीन रहो. 14 अंदर बसे हुए पवित्रात्मा द्वारा दी गई क्षमता की उपेक्षा न करो, जो तुम्हें भविष्यवाणी के द्वारा उस समय प्रदान की गई, जब कलीसिया के पुरनियों ने तुम पर हाथ रखे.
15 इन निर्देशों पर विशेष ध्यान दो, इनमें लीन हो जाओ कि तुम्हारी उन्नति सब पर प्रकट हो जाए. 16 अपना और सिद्धान्त-शिक्षा का पूरी शक्ति से ध्यान रखो. इसमें लगातार चौकस रहो क्योंकि तुम ऐसा करने के द्वारा दोनों का उद्धार निश्चित करोगे—स्वयं अपना तथा अपने सुननेवालों का.
कर का प्रश्न
(मत्ति 22:15-22; लूकॉ 20:20-26)
13 यहूदियों ने मसीह येशु के पास कुछ फ़रीसियों तथा हेरोदेस समर्थकों को भेजा कि मसीह येशु को उनकी ही किसी बात में फँसाया जा सके. 14 उन्होंने आ कर मसीह येशु से यह प्रश्न किया, “गुरुवर, यह तो हमें मालूम है कि आप एक सच्चे व्यक्ति हैं. आपको किसी के मत-समर्थन की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आप में पक्षपात है ही नहीं. आप पूरी सच्चाई में परमेश्वर सम्बन्धी शिक्षा देते हैं. हमें यह बताइए: कयसर को कर देना व्यवस्था के अनुसार है या नहीं? 15 हम कर दें या नहीं?”
उनका पाखण्ड भाँप कर मसीह येशु ने उनसे कहा, “क्यों मुझे फँसाने की युक्ति कर रहे हो? दीनार की मुद्रा ला कर मुझे दिखाओ.”
16 वे मसीह येशु के पास एक मुद्रा ले आए. मसीह येशु ने वह मुद्रा उन्हें दिखाते हुए उनसे प्रश्न किया, “यह छाप तथा नाम किसका है?”
“कयसर का,” उन्होंने उत्तर दिया.
17 मसीह येशु ने उनसे कहा, “जो कयसर का है, वह कयसर को दो और जो परमेश्वर का, वह परमेश्वर को.”
यह सुन वे दंग रह गए.
मरे हुओं के जी उठने का प्रश्न
(मत्ति 22:23-33; लूकॉ 20:27-40)
18 कुछ सदूकी मसीह येशु के पास आए. सदूकियों की मान्यता है कि मृतक दोबारा जीवित नहीं होते. उन्होंने मसीह येशु से प्रश्न किया, 19 “गुरुवर, हमारे लिए मोशेह का आदेश है कि यदि किसी का भाई अपनी पत्नी पीछे छोड़ निस्सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उस विधवा से विवाह करे और अपने भाई के लिए सन्तान उत्पन्न करे. 20 इसी सन्दर्भ में एक घटना इस प्रकार है: सात भाई थे. पहले ने विवाह किया और बिना सन्तान ही चल बसा. 21 दूसरे भाई ने उसकी पत्नी वे विवाह कर लिया, वह भी बिना सन्तान ही चल बसा. तीसरे भाई की भी यही स्थिति रही. 22 इस प्रकार सातों भाइयों की मृत्यु बिना सन्तान ही हो गई. इसके बाद उस स्त्री की भी मृत्यु हो गई. 23 पुनरुत्थान में दुबारा जी उठने पर वह किसकी पत्नी कहलाएगी—क्योंकि वह तो सातों भाइयों की पत्नी रह चुकी है?”
24 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम्हारी इस भूल का कारण यह नहीं कि तुम न तो पवित्रशास्त्र का भेद समझते हो और न ही परमेश्वर के सामर्थ्य को? 25 पुनरुत्थान में लोग न तो विवाहित होते हैं और न ही वहाँ विवाह कराये जाते हैं—वहाँ वे स्वर्गदूतों के समान होंगे. 26 जहाँ तक मरे हुओं के दुबारा जी उठने का प्रश्न है, क्या तुमने मोशेह के ग्रन्थ में नहीं पढ़ा, जहाँ जलती हुई झाड़ी का वर्णन है? परमेश्वर ने मोशेह से कहा था, ‘मैं ही अब्राहाम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर तथा याक़ोब का परमेश्वर हूँ’? 27 आप लोग बड़ी गम्भीर भूल में पड़े हैं! वह मरे हुओं के नहीं परन्तु जीवितों के परमेश्वर हैं.”
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