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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 तिमोथियॉस 3

प्रभारी प्रवर

यह बात विश्वासयोग्य है: यदि किसी व्यक्ति में अध्यक्ष पद की इच्छा है, यह एक उत्तम काम की अभिलाषा है. इसलिए आवश्यक है कि अध्यक्ष प्रशंसनीय, एक पत्नी का पति, संयमी, विवेकी, सम्मान-योग्य, अतिथि-सत्कार करने वाला तथा निपुण शिक्षक हो. वह पीनेवाला, झगड़ालू, अधीर, विवादी तथा पैसे का लालची न हो. वह अपने परिवार का उत्तम प्रबन्धक हो. सन्तान पर उसका गरिमा से भरा अनुशासन हो. यदि कोई व्यक्ति अपने परिवार का ही प्रबन्ध करना नहीं जानता तो भला वह परमेश्वर की कलीसिया की देख-रेख किस प्रकार कर पाएगा? वह नया शिष्य न हो कि वह अहंकारवश शैतान के समान दण्ड का भागी न हो जाए. यह भी आवश्यक है कि कलीसिया के बाहर भी वह सम्मान-योग्य हो कि वह बदनामी तथा शैतान के जाल में न पड़ जाए.

सेवक सम्बन्धी निर्देश

इसी प्रकार आवश्यक है कि दीकन भी गंभीर तथा निष्कपट हों. मदिरा पान में उसकी रुचि नहीं होनी चाहिए, न नीच कमाई के लालची. वे निर्मल मन में विश्वास का भेद सुरक्षित रखें. 10 परखे जाने के बाद प्रशंसनीय पाए जाने पर ही उन्हें दीकन पद पर चुना जाए.

11 इसी प्रकार, उनकी पत्नी भी गंभीर हों, न कि गलत बातें करने में लीन रहनेवाली—वे हर एक क्षेत्र में व्यवस्थित तथा विश्वासयोग्य हों.

12 दीकन एक पत्नी का पति हो तथा अपनी सन्तान और परिवार के अच्छे प्रबन्ध करने वाले हों. 13 जिन्होंने दीकन के रूप में अच्छी सेवा की है, उन्होंने अपने लिए अच्छा स्थान बना लिया है तथा मसीह येशु में अपने विश्वास के विषय में उन्हें दृढ़ निश्चय है.

कलीसिया तथा आत्मिक जीवन का भेद

14 तुम्हारे पास शीघ्र आने की आशा करते हुए भी मैं तुम्हें यह सब लिख रहा हूँ 15 कि यदि मेरे आने में देरी हो ही जाए तो भी तुम्हें इसका अहसास हो कि परमेश्वर के परिवार में, जो जीवित परमेश्वर की कलीसिया तथा सच्चाई का स्तम्भ व नींव है, किस प्रकार का स्वभाव करना चाहिए. 16 संदेह नहीं है कि परमेश्वर की भक्ति का भेद गंभीर है:

वह, जो मनुष्य के शरीर में प्रकट किए गए,
    पवित्रात्मा में उनकी परख हुई,
वह स्वर्गदूतों द्वारा पहचाने गए,
    राष्ट्रों में उनका प्रचार किया गया,
संसार में रहते हुए उनमें विश्वास किया गया तथा वह महिमा में
    ऊपर उठा लिए गए.

मारक 11:27-12:12

मसीह येशु के अधिकार को चुनौती

(मत्ति 21:23-27; लूकॉ 20:1-8)

27 इसके बाद वे दोबारा येरूशालेम नगर आए. जब मसीह येशु मन्दिर-परिसर में टहल रहे थे, प्रधान याजक, शास्त्री तथा प्रवर (नेता गण) उनके पास आए 28 और उनसे प्रश्न करने लगे, “किस अधिकार से तुम यह सब कर रहे हो? कौन है वह, जिसने तुम्हें यह सब करने का अधिकार दिया है?”

29 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “आप लोगों से मैं भी एक प्रश्न करूँगा. जब आप मुझे उसका उत्तर देंगे तब मैं भी आपके इस प्रश्न का उत्तर दूँगा कि मैं किस अधिकार से यह सब कर रहा हूँ. 30 यह बताइए कि योहन का बपतिस्मा परमेश्वर की ओर से था या मनुष्यों की ओर से?”

31 वे आपस में विचार विमर्श करने लगे, “यदि हम यह कहते हैं कि वह परमेश्वर की ओर से था तो यह कहेगा, ‘तब आप लोगों ने उस पर विश्वास क्यों नहीं किया?’ 32 और यदि हम यह कहें, ‘मनुष्यों की ओर से’” वस्तुत: यह कहने में उन्हें जनसाधारण का भय था क्योंकि जनसाधारण योहन को भविष्यद्वक्ता मानता था.

33 उन्होंने मसीह येशु को उत्तर दिया, “हम नहीं जानते.” मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “ठीक है, मैं भी तुम्हें यह नहीं बताता कि मैं ये सब किस अधिकार से कर रहा हूँ.”

बुरे किसानों का दृष्टान्त

(मत्ति 21:33-46; लूकॉ 20:9-19)

12 मसीह येशु ने उन्हें दृष्टान्तों के माध्यम से शिक्षा देना प्रारम्भ किया: “एक व्यक्ति ने बगीचे में अंगूर की बेल लगाई, उसके चारों ओर बाड़ लगाई, उसमें रसकुण्ड खोदा, रक्षा करने का मचान बनाया और उसे किसानों को पट्टे पर दे कर यात्रा पर चला गया. उपज के अवसर पर उसने अपने एक दास को उन किसानों के पास भेजा कि वह उनसे उपज का कुछ भाग ले आए. 3 किसानों ने उस दास को पकड़ा, उसकी पिटाई की तथा उसे खाली हाथ लौटा दिया. उस व्यक्ति ने फिर एक अन्य दास को भेजा. किसानों ने उसके सिर पर प्रहार कर उसे घायल कर दिया तथा उसके साथ शर्मनाक व्यवहार किया. उस व्यक्ति ने एक बार फिर एक और दास को उनके पास भेजा, जिसकी तो उन्होंने हत्या ही कर दी. उसके द्वारा भेजे हुए अन्य दासों के साथ भी उन्होंने ऐसा ही व्यवहार किया: उन्होंने कुछ को मारा-पीटा तथा बाकियों की हत्या कर दी.

“अब उसके पास भेजने के लिए एक ही व्यक्ति शेष था—उसका प्रिय पुत्र. अन्ततः: उसने उसे ही उनके पास भेज दिया. उसका विचार था, ‘वे मेरे पुत्र का तो सम्मान करेंगे.’

“उन किसानों ने आपस में विचार किया, ‘सुनो, यह वारिस है. यदि इसकी हत्या कर दें तो यह सम्पत्ति ही हमारी हो जाएगी!’ उन्होंने उसे पकड़ उसकी हत्या कर दी तथा उसका शव बगीचे के बाहर फेंक दिया.

“अब बगीचे के स्वामी के सामने इसके अतिरिक्त और कौन सा विकल्प शेष रह गया है कि वह आ कर उन किसानों का नाश करे और उद्यान का पट्टा अन्य किसानों को दे दे? 10 क्या तुमने पवित्रशास्त्र का यह लेख नहीं पढ़ा:

“‘जिस पत्थर को राज मिस्त्रियों ने निकम्मा घोषित कर दिया था,
    वही कोने का मुख्य पत्थर बन गया;
11 यह प्रभु की ओर से हुआ,
    और यह हमारी दृष्टि में अद्भुत है’?”

12 यहूदी मसीह येशु को पकड़ने की युक्ति तो कर ही रहे थे, किन्तु उन्हें भीड़ की प्रतिक्रिया का भी भय था. वे यह भली-भांति समझ गए थे कि यह दृष्टान्त उन्हीं के लिए था. वस्तुत: इस अवसर पर वे मसीह येशु को छोड़ वहाँ से चले गए.

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