Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: 'भजन संहिता 66-67' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'भजन संहिता 19 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'भजन संहिता 46 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'यशायाह 62:6-12' not found for the version: Saral Hindi Bible
1 योहन 2:3-11

दूसरी ज़रूरत: आदेशों का पालन

परमेश्वर के आदेशों का पालन करना इस बात का प्रमाण है कि हमने परमेश्वर को जान लिया है. वह, जो यह कहता तो रहता है, “मैं परमेश्वर को जानता हूँ”, किन्तु उनके आदेशों और आज्ञाओं के पालन नहीं करता, झूठा है और उसमें सच है ही नहीं परन्तु जो कोई उनकी आज्ञा का पालन करता है, उसमें परमेश्वर का प्रेम वास्तव में सिद्धता तक पहुँचा दिया गया है. परमेश्वर में हमारे स्थिर बने रहने का प्रमाण यह है: जो कोई यह दावा करता है कि वह मसीह येशु में स्थिर है, तो वह उन्हीं के समान चाल-चलन भी करे.

प्रियजन, मैं तुम्हें कोई नई आज्ञा नहीं परन्तु वही आज्ञा लिख रहा हूँ, जो प्रारम्भ ही से थी; यह वही समाचार है, जो तुम सुन चुके हो. फिर भी मैं तुम्हें एक नईं आज्ञा लिख रहा हूँ, जो मसीह में सच था तथा तुममें भी सच है. अन्धकार मिट रहा है तथा वास्तविक ज्योति चमकी है.

वह, जो यह दावा करता है कि वह ज्योति में है, फिर भी अपने भाई से घृणा करता है, अब तक अन्धकार में है. 10 जो साथी विश्वासी से प्रेम करता है, उसका वास ज्योति में है, तथा उसमें ऐसा कुछ भी नहीं जिससे वह ठोकर खाए. 11 परन्तु वह, जो साथी विश्वासी से घृणा करता है, अन्धकार में है, अन्धकार में ही चलता है तथा नहीं जानता कि वह किस दिशा में बढ़ रहा है क्योंकि अन्धकार ने उसे अंधा बना दिया है.

योहन 8:12-19

संसार की ज्योति मसीह येशु

12 मन्दिर में अपनी शिक्षा को दोबारा आरम्भ करते हुए मसीह येशु ने लोगों से कहा, “मैं ही संसार की ज्योति हूँ. जो कोई मेरे पीछे चलता है, वह अन्धकार में कभी न चलेगा क्योंकि जीवन की ज्योति उसी में बसेगी.”

13 तब फ़रीसियों ने उनसे कहा, “तुम अपने ही विषय में गवाही दे रहे हो इसलिए तुम्हारी गवाही स्वीकार नहीं की जा सकती है.”

14 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “यदि मैं स्वयं अपने विषय में गवाही दे भी रहा हूँ, तो भी मेरी गवाही स्वीकार की जा सकती है क्योंकि मुझे मालूम है कि मैं कहाँ से आया हूँ और कहाँ जा रहा हूँ; किन्तु तुम लोग नहीं जानते कि मैं कहाँ से आया और कहाँ जा रहा हूँ. 15 तुम लोग मानवीय सोच से अन्य लोगों का न्याय करते हो; मैं किसी का न्याय नहीं करता. 16 यदि मैं किसी का न्याय करूँ भी तो वह सही ही होगा क्योंकि इसमें मैं अकेला नहीं—इसमें मैं और मेरे भेजनेवाले दोनों मिले हैं. 17 तुम्हारी व्यवस्था में ही यह लिखा है कि दो व्यक्तियों की गवाही सच के रूप में स्वीकार की जा सकती है. 18 एक गवाह तो मैं हूँ, जो स्वयं अपने विषय में गवाही दे रहा हूँ और मेरे विषय में अन्य गवाह—मेरे भेजनेवाले—पिता परमेश्वर हैं”.

19 तब उन्होंने मसीह येशु से पूछा, “कहाँ है तुम्हारा यह पिता?” मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “न तो तुम मुझे जानते हो और न ही मेरे पिता को; यदि तुम मुझे जानते तो मेरे पिता को भी जान लेते.”

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.