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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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गलातिया 5:1-15

मसीह में स्वतन्त्रता

इसी स्वतन्त्रता में बने रहने के लिए मसीह ने हमें स्वतन्त्र किया है. इसलिए स्थिर रहो और दोबारा दासत्व के जुए में न जुतो.

यह समझ लो: मैं, पौलॉस, तुम्हें बताना चाहता हूँ कि यदि तुम ख़तना के पक्ष में निर्णय लेते हो तो तुम्हारे लिए मसीह की कोई उपयोगिता न रह जायेगी. मैं ख़तना के हर एक समर्थक से दोबारा कहना चाहता हूँ कि वह सारी व्यवस्था का पालन करने के लिए मजबूर है. तुम, जो धर्मी ठहराए जाने के लिए व्यवस्था पर निर्भर रहना चाहते हो, मसीह से अलग हो गए हो और अनुग्रह से तुम गिर चुके हो. किन्तु हम पवित्रात्मा के द्वारा विश्वास से धार्मिकता की आशा की बाट जोहते हैं. ख़तनित होना या न होना मसीह येशु में किसी महत्व का नहीं है; महत्व है सिर्फ विश्वास का जिसका प्रभाव दिखता है प्रेम में.

दौड़ में बहुत बढ़िया था तुम्हारा विकास. कौन बन गया तुम्हारे सच्चाई पर चलने में रुकावट? यह उकसावा उनकी ओर से नहीं है, जिन्होंने तुम्हें बुलाया. थोड़ा-सा ख़मीर सारे आटे को ख़मीर कर देता है. 10 प्रभु में मुझे तुम पर भरोसा है कि तुम किसी अन्य विचार को स्वीकार न करोगे. जो भी तुम्हें भरमाएगा व ड़ाँवा-ड़ोल करेगा, वह दण्ड भोगेगा, चाहे वह कोई भी क्यों न हो. 11 प्रियजन, यदि मैं अब तक ख़तना का प्रचार कर रहा हूँ तो मुझ पर यह सताहट क्यों? इस स्थिति में तो क्रूस के प्रति विरोध समाप्त हो गया होता. 12 उत्तम तो यही होता कि वे, जो तुम्हें ड़ाँवा-ड़ोल कर रहे हैं, स्वयं को नपुंसक बना लेते.

स्वतन्त्रता और भलाई

13 प्रियजन, तुम्हारा बुलावा स्वतन्त्रता के लिए किया गया है. अपनी स्वतन्त्रता को अपनी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति का सुअवसर मत बनाओ परन्तु प्रेमपूर्वक एक दूसरे की सेवा करो 14 क्योंकि सारी व्यवस्था का सार सिर्फ एक वाक्य में छिपा हुआ है: जैसे तुम स्वयं से प्रेम करते हो, वैसे ही अपने पड़ोसी से भी प्रेम करो. 15 यदि तुम एक दूसरे को हिंसक पशुओं की भांति काटते-फाड़ते रहे, तो सावधान! कहीं तुम्हीं एक दूसरे का नाश न कर बैठो!

मारक 8:27-9:1

पेतरॉस द्वारा विश्वास करना

(मत्ति 16:13-20; लूकॉ 9:18-20)

27 मसीह येशु अपने शिष्यों के साथ कयसरिया प्रान्त के फ़िलिप्पॉय नगर के पास के गाँवों की यात्रा कर रहे थे. मार्ग में उन्होंने अपने शिष्यों से यह प्रश्न किया, “मैं कौन हूँ इस विषय में लोगों का क्या मत है?”

28 उन्होंने उत्तर दिया, “कुछ के लिए बपतिस्मा देने वाले योहन, कुछ के लिए एलियाह तथा कुछ के लिए आप भविष्यद्वक्ताओं में से एक हैं.”

29 “तुम्हारा अपना मत क्या है?” मसीह येशु ने उनसे आगे प्रश्न किया.

पेतरॉस ने उत्तर दिया, “आप मसीह[a] हैं.”

30 मसीह येशु ने शिष्यों को सावधान किया कि वे किसी से भी उनकी चर्चा न करें.

दुःखभोग और क्रूस की मृत्यु की पहिली भविष्यवाणी

(मत्ति 16:21-28; लूकॉ 9:21-27)

31 तब मसीह येशु उन्हें यह समझाने लगे कि यह अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र अनेक यातनाएँ सहे, पुरनियों, प्रधान पुरोहितों तथा विधान के शिक्षकों द्वारा तुच्छ घोषित किया जाए, उसकी हत्या कर दी जाए और तीन दिन बाद वह मरे हुओं में से जीवित हो जाए. 32 यह सब उन्होंने अत्यन्त स्पष्ट रूप से कहा. उनके इस कथन पर पेतरॉस उन्हें अलग ले जा कर डाँटने लगे.

33 किन्तु मसीह येशु पीछे मुड़े और अपने शिष्यों को देख कर उन्होंने पेतरॉस को डाँटा, “दूर हो जा मेरी दृष्टि से, शैतान! तेरा मन परमेश्वर सम्बन्धी विषयों में नहीं परन्तु मनुष्य सम्बन्धी विषयों में लगा हुआ है.”

मसीह येशु के पीछे चलने की शर्तें

34 तब उन्होंने भीड़ के साथ अपने शिष्यों को भी अपने पास बुलाया और उन्हें सम्बोधित करते हुए कहा, “जो कोई मेरे पीछे आना चाहे, वह अपना इनकार कर अपना क्रूस उठाए और मेरे पीछे हो ले. 35 इसलिए कि जो कोई अपने जीवन की रक्षा करना चाहता है, वह उसे गँवा देगा तथा जो कोई मेरे तथा सुसमाचार के लिए अपने प्राण गँवा देता है, उसे सुरक्षित पाएगा. 36 क्या लाभ यदि कोई मनुष्य सारा संसार तो प्राप्त कर ले किन्तु अपना प्राण खो बैठे? 37 मनुष्य किस वस्तु से अपने प्राणों की तुलना करे? 38 जो कोई इस अविश्वासी तथा पापमय युग में मुझे तथा मेरे वचन को लज्जा का विषय समझता है, मनुष्य का पुत्र भी, जब वह अपने पिता की महिमा में पवित्र स्वर्गदूतों के साथ आएगा, उसे स्वीकार करने में लज्जा का अनुभव करेगा.”

तब मसीह येशु ने उनसे कहा, “मैं तुम पर एक अटल सच्चाई प्रकट कर रहा हूँ: यहाँ उपस्थित व्यक्तियों में कुछ ऐसे हैं, जो मृत्यु का स्वाद तब तक बिलकुल न चखेंगे, जब तक वे परमेश्वर के राज्य को सामर्थ्य के साथ आया हुआ न देख लें.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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