Book of Common Prayer
पेतरॉस के प्रति पौलॉस का विरोध
11 जब कैफ़स अन्तियोख़ नगर आए, मैंने उनके मुख पर उनका विरोध किया क्योंकि उनकी गलती साफ़-साफ़ थी. 12 याक़ोब की ओर से कुछ लोगों के आने से पहले तो वह अन्यजातियों के साथ खान-पान में सम्मिलित होते थे किन्तु याक़ोब के लोगों के यहाँ आने पर वह ख़तनितों के समूह के भय से अलग हो कर अन्यजातियों से दूरी रखने लगे. 13 बाकी यहूदी भी उनके साथ इस कपट में शामिल हो गए—यहाँ तक कि बारनबास भी!
14 जब मैंने यह देखा कि उनका स्वभाव ईश्वरीय सुसमाचार के भेद के अनुसार नहीं है, मैंने सबके सामने कैफ़स से कहा, “यदि स्वयं यहूदी, होकर आपका स्वभाव यहूदियों के समान नहीं परन्तु अन्यजातियों के समान है, तो आप अन्यजातियों को यहूदियों जैसे स्वभाव के लिए बाध्य कैसे कर सकते हो?
पौलॉस द्वारा प्रचारित ईश्वरीय सुसमाचार
15 “आप और मैं जन्म से यहूदी हैं—अन्यजातियों के पापी वंशज नहीं. 16 फिर भी हम यह जानते हैं कि परमेश्वर की दृष्टि में मनुष्य मात्र मसीह येशु में विश्वास करने के द्वारा ही धर्मी ठहरता है, न कि व्यवस्था का पालन करने के द्वारा, इसलिए हमने भी मसीह येशु में विश्वास किया कि हम मसीह में विश्वास करने के द्वारा धर्मी ठहराए जाएँ, न कि व्यवस्था का पालन करने के द्वारा—क्योंकि व्यवस्था का पालन करने से कोई भी मनुष्य धर्मी ठहराया नहीं जाता.
17 “किन्तु, यदि हम मसीह में धर्मी ठहराए जाने के लिए प्रयास करने पर भी पापी ही पाए जाते हैं, तो क्या मसीह पाप के पालन-पोषण करने वाले हैं? बिलकुल नहीं! 18 यदि मैं उसी को दोबारा बनाता हूँ, जिसे मैंने गिरा दिया था, तो मैं स्वयं को ही अपराधी साबित करता हूँ.
19 “क्योंकि व्यवस्था के द्वारा मैं व्यवस्था के लिए मर गया कि मैं परमेश्वर के लिए जिऊँ. 20 मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया जा चुका हूँ. अब से वह, जो जीवित है, मैं नहीं परन्तु मसीह हैं, जो मुझमें जीवित हैं. अब वह जीवन, जो मैं शरीर में जी रहा हूँ, परमेश्वर के पुत्र में विश्वास करते हुए जी रहा हूँ, जिन्होंने मुझसे प्रेम किया और स्वयं को मेरे लिए बलिदान कर दिया. 21 मैं परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं कर रहा, क्योंकि यदि व्यवस्था धार्मिकता का कारण होता, तब मसीह का प्राण त्यागना व्यर्थ हो जाता!”
13 उन्होंने अनेक दुष्टात्माएं निकाली तथा अनेक रोगियों को तेल मलकर उन्हें स्वस्थ किया.
मसीह येशु और हेरोदेस
14 राजा हेरोदेस तक इसका समाचार पहुँच गया क्योंकि मसीह येशु की ख्याति दूर दूर तक फैल गयी थी. कुछ तो यहाँ तक कह रहे थे, “बपतिस्मा देने वाले योहन मरे हुओं में से जीवित हो गए हैं. यही कारण है कि मसीह येशु में यह अद्भुत सामर्थ्य प्रकट है.”
15 कुछ कह रहे थे, “वह एलियाह हैं.”
कुछ यह भी कहते सुने गए, “वह एक भविष्यद्वक्ता हैं—अतीत में हुए भविष्यद्वक्ताओं के समान.”
16 यह सब सुन कर हेरोदेस कहता रहा, “योहन, जिसका मैंने वध करवाया था, जीवित हो गया है.”
17-18 स्वयं हेरोदेस ने योहन को बन्दी बना कर कारागार में डाल दिया था क्योंकि उसने अपने भाई फ़िलिप्पॉस की पत्नी हेरोदीअस से विवाह कर लिया था. योहन हेरोदेस को याद दिलाते रहते थे, “तुम्हारे लिए अपने भाई की पत्नी को रख लेना व्यवस्था के अनुसार नहीं है.” इसलिए 19 हेरोदीअस के मन में योहन के लिए शत्रुभाव पनप रहा था. वह उनका वध करवाना चाहती थी किन्तु उससे कुछ नहीं हो पा रहा था. 20 हेरोदेस योहन से डरता था क्योंकि वह जानता था कि योहन एक धर्मी और पवित्र व्यक्ति हैं. हेरोदेस ने योहन को सुरक्षित रखा था. योहन के प्रवचन सुन कर वह घबराता तो था फिर भी उसे उनके प्रवचन सुनना बहुत प्रिय था.
21 आखिरकार हेरोदीअस को वह मौका प्राप्त हो ही गया: अपने जन्मदिवस के उपलक्ष्य में हेरोदेस ने अपने सभी उच्च अधिकारियों, सेनापतियों और गलील प्रदेश के प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भोज पर आमन्त्रित किया. 22 इस अवसर पर हेरोदीअस की पुत्री ने वहाँ अपने नृत्य के द्वारा हेरोदेस और अतिथियों को मोह लिया. राजा ने पुत्री से कहा, “मुझसे चाहे जो माँग लो, मैं दूँगा.” 23 राजा ने सौगन्ध खाते हुए कहा, “तुम जो कुछ माँगोगी, मैं तुम्हें दूँगा—चाहे वह मेरा आधा राज्य ही क्यों न हो.” 24 अपनी माँ के पास जा कर उसने पूछा.
“क्या माँगूँ?” “बपतिस्मा देने वाले योहन का सिर,” उसने कहा.
25 पुत्री ने तुरन्त जा कर राजा से कहा, “मैं चाहती हूँ कि आप मुझे इसी समय एक बर्तन में बपतिस्मा देने वाले योहन का सिर ला कर दें.”
26 हालांकि राजा को इससे गहरा दुःख तो हुआ किन्तु आमन्त्रित अतिथियों के सामने ली गई अपनी सौगन्ध के कारण वह अस्वीकार न कर सका. 27 तत्काल राजा ने एक जल्लाद को बुलवाया और योहन का सिर ले आने की आज्ञा दी. वह गया, कारागार में योहन का वध किया 28 और उनका सिर एक बर्तन में रख कर पुत्री को सौंप दिया और उसने जा कर अपनी माता को सौंप दिया. 29 जब योहन के शिष्यों को इसका समाचार प्राप्त हुआ, वे आए और योहन के शव को ले जा कर एक क़ब्र में रख दिया.
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