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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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इफ़ेसॉस 5:1-14

परमेश्वर की प्रेमपात्र सन्तान होने के नाते, तुम परमेश्वर के पीछे चलनेवाले बनो. तुम्हारा स्वभाव प्रेममय हो, जिस प्रकार मसीह ने तुमसे प्रेम किया है. वह हमारे लिए परमेश्वर के सामने स्वयं मनमोहक सुगन्धित भेंट व बलि हो गए.

जैसा कि पवित्र लोगों के लिए सही है, तुम्हारे बीच व्यभिचारिता, किसी भी प्रकार की मलिनता और किसी भी प्रकार के लोभ का वर्णन तक न हो; और न ही तुम्हारे बीच निर्लज्जता और मूर्खता भरी बातचीत या अश्लील मज़ाक हो, जो हमेशा ही व्यर्थ है परन्तु तुम्हारे बीच धन्यवाद ही सुना जाए क्योंकि तुम यह अच्छी तरह से जानते हो कि किसी भी व्यभिचारी, मलिन तथा लोभी व्यक्ति का, जो मूर्तिपूजक ही है, मसीह और परमेश्वर के राज्य में मीरास नहीं है. कोई तुम्हें व्यर्थ की बातों के जाल में न फँसा पाए क्योंकि इन सबके कारण अनाज्ञाकारी व्यक्ति परमेश्वर के क्रोध के भागी होते हैं. इसलिए उनके सहभागी न बनो.

इसके पहले तुम अन्धकार थे, मगर अब प्रभु में ज्योति हो; इसलिए ज्योति की सन्तान की तरह स्वभाव करो; क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की धार्मिकता, सदाचार और सच में है; 10 जिससे यह पुष्टि हो कि हमारे किन कामों से परमेश्वर संतुष्ट होते हैं. 11 अन्धकार के निष्फल कामों में शामिल न हो परन्तु उन्हें संकोच प्रकाश में लाओ. 12 उन कामों की तो चर्चा करना भी लज्जास्पद है, जो अनाज्ञाकारियों द्वारा गुप्त में किए जाते हैं. 13 ज्योति में आने पर सब कुछ प्रकट हो जाता है 14 क्योंकि ज्योति ही है, जो सब कुछ प्रकट करती है. इस पर कहा गया है:

सोए हुए, जागो!
    मरे हुओं में से जी उठो!
मसीह तुम पर ज्योति चमकाएंगे.

मारक 4:1-20

बीज और भूमि का दृष्टान्त

(मत्ति 13:1-9; लूकॉ 8:4-8)

एक बार फिर मसीह येशु ने झील तट पर शिक्षा देना प्रारम्भ किया. ऐसी बड़ी भीड़ उनके आस-पास इकठ्ठी हो गयी कि उन्हें झील तट पर लगी एक नाव में जा कर बैठना पड़ा और भीड़ झील तट पर खड़ी रही. वह अनेक विषयों को दृष्टान्तों के माध्यम से स्पष्ट करने लगे. शिक्षा देते हुए उन्होंने कहा, “ध्यानपूर्वक सुनो: एक बीज बोने वाले ने बीज बोना शुरू किया. इस प्रक्रिया में कुछ बीज मार्ग के किनारे जा गिरे जिन्हें पक्षियों ने आ कर चुग लिया. कुछ बीज पथरीली भूमि पर गिरे. वहाँ मिट्टी काफी न थी. वे जल्द ही अंकुरित हो गए क्योंकि मिट्टी गहरी न थी. सूर्य निकलने पर उसकी गर्मी में वे झुलस गए तथा जड़ न पकड़ने के कारण मुरझा गए. कुछ अन्य बीज कँटीली झाड़ियों में गिरे और कँटीली झाड़ियों ने उन्हें दबा दिया और उनसे कोई फल उत्पन्न न हुआ. कुछ अन्य बीज अच्छी भूमि पर जा गिरे, अंकुरित हो बड़े हुए तथा उनमें तीस गुणा, साठ गुणा तथा सौ गुणा फसल हुई.”

मसीह येशु ने आगे कहा, “जिस किसी के सुनने के कान हों, वह सुन ले.”

10 जैसे ही शिष्यों और अन्य साथियों ने मसीह येशु को अकेला पाया, उन्होंने मसीह येशु से दृष्टान्तों के विषय में पूछा. 11 मसीह येशु ने उनसे कहा, “तुम्हें तो परमेश्वर के राज्य का भेद सौंपा गया है किन्तु अन्यों को सब कुछ दृष्टान्तों के माध्यम से समझाया जाता है 12 क्योंकि,

“वे देखते तो हैं किन्तु उन्हें कुछ दिखता नहीं,
    वे सुनते तो हैं किन्तु कुछ समझ नहीं पाते ऐसा न हो वे मेरे पास लौट आते और क्षमा प्राप्त कर लेते!”

13 तब मसीह येशु ने उनसे प्रश्न किया, “क्या यह दृष्टान्त तुम्हारी समझ में नहीं आया? तब तुम अन्य सब दृष्टान्तों का अर्थ कैसे समझोगे? 14 बीज बोने वाला परमेश्वर के सुसमाचार को बोता है. 15 मार्ग के किनारे की भूमि वे लोग हैं, जिनमें सुसमाचार बोया तो जाता है किन्तु जैसे ही वे उसे सुनते हैं शैतान आ कर उस बोये हुए सुसमाचार को उठा ले जाता है. 16 इसी प्रकार पथरीली भूमि वे लोग हैं, जिनमें सुसमाचार बोया जाता है और वे इसे तुरन्त खुशी से अपना लेते हैं. 17 उनमें स्थायी जड़ें तो होती नहीं इसलिए जब सुसमाचार के कारण उन पर कष्ट और अत्याचारों का प्रहार होता है, वे शीघ्र ही पीछे हट जाते हैं. 18 अन्य लोग उस भूमि के समान हैं, जहाँ सुसमाचार काँटों के बीच बोया जाता है. वे सुसमाचार को सुनते हैं, 19 संसार की चिन्ताएँ, धन-सम्पत्ति का छलावा तथा अन्य वस्तुओं की लालसाओं का प्रवेश उस सुसमाचार को दबा देता है, जिससे उसका फलदाई होना असम्भव हो जाता है. 20 अन्य लोग उस बीज के समान हैं, जो उत्तम भूमि में बोया जाता है. वे सुसमाचार सुनते हैं, उसे ग्रहण करते हैं तथा उनमें फल आता है—तीस गुणा, साठ गुणा तथा सौ गुणा.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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