Book of Common Prayer
स्मुरना की कलीसिया को
8 “स्मुरना नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो:
जो पहिला और अन्तिम है, जिसकी मृत्यु ज़रूर हुई किन्तु अब वह जीवित है, उसका कहना यह है 9 मैं तुम्हारी पीड़ा और कंगाली से परिचित हूँ—किन्तु वास्तव में तुम धनी हो! मैं उनके द्वारा तुम्हारे लिए इस्तेमाल अपशब्दों से भी परिचित हूँ, जो स्वयं को यहूदी कहते तो हैं किन्तु हैं नहीं. वे शैतान का सभागृह हैं. 10 तुम पर जो कष्ट आने को हैं उनसे भयभीत न होना. सावधान रहो: शैतान तुम में से कुछ को कारागार में डालने पर है कि तुम परखे जाओ. तुम्हें दस दिन तक ताड़ना दी जाएगी. अन्तिम साँस तक सच्चे बने रहना और मैं तुम्हें जीवन का मुकुट प्रदान करूँगा.
11 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्रात्मा का कहना क्या है. जो जयवन्त होगा, उस पर दूसरी मृत्यु का कोई प्रहार न होगा.”
पेरगामॉस की कलीसिया को
12 “पेरगामॉस नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो:
जिसके पास तेज दोधारी तलवार है, उसका कहना यह है 13 मैं जानता हूँ कि तुम्हारा घर कहाँ है—जहाँ शैतान का सिंहासन है—फिर भी मेरे नाम के प्रति तुम्हारी सच्चाई बनी रही और तुमने मेरे प्रति अपने विश्वास का त्याग नहीं किया—उस समय भी, जब मेरे गवाह, मेरे विश्वासयोग्य अन्तिपास की तुम्हारे नगर में, जहाँ शैतान का घर है, हत्या कर दी गई.
14 किन्तु मुझे तुम्हारे विरुद्ध कुछ कहना है तुम्हारे यहाँ कुछ व्यक्ति हैं, जो बिलआम की शिक्षा पर अटल हैं, जिसने राजा बालाक को इस्राएलियों को भरमाने के लिए, मूर्तियों को भेंट वस्तुएं खाने तथा वेश्यागामी के लिए उकसाया. 15 तुम्हारे यहाँ भी कुछ ऐसे ही व्यक्ति हैं, जिनकी जीवनशैली निकोलस शिष्यों के समान है. 16 इसलिए पश्चाताप करो. नहीं तो मैं जल्द ही तुम्हारे पास आकर उस तलवार से, जो मेरे मुख में है, उससे युद्ध करूँगा.
17 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्रात्मा का कहना क्या है. जो जयवन्त होगा, मैं उसे गुप्त रखे गए मन्ना में से दूँगा तथा एक सफेद पत्थर भी, जिस पर एक नया नाम उकेरा हुआ होगा, जिसे उसके अलावा, जिसने उसे प्राप्त किया है, अन्य कोई नहीं जानता.”
46 मसीह येशु दोबारा गलील प्रदेश के काना नगर में आए, जहाँ उन्होंने जल को दाखरस में बदला था. कफ़रनहूम नगर में एक राजकर्मचारी था, जिसका पुत्र अस्वस्थ था. 47 यह सुन कर कि मसीह येशु यहूदिया प्रदेश से गलील में आए हुए हैं, उसने आ कर मसीह येशु से विनती की कि वह चल कर उसके पुत्र को स्वस्थ कर दें, जो मृत्यु-शय्या पर है.
48 इस पर मसीह येशु ने उसे झिड़की देते हुए कहा, “तुम लोग तो चिह्न और चमत्कार देखे बिना विश्वास ही नहीं करते!”
49 राजकर्मचारी ने उनसे दोबारा विनती की, “श्रीमन, इससे पूर्व कि मेरे बालक की मृत्यु हो, कृपया मेरे साथ चलें.”
50 मसीह येशु ने उससे कहा, “जाओ, तुम्हारा पुत्र जीवित रहेगा.” उस व्यक्ति ने मसीह येशु के वचन पर विश्वास किया और घर लौट गया. 51 जब वह मार्ग में ही था, उसके दास उसे मिल गए और उन्होंने उसे सूचना दी, “स्वामी, आपका पुत्र स्वस्थ हो गया है.” 52 “वह किस समय से स्वस्थ होने लगा था?” उसने उनसे पूछा. उन्होंने कहा, “कल लगभग सातवें घण्टे उसका ज्वर उतर गया.”
53 पिता समझ गया कि यह ठीक उसी समय हुआ जब मसीह येशु ने कहा था, “तुम्हारा पुत्र जीवित रहेगा.” इस पर उसने और उसके सारे परिवार ने मसीह येशु में विश्वास किया.
54 यह दूसरा अद्भुत चिह्न था, जो मसीह येशु ने यहूदिया प्रदेश से लौट कर गलील प्रदेश में किया.
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