Book of Common Prayer
इफ़ेसॉस की कलीसिया को
2 “इफ़ेसॉस नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो:
जो अपने दायें हाथ में साथ तारे लिए हुए है तथा जो सात सोने के दीपदानों के बीच चल रहा है, उसका कहना यह है 2 ‘मैं तुम्हारे कामों, तुम्हारे परिश्रम तथा तुम्हारे धीरज से भली-भांति परिचित हूँ और यह भी जानता हूँ कि बुराई तुम्हारे लिए असहनीय हैं. तुमने उनके दावों को, जो स्वयं को प्रेरित कहते तो हैं, किन्तु हैं नहीं, परखा और झूठा पाया 3 और यह भी कि तुम धीरज धरे रहे. तुम मेरे नाम के लिए दुःख सहते रहे, किन्तु तुमने हार स्वीकार नहीं की.’
4 परन्तु तुम्हारे विरुद्ध मुझे यह कहना है कि तुम में वह प्रेम नहीं रहा, जो पहले था. 5 याद करो कि तुम कहाँ से कहाँ आ गिरे हो. इसलिए पश्चाताप करो और वही करो जो तुम पहले किया करते थे; नहीं तो, अगर तुम पश्चाताप न करोगे तो मैं तुम्हारे पास आकर तुम्हारा दीपदान उसके नियत स्थान से हटा दूँगा. 6 हाँ, तुम्हारे विषय में प्रशंसा के योग्य सच्चाई ये है कि तुम भी निकोलॉस के शिष्यों के स्वभाव से घृणा करते हो, जिससे मैं भी घृणा करता हूँ.
7 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्रात्मा का संबोधन क्या है. जो जयवन्त होगा, उसे मैं जीवन के पेड़ में से, जो परमेश्वर के परादीस (स्वर्गलोक) में है, खाने के लिए दूँगा.”
2 तीसरे दिन गलील प्रदेश के काना नगर में एक विवाह उत्सव था. मसीह येशु की माता वहाँ उपस्थित थीं. 2 मसीह येशु और उनके शिष्य भी वहाँ आमन्त्रित थे. 3 जब उत्सव में दाखरस कम पड़ने लगा तो मसीह येशु की माता ने उनसे कहा, “उनका दाखरस समाप्त हो गया है.”
4 इस पर मसीह येशु ने उनसे कहा, “हे स्त्री, इससे आपका और मेरा क्या सम्बन्ध? मेरा समय अभी नहीं आया है.”
5 उनकी माता ने सेवकों से कहा, “जो कुछ वह तुमसे कहें, वही करो.”
6 वहाँ यहूदी परम्परा के अनुसार शुद्ध करने के लिए जल के छः पत्थर के बर्तन रखे हुए थे. हर एक में लगभग सौ-सवा-सौ लीटर जल समाता था.
7 मसीह येशु ने सेवकों से कहा, “बर्तनों को जल से भर दो.” उन्होंने उन्हें मुँह तक भर दिया.
8 इसके बाद मसीह येशु ने उनसे कहा, “अब इसमें से थोड़ा निकाल कर समारोह-संचालक के पास ले जाओ.” उन्होंने वैसा ही किया. 9 जब समारोह के प्रधान ने उस जल को चखा—जो वास्तव में दाखरस में बदल गया था और उसे मालूम नहीं था कि वह कहाँ से आया था, किन्तु जिन्होंने उसे निकाला था, वे जानते थे—तब समारोह के प्रधान ने वर को बुलवाया 10 और उससे कहा, “हर एक व्यक्ति पहले उत्तम दाखरस परोसता है और जब लोग पीकर तृप्त हो जाते हैं, तब मध्यम परन्तु तुमने तो उत्तम दाखरस अब तक रख छोड़ा है!”
11 यह मसीह येशु के अद्भुत चिह्नों के करने की शुरुआत थी, जो गलील प्रदेश के काना नगर में हुआ, जिसके द्वारा उन्होंने अपना प्रताप प्रकट किया तथा उनके शिष्यों ने उनमें विश्वास किया.
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