Book of Common Prayer
11 जब हर चीज ह, ए किसम ले नास करे जाही, त तुमन ला चाही कि पबितर अऊ भक्तिमय जिनगी जीयव, 12 जइसने कि तुमन परमेसर के दिन के बाट जोहथव अऊ भरसक कोसिस करथव कि एह जल्दी आवय। ओ दिन, अकासमन आगी म जरके नास हो जाहीं, अऊ सार-तत्व मन गरमी के मारे टघल जाहीं। 13 पर परमेसर के परतिगियां के मुताबिक, हमन एक नवां अकास अऊ नवां धरती के बाट जोहथन, जिहां सिरिप धरमीपन होही।
14 एकरसेति, हे मयारू संगवारीमन हो, जब तुमन ए बात के बाट जोहथव, त भरसक कोसिस करव कि तुमन निस्कलंक अऊ निरदोस पाय जावव अऊ तुमन ला ओकर संग सांति मिलय। 15 अपन मन म ए समझ लेवव कि हमर परभू के धीरज के मतलब उद्धार होथे, जइसने कि हमर मयारू भाई पौलुस घलो परमेसर के दुवारा दिये बुद्धि के मुताबिक तुमन ला लिखे हवय। 16 ओह अपन जम्मो चिट्ठी म, ए बातमन ला बतावत ओही किसम ले लिखथे। ओकर चिट्ठीमन म कुछू अइसने बातमन हवंय, जऊन ला समझना कठिन ए। अगियानी अऊ अस्थिर मनखेमन एकर गलत मतलब निकारथें, जइसने कि ओमन परमेसर के बचन के आने भागमन ला घलो करथें, अऊ ए किसम ले ओमन अपन बिनास करथें। 17 एकरसेति, हे मयारू संगवारीमन हो, जब तुमन एला पहिली ले जानथव, त सचेत रहव ताकि तुमन दुस्ट मनखेमन के बहकावा म झन आवव अऊ अपन बिसवास के स्थिरता ला झन गवांवव। 18 पर हमर परभू अऊ उद्धार करइया यीसू मसीह के अनुग्रह अऊ गियान म बढ़त जावव। ओकर महिमा अभी अऊ सदाकाल तक होवत रहय। आमीन।
28 मेंह तुमन ला बतावत हंव, जऊन मन माईलोगनमन ले जनमे हवंय, ओमन म यूहन्ना ले बड़े कोनो नो हंय; पर जऊन ह परमेसर के राज म सबले छोटे अय, ओह यूहन्ना ले घलो बड़े अय।”
29 (जम्मो मनखेमन, इहां तक कि लगान लेवइयामन घलो जब यीसू के बात ला सुनिन, त ओमन यूहन्ना ले बतिसमा लेके परमेसर के रसता ला सही मान लीन। 30 पर फरीसी अऊ कानून के जानकारमन परमेसर के मनसा ला अपन बर स्वीकार नइं करिन, काबरकि ओमन यूहन्ना के बतिसमा नइं लीन।)
31 यीसू ह फेर कहिस, “तब मेंह ए पीढ़ी के मनखेमन के तुलना काकर ले करंव? एमन काकर सहीं अंय? 32 एमन ओ लइकामन सहीं अंय, जऊन मन हाट-बजार म बईठके एक-दूसर ला कहिथें,
‘हमन तुम्हर बर बांसुरी बजाएन,
अऊ तुमन नइं नाचेव;
हमन बिलाप करेन,
अऊ तुमन नइं रोएव।’
33 यूहन्ना बतिसमा देवइया ह आईस, जऊन ह न रोटी खाथे अऊ न ही मंद पीथे, अऊ तुमन कहिथव, ‘ओम परेत आतमा हवय।’ 34 मनखे के बेटा ह आईस, जऊन ह खाथे अऊ पीथे, अऊ तुमन कहिथव, ‘देखव, ओह पेटहा अऊ पियक्कड़ अय, अऊ लगान लेवइया अऊ पापी मन के संगवारी अय।’ 35 पर परमेसर के बुद्धि ह ओकर जम्मो लइकामन के दुवारा सही ठहराय गे हवय।”
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