Book of Common Prayer
17 एकर बाद, मेंह यरूसलेम लहुंटंय अऊ जब मंदिर म पराथना करत रहेंव, त मेंह एक दरसन देखेंव। 18 मेंह परभू ला देखेंव अऊ ओह मोला कहिस, ‘जल्दी कर अऊ यरूसलेम ले तुरते निकर जा, काबरकि ओमन मोर बारे म तोर गवाही ला नइं मानंय।’
19 मेंह कहेंव, ‘हे परभू! ओमन तो खुद जानत हवंय कि मेंह सभा घरमन म जा-जाके तोर ऊपर बिसवास करइयामन ला जेल म डारत अऊ मारत रहेंव। 20 जब तोर गवाह स्तिफनुस के लहू बहाय जावत रिहिस, त मेंह घलो उहां ठाढ़े रहेंव अऊ ओ बात म राजी रहेंव अऊ मेंह उहां हतियारामन के कपड़ा के रखवारी करत रहेंव।’
21 तब परभू ह मोला कहिस, ‘जा! मेंह तोला आनजातमन करा बहुंत दूरिहा-दूरिहा पठोहूं।’ ”
पौलुस अऊ ओकर रोमी नागरिकता
22 मनखेमन अब तक पौलुस के बात ला सुनत रिहिन। तब ओमन चिचियाके कहिन, “धरती ले एकर नामो निसान मिटा देवव। ओह जीयत रहे के लइक नो हय।”
23 जब ओमन चिचियावत अऊ अपन-अपन कपड़ा फेंकत अऊ हवा म धूर्रा उड़ावत रहंय, 24 तब सेनापति ह हुकूम दीस, “एला, किला म ले जावव अऊ एला कोर्रा मारके पुछव कि मनखेमन काबर एकर बिरोध म अइसने चिचियावत हवंय।” 25 जब ओमन पौलुस ला कोर्रा मारे बर बांधे लगिन, त ओह उहां ठाढ़े अधिकारी ले कहिस, “का ए उचित ए कि तुमन एक रोमी नागरिक ला कोर्रा म मारव अऊ ओ भी ओला बिगर दोसी ठहिराय[a]?”
26 जब अधिकारी ह ए सुनिस, त ओह सेनापति करा जाके कहिस, “तेंह ए का करथस? ए मनखे ह तो रोमी नागरिक ए।”
27 तब सेनापति ह पौलुस करा आईस अऊ ओकर ले पुछिस, “मोला बता, का तेंह रोमी नागरिक अस?”
पौलुस ह कहिस, “हव जी।”
28 सेनापति ह कहिस, “मेंह अपन रोमी नागरिक के पद ला बहुंत पईसा देके पाय हवंव।”
त पौलुस ह कहिस, “मेंह तो जनम ले रोमी नागरिक अंव।”
29 तब जऊन मन पौलुस के जांच करइया रिहिन, ओमन तुरते उहां ले हट गीन। सेनापति खुद ए सोचके डर्रा गीस कि पौलुस ह रोमी नागरिक ए अऊ ओह ओला संकली म बंधवाय हवय।
बईरीमन बर मया
(मत्ती 5:38-48; 7:12)
27 “पर मेंह तुमन ला जऊन मन मोर गोठ ला सुनत हव, ए कहत हंव: अपन बईरीमन ले मया करव; ओमन के भलई करव जऊन मन तुमन ले घिन करथें। 28 ओमन ला आसिस देवव, जऊन मन तुमन ला सराप देथें; ओमन बर पराथना करव, जऊन मन तुम्हर संग गलत बरताव करथें। 29 कहूं कोनो तुम्हर एक गाल म थपरा मारथे, त ओकर कोति दूसर गाल ला घलो कर देवव। कहूं कोनो तुम्हर ओढ़ना ला ले लेथे, त ओला तुम्हर कुरता लेय बर झन रोकव। 30 जऊन कोनो तुम्हर ले मांगथे, ओला देवव; अऊ कहूं कोनो तुम्हर चीज ला ले जावय, त ओला वापिस झन मांगव। 31 जइसने तुमन चाहथव कि मनखेमन तुम्हर संग करंय, वइसने तुमन घलो ओमन के संग करव।
32 यदि तुमन ओमन ले मया करथव, जऊन मन तुम्हर ले मया करथें, त तुम्हर का बड़ई? काबरकि पापीमन घलो अपन ले मया करइयामन ले मया करथें। 33 अऊ यदि तुमन ओमन के भलई करथव, जऊन मन तुम्हर भलई करथें, त तुम्हर का बड़ई? काबरकि पापीमन घलो अइसने करथें। 34 अऊ यदि तुमन ओमन ला उधार देथव, जऊन मन ले तुमन वापिस पाय के आसा करथव, त तुम्हर का बड़ई? काबरकि पापीमन घलो पापीमन ला ए आसा म उधार देथें कि ओमन ला पूरा-पूरी वापिस मिलही। 35 पर अपन बईरीमन ले मया करव, ओमन के भलई करव, अऊ बिगर कुछू चीज वापिस पाय के आसा म ओमन ला उधार देवव। तभे तुमन ला बड़े इनाम मिलही, अऊ तुमन परम परधान परमेसर के बेटा होहू, काबरकि ओह गुन नइं चिनहइया अऊ दुस्ट मनखेमन ऊपर दया करथे। 36 दयालु बनव, जइसने तुम्हर स्वरगीय ददा ह दयालु ए।”
आने ऊपर दोस झन लगावव
(मत्ती 7:1-4)
37 “आने मन के नुक्ता-चीनी झन करव, त तुम्हर घलो नुक्ता-चीनी नइं करे जाही। आने मन ला दोसी झन ठहरावव, त तुमन ला घलो दोसी नइं ठहराय जाही। आने मन ला छेमा करव, त तुमन ला घलो छेमा करे जाही। 38 आने मन ला देवव, त तुमन ला घलो दिये जाही। बने ढंग ले नापके, दबा-दबाके, हला-हला के, अऊ उछरत तुम्हर कोरा म डारे जाही। काबरकि जऊन नाप ले तुमन आने मन बर नापथव, ओही नाप ले तुम्हर बर घलो नापे जाही।”
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.