Book of Common Prayer
जब दाऊद अबीमेलेक क समन्वा पागल होइ क देखाँवा किहस। जेहसे अबीमेलेक ओका भगाइ देइ, इ प्रकार दाऊद ओका तजिके चला गवा। उहइ अवसर पइ दाऊद क एक ठु पद।
1 मइँ यहोवा क सदा धन्न कहब।
मोरे ओंठन पइ सदा ओकर स्तुति अहइ।
2 हे नम्र लोगो! सुना अउ खुस होइ जा।
मोर सेखी यहोवा क बारे मँ अहइ।
3 मोरे संग यहोवा क गरिमा क गुणगान करा।
आवा, हम एक साथ घोसना करी कि उ केतॅना अच्छा अहइ।
4 मइँ परमेस्सर क लगे मदद माँगइ गएउँ, उ मोर सुनेस।
उ मोका ओन सबहिं बातन स बचाएस जेनसे मइँ डेरात हउँ।
5 गरीब लोग ओकरे कइँती मदद बरे लखत हीं।
ओनकर फीका चेहरन खुसी स गाइ उठेन
काहेकि उ ओनका उत्तर दिहस।
6 इ दीन जन यहोवा क मदद बरे पुकारेस,
अउर यहोवा मोर सुनि लिहस।
अउर उ सब विपत्तियन स मोर रच्छा किहस।
7 यहोवा क दूत ओकरे भगत जनन क चारिहुँ कइँती डेरा डाए रहत ह।
अउर यहोवा क दूत ओन लोगन क रच्छा करत ह।
8 चखा अउर समझा कि यहोवा केतॅना भला बाटइ।
उ मनई जउन यहोवा क भरोसे अहइ फुरइ खुस रही।
9 यहोवा क पवित्तर जन क ओकर आराधना करइ चाही।
यहोवा क भगतन बरे कउनो दूसर सुरच्छित ठउर नाहीं बा।
10 आजु जउन बरिआर अहइँ दुर्बल अउ भूखा होइ जइहीं।
मुला जउन परमेस्सर क सरण आवत हीं उ सबइ लोग हर उत्तिम वस्तु पइहीं।
11 हे बालको, मोर सुना,
अउर मइँ तू पचन्क सिखाउब कि यहोवा क सेवा कइसे करइँ।
12 अगर कउनो मनई जिन्नगी स पिरेम करत ह,
अउर बढ़िया अउ बड़की जिन्नगी क जिअइ चाहत ह
13 तउ उ मनई क बुरा नाहीं बोलइ चाही,
उ मनई क झूठ नाहीं बोलइ चाही।
14 बुरा काम जिन करा, नेक काम करत रहा।
सान्ति क कारज करा, सान्ति क प्रयास मँ जुटा रहा जब तलक ओका पाइ न ल्या।
15 यहोवा सज्जन लोगन क रच्छा करत ह।
ओनकर पराथनन पइ उ कान देत ह।
16 मुला यहोवा, जउन बुरा करम करत हीं, अइसे मनइयन क खिलाफ होत ह।
एह बरे उ लोग मरइ क पाछे बिसरि दीन्ह जाइहीं।
17 यहोवा स बिनती करा, उ तोहार सुनी।
उ तू पचन्क तोहरी सबहिं मुसीबतन स बचाइ लेइ।
18 लोगन पइ मुसीबत आइ सकत हीं अउर उ पचे अभिमानी होब तजि देत हीं।
यहोवा ओन लोगन क निअरे रहत ह।
जेनकर टूटा मन अहइँ ओनका उ बचाइ लेइ।
19 होइ सकत ह सज्जन भी बिपदन मँ घिर जाइँ।
मुला यहोवा ओन सज्जन लोगन क ओनकर हर समस्या स रच्छा करी।
20 यहोवा ओनकइ सब हाड़न क रच्छा करी।
ओनकर एक भी हाड़ नाहीं टूटी।
21 दुट्ठता दुटठ लोगन बरे मउत लावत ह।
सज्जन क विरोधी नस्ट होइ जइहीं।
22 यहोवा आपन हर दास क आतिमा बचावत ह।
जउन लोग ओह पइ भरोसा रखत हीं, उ ओन लोगन क नस्ट नाहीं होइ देइ।
1 हे सज्जन लोगो, यहोवा मँ आनन्द मनावा!
सज्जनो सत मनइयो, ओकर स्तुति करा।
2 वीणा बजावा अउर ओकर स्तुति करा।
यहोवा बरे दस तार वाले सारंगी बजावा।
3 अब ओकरे बरे नवा गीत गावा।
खुसी क धुन सुन्दरता स बजावा!
4 परमेस्सर क वचन सत्य अहइ।
जउन भी उ करत ह ओकर तू पचे भरोसा कइ सकत ह।
5 नेकी अउ निस्पच्छता परमेस्सर क भावत ह।
यहोवा आपन खुद क करुणा स इ धरती क भरि दिहेस।
6 यहोवा आदेस दिहस अउ सृस्टि फउरन पइदा होइ गइ।
परमेस्सर क साँस स धरती पइ हर चीज बनी।
7 परमेस्सर सागर मँ एक ही जगहिया पइ जल बटोरेस।
उ सागर क आपन जगह पइ रखत ह।
8 धरती क हर मनई क यहोवा क आदर करइ अउ डेराइ चाही।
इ संसार मँ जउन भी मनई बसा अहइँ, ओनका चाही कि उ पचे ओसे डेराइँ।
9 काहेकि परमेस्सर क सिरिफ बात भइ कहब अहइ, अउर उ बात तुरंत घटि जात ह।
अगर उ कउनो क “रुकइ” क आदेस देइ, तउ उ तुरंत थम जात ह।
10 परमेस्सर चाहइ तउ सबहिं सुझाव बिअर्थ करइ।
उ कउनो भी मनई क सब कुचक्रन क बिअर्थ कइ सकत ह।
11 मुला यहोवा क उपदेस सदा ही खरे होत हीं।
ओकर सब जोजना पीढ़ी दर पीढ़ी खरी होत हीं।
12 धन्न अहइँ उ सबइ मनई जेनकर परमेस्सर यहोवा अहइ।
परमेस्सर ओनका आपन ही मनई होइ क चुनेस ह।
13 यहोवा सरग स खाली लखत रहत ह।
उ सबहिं लोगन क लखत रहत ह।
14 उ ऊपर ऊँचे पइ बनाए भए आसन स
धरती पइ रहइवाले सब मनइयन क लखत रहत ह।
15 परमेस्सर हर कउनो क मन रचेस ह।
तउ कउनो का सोचत अहइ उ समुझत ह।
16 राजा क रच्छा ओकरे बड़की सक्ती स नाहीं होत ह,
अउर कउनो सिपाही आपन निज सक्ती स सुरच्छित नाहीं रहत।
17 जुद्ध मँ फुरइ अस्वबल नाहीं जितावत।
सचमुच तू ओकरी सक्ती स नाहीं बचि सकत्या।
18 जउन लोग यहोवा क अनुसरण करत हीं, ओनका यहोवा लखत ह अउ रखवारी करत ह।
जउन मनई ओकर आराधना करत हीं, ओनका ओकर महान पिरेम बचावत ह।
19 परमेस्सर ओन लोगन क मउत स बचावत ह।
उ सबइ जब भुखान होतेन तब उ ओनका सक्ती देत ह।
20 एह बरे हम यहोवा क बाट जोहब।
उ हमार मदद अउर हमार ढाल अहइ।
21 परमेस्सर मोका आनन्दित करत ह।
मोका फुरइ ओकरे पवित्तर नाउँ पइ भरोसा अहइ।
22 हे यहोवा, हम सचमुच तोहार आराधना करित ह।
तउ तू हम पइ आपन महान पिरेम देखावा।
परमेस्सर अब्राम क बोलावत ह
12 यहोवा अब्राम स कहेस, “आपन देस अउ आपन लोगन क तजि द्या। आपन बाप क परिवारे क तजि द्या अउर उस देस जा जेका मइँ तोहका देखाउब।
2 मइँ तोहका आसीर्बाद देब।
मइँ तू पचन स एक महान रास्ट्र बनाउब।
मइँ तू सबन क नाउँ मसहूर करब।
लोग तोहरे नाउँ क प्रयोग
दूसर लोगन क आसीर्बाद देइ बरे करइही।
3 मइँ उ पचन क असीसब, जउन तोहका असीसिही।
मुला मइँ ओनका सराप देब जउन तोहका सराप दिहेस।
मइँ धरती प सब मनइयन क असीसइ क बरे
तोहका बइपरब।”
अब्राम कनान जात ह
4 तउ अब्राम यहोवा क हुकुम मानेस। उ हारान क तजि दिहस अउ लूत ओकरे संग गवा। इ समइ अब्राम पचहत्तर बरिस क रहा। 5 अब्राम जब हारान तजेस तउ उ अकेल्ला नाही रहा। अब्राम आपन मेहरारु सारै, भतीजा लूत अउ हारान मँ ओनकइ संग जउन कछू रहा, सबक संग लइ आवा। अब्राम क जउन सब दास लोग मिला रहेन, उ सबइ भी ओकरे संग गएन। अब्राम अउ ओकर दल छारान क तजि दिहेस अउ कनान देस तलक जात्रा किहेस। 6 अब्राम कनान देस मँ सकेम क सहर अउ मोरे क बड़का बृच्छ तलक जात्रा किहस। उ समइ कनानी लोग हुआँ रहत रहेन।
7 यहोवा अब्राम क समन्वा परगट भवा। यहोवा कहेस, “मइँ इ देस तोहरे संतानन क देब।”
यहोवा अब्राम क समन्वा जउने जगह प परगट भवा उ जगह प अब्राम एक वेदी यहोवा क आराधना बरे बनाएस।
बिसवास क महिमा
11 बिसवास क मतलब बा, जेकर हम आसा करित ह, ओकरे बरे सुनिस्चित होब। अउर बिसवास क मतलब बा कि हम चाहे कउनो चीज क देखत न अही मुला ओकरे अस्तित्व क बारे मँ सुनिस्चित होब कि उ बा। 2 इही कारण पुरानन क परमेस्सर क आदर मिला भआ रहा।
3 बिसवास क आधार पर ही हम इ जानित ह कि परमेस्सर क आदेस स जगत क रचना भइ रही। इही बरे जउन दृस्य बा, उ दृस्य स नाहीं बना बा।
4 हाबिल तउ बिसवास क कारण ही परमेस्सर क कैन स अच्छी बलि चढ़ाए रहा। बिसवास क कारण ही ओका एक धर्मी मनई क रूप मँ तब सम्मान मिला रहा जब परमेस्सर त ओकरी भेंटन क प्रसंसा किहे रहा। अउर बिसवास क कारण उ आजऊ बोल थीं जद्यपि उ मरी चुका अहइ।
5 बिसवास क कारण ही हनोक क एह जीवन स उप्पर उठाइ लिहा गवा रहा ताकि ओका मउत क अनुभव न होइ। परमेस्सर तउ काहेकि ओका दूर हटाइ दिहे रहा इही बरे उ पावा नाहीं गवा। काहेकि ओका उठावा जाइ स पहिले परमेस्सर क प्रसन्न करइवाले क रूप मँ ओका सम्मान मिल चुका रहा। 6 बिसवास के बिना परमेस्सर क खुस करब असम्मभव रहा। काहेकि हरएक उ जउन ओकरे लगे आवत ह, ओकरे बरे इ जरूरी बा कि उ एह बात क बिसवास करइ कि परमेस्सर क अस्तित्व बा अउर उ जउन ओका सच्चाई क साथ खोजत ह, उ ओन्हे ओकर प्रतिफल देत ह।
7 बिसवास क कारण ही नूह क जब ओन्हन बातन क चेतावनी दीन्ह गइ जउन उ देखे तक नाहीं रहा तउ उ पवित्तर भय स भरा आपन परिवार क बचावइ क बरे एक नाव क निर्माण किहे रहा। अपने बिसवासे स ही उ एह संसार क दोसपूर्ण मानेस अउर ओह धार्मिकता क उतराधिकारी बना जउन बिसवास स आवत ह।
8 बिसवास क कारण ही, जब इब्राहीम क अइसेन स्थान प जाइके बरे बोलावा गवा रहा, जेका बाद मँ उतराधिकार क रुप मँ ओका पावइ क रहा, जदि उ इ जानत तक नाहीं रहा कि उ कहाँ जात बा, फिन भी उ आज्ञा मानेस अउर उ चला गवा। 9 बिसवास क कारण ही जउने धरती क देइ क ओका बचन दीन्ह गवा रहा, ओह प उ एका अनाजान परदेसी क समान आपन घरे बनाइके निवास किहेस। उ तम्बुवन मँ वइसेन रहा जइसेन इसहाक अउर याकूब रहत रहेन जउन ओकरे संग परमेस्सर क ओह प्रतिज्ञा क उतराधिकारी रहेन। 10 उ मजबूत आधारवाली उ नगरी क बाट जोहत रहा जेकर सिल्पी अउर निर्माण कर्ता परमेस्सर अहइ।
11 बिसवास क कारण ही, इब्राहीम जउन बूढ़ा होइ चुका रहा अउर सारा जउन खुद बाँझ रही, जे बचन दिहे रहा, ओका बिसवासनीय समझिके गर्भवती भइ अउर इब्राहीम क बाप बनाइ दिहेस। 12 अउर एह तरह इ एक्कइ मनई स जउन मरियल स रहा, अकास क तारन जेतनी असंख्य अउर सागर-तट क रेत-कणन जेतनी अनगिनत संतान भइन।
35 ईसू ओनसे कहेस, “मइँ उ रोटी अहउँ जउन जीवन देत ह। जउन मनई मोरे पास आवत ह, उ कबहूँ भूखा नाहीं रहत अउर जउन मोरे मँ बिसवास करत ह, उ कबहूँ पियासा नाहीं रहत। 36 मइँ तोह सबन क पहले स बताइ चुका अहउँ कि तू मोका देख लिए अहा, तबहूँ मोहमाँ बिसवास नाहीं करत्या। 37 एक एक मनई जेहिका परमपिता मोका सौंपे अहइ, मोरे पास आई जउन मोरे पास आवत ह, मइँ ओका कबहूँ न लौटाउब। 38 मइँ सरग स अपनी मर्जी स काम करइ नाहीं आइ अहउँ, मइँ तउ ओकर मरजी क पूरा करइ आइ बाटेउँ, जउन मोका हिआँ भेजे अहइ। 39 अउर उ भेजइवाले क इच्छा इ बाटइ कि जेका जेका उ मोका सौपे अहइ, ओहमाँ म एकउ क न खोइ देउँ अउर आखिरी दिन ओनका सबका जिन्दा कइ देउँ। 40 इहइ मोरे परमपिता क इच्छा अहइ कि हर एक मनई जउन पूत क देखत ह अउर ओहमाँ बिसवास करत ह, अनन्त जीवन पाई अउर आखिरी दिन मइँ ओका जियाइ देइ।”
41 इ सुनिके यहूदियन ईसू प बड़बड़ाय लागेन, काहेकि उ कहत रहा, “मइँ उ रोटी अहउँ जउन सरग स उतरी अहउँ।” 42 अउर उ पचे कहेन, “का इ यूसुफ क पूत ईसू न अहइ का हम एनके महतारी बाप क नाहीं जानित? फिन इ कइसे कहत बा कि ‘मइँ सरग स उतरा हउँ’?”
48 मइँ उ रोटी अहउँ जउऩ जीवन देत ह। 49 तोहार पचेन्क पूर्वजन रेगिस्तान मँ मन्ना खाए रहेन्ह तबहूँ उ पचे मरि गएन। 50 इ उ रोटी अहइ जउन सरग स उतरत ह जउने कि मनई ओहमाँ स खात ह उ न मरी। 51 जीवन क रोटी जउन सरग स उतरी अहइ, उ मइँ अहउँ। जउऩ मनई इ रोटी खाई, उ हमेसा जीवित रही, अउर जउऩ रोटी मइँ दुनिया क जिन्नगी क बरे देब, उ मोर माँस अहइ। इहइ संसार जिअत रही।”
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