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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
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तीतॉस 2:11-3:8

11 सारी मानवजाति के उद्धार के लिए परमेश्वर का अनुग्रह प्रकट हुआ है, 12 जिसकी हमारे लिए शिक्षा है कि हम गलत कामों और सांसारिक अभिलाषाओं का त्याग कर इस युग में संयम, धार्मिकता और परमेश्वर-भक्ति का जीवन जिएँ 13 तथा अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता मसीह येशु की महिमा के प्रकट होने की सुखद आशा की प्रतीक्षा करें, 14 जिन्होंने स्वयं को हमारे लिए बलिदान कर हमें हर एक दुष्टता से छुड़ा कर, अपने लिए शुद्ध कर भले कामों के लिए उत्साही प्रजा बना लिया है.

15 अधिकारपूर्वक इन सब विषयों की शिक्षा देते हुए लोगों को समझाओ और प्रोत्साहित करो. इसमें कोई भी तुम्हें तुच्छ न जाने.

विश्वासियों के लिए सामान्य निर्देश

उन्हें याद दिलाओ कि वे हाकिमों तथा अधिकारियों के अधीन रहें, आज्ञाकारी रहें तथा हर एक भले काम के लिए तैयार रहें, किसी की बुराई न करें, झगड़ालू नहीं, कोमल स्वभाव के हों तथा सबके साथ विनम्र रहें.

कभी हम भी निर्बुद्धि, आज्ञा न माननेवाले, गलत, भिन्न-भिन्न प्रकार के सुख-विलास के दास थे; बैर-भाव, जलन और घृणा के पात्र के रूप में एक दूसरे के प्रति घृणा में जी रहे थे. किन्तु जब परमेश्वर, हमारे उद्धारकर्ता की कृपा तथा मानवजाति के प्रति उनका प्रेम प्रकट हुआ तो उन्होंने हमें उद्धार प्रदान किया—उन कामों के आधार पर नहीं जो हमने धार्मिकता में किए हैं परन्तु अपनी ही कृपा के अनुसार नए जन्म के स्नान तथा पवित्रात्मा के नवीकरण की निष्पत्ति में उसी पवित्रात्मा की पूर्ति में, जो उन्होंने हमारे उद्धारकर्ता मसीह येशु द्वारा बहुतायत में हम पर उण्डेल दिया कि उनके अनुग्रह के द्वारा हम धर्मी घोषित किए जाकर अनन्त जीवन की आशा के अनुसार वारिस बन जाएँ. ये बात विश्वास करने योग्य हैं.

और मैं चाहता हूँ कि तुम इन विषयों को निडरता से सिखाओ कि जिन्होंने परमेश्वर में विश्वास किया है, उनके मन उन कामों पर केन्द्रित हो जाएँ, जो सबके लिए आदर्श और लाभदायक हैं.

लूकॉ 1:39-48

मरियम की एलिज़ाबेथ से भेंट

39 मरियम तुरन्त यहूदिया प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र के एक नगर को चली गईं. 40 वहाँ उन्होंने ज़कर्याह के घर पर जाकर एलिज़ाबेथ को नमस्कार किया. 41 जैसे ही एलिज़ाबेथ ने मरियम का नमस्कार सुना, उनके गर्भ में शिशु उछल पड़ा और एलिज़ाबेथ पवित्रात्मा से भर गईं. 42 वह उल्लसित शब्द में बोल उठी, “तुम सभी नारियों में धन्य हो और धन्य है तुम्हारे गर्भ का फल! 43 मुझ पर यह कैसी कृपादृष्टि हुई है, जो मेरे प्रभु की माता मुझसे भेंट करने आई हैं! 44 देखो तो, जैसे ही तुम्हारा नमस्कार मेरे कानों में पड़ा, हर्षोल्लास से मेरे गर्भ में शिशु उछल पड़ा. 45 धन्य है वह, जिसने प्रभु द्वारा कही हुई बातों के पूरा होने का विश्वास किया है!”

मरियम का स्तुति गान

46 इस पर मरियम के वचन ये थे:

“मेरा प्राण प्रभु की प्रशंसा करता है
47     और मेरी अन्तरात्मा परमेश्वर, मेरे उद्धारकर्ता में आनन्दित हुई है,
48 क्योंकि उन्होंने अपनी दासी की
    दीनता की ओर दृष्टि की है.
अब से सभी पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी,

लूकॉ 1:48-56

48 क्योंकि उन्होंने अपनी दासी की
    दीनता की ओर दृष्टि की है.
अब से सभी पीढ़ियाँ मुझे धन्य कहेंगी,
49     क्योंकि सामर्थी ने मेरे लिए बड़े-बड़े काम किए हैं. पवित्र है उनका नाम.
50 उनकी दया उनके श्रद्धालुओं पर पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है.
51 अपने भुजबल से उन्होंने प्रतापी काम किए हैं और अभिमानियों को बिखरा दिया है.
52 परमेश्वर ने राजाओं को उनके सिंहासनों से नीचे उतार दिया
    तथा विनम्रों को उठाया है.
53 उन्होंने भूखों को उत्तम पदार्थों से तृप्त किया
    तथा सम्पन्नों को खाली लौटा दिया.
54-55 उन्होंने अपने सेवक इस्राएल की सहायता अपनी उस करूणा के स्मरण में की,
    जिसकी प्रतिज्ञा उसने हमारे बाप-दादों से करी थी और जो अब्राहाम तथा उनके वंशजों पर सदा सर्वदा रहेगी”.

56 लगभग तीन माह एलिज़ाबेथ के साथ रह कर मरियम अपने घर लौट गईं.

Saral Hindi Bible (SHB)

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