Book of Common Prayer
लाओदीकेइया की कलीसिया को
14 “लाओदीकेइया नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो:
जो आमेन, विश्वासयोग्य, सच्चा गवाह और परमेश्वर की सृष्टि का आधार है, उसका कहना यह है: 15 मैं तुम्हारे कामों से परिचित हूँ—तुम न तो ठण्ड़े हो और न गर्म—उत्तम तो यह होता कि तुम ठण्ड़े ही होते या गर्म ही. 16 इसलिए कि तुम कुनकुने हो; न गर्म, न ठण्ड़े, मैं तुम्हें अपने मुख से उगलने पर हूँ. 17 तुम्हारा तो यह दावा है, ‘मैं धनी हूँ, मैं समृद्ध हो गया हूँ तथा मुझे कोई कमी नहीं है,’ किन्तु तुम नहीं जानते कि वास्तव में तुम तुच्छ, अभागे, अंधे तथा नंगे हो. 18 तुम्हारे लिए मेरी सलाह है कि तुम मुझसे आग में शुद्ध किया हुआ सोना मोल लो कि तुम धनवान हो जाओ; मुझसे सफ़ेद वस्त्र लेकर पहन लो कि तुम अपने नंगेपन की लज्जा को ढ़ाँप सको. मुझसे सुर्मा लेकर अपनी आँखों में लगाओ कि तुम्हें दिखाई देने लगे.
19 अपने सभी प्रेम करनेवालों को मैं ताड़ना देता तथा अनुशासित करता हूँ. इसलिए बहुत उत्साहित होकर पश्चाताप करो. 20 सुनो! मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता रहा हूँ. यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, मैं उसके घर में प्रवेश करूँगा तथा मैं उसके साथ और वह मेरे साथ भोजन करेगा.
21 जो जयवन्त होगा, उसे मैं अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठने का अधिकार दूँगा—ठीक जैसे स्वयं मैंने विजय प्राप्त की तथा अपने पिता के साथ उनके सिंहासन पर आसीन हुआ. 22 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्रात्मा का क्या कहना है.”
प्रभु येशु के दोबारा आने के समय के विषय में संकेत
32 “अंजीर के पेड़ से शिक्षा लो: जब उसमें कोंपलें फूटने लगती हैं, पत्तियाँ निकलने लगती हैं तो तुम जान लेते हो कि गर्मी का समय पास है. 33 इसी प्रकार तुम जब भी इन सभी घटनाओं को होते देखो तो समझ लेना कि वह पास हैं—परन्तु द्वार पर ही हैं. 34 सच्चाई तो यह है कि इन घटनाओं के हुए बिना इस युग का अन्त नहीं होगा. 35 आकाश तथा पृथ्वी खत्म हो जाएँगे किन्तु मेरे कहे हुए शब्द कभी नहीं. 36 वैसे उस दिन तथा उस समय के विषय में किसी को भी मालूम नहीं है—न स्वर्गदूतों को और न ही पुत्र को—परन्तु मात्र पिता को ही यह मालूम है.”[a]
सावधान रहने की आज्ञा
(मारक 13:32-37; लूकॉ 21:34-38)
37 “ठीक नोहा के दिनों जैसा होगा मनुष्य के पुत्र का आगमन: 38 जल-बाढ़ के पहले उन दिनों में लोग तब तक खाते-पीते रहे और उनमें विवाह होते रहे जब तक नोहा ने समुद्री जहाज़ में प्रवेश न किया. 39 लोग तब तक कुछ न समझे जब तक बाढ़ ने आ कर उन्हें डुबो न दिया. ऐसा ही होगा मनुष्य के पुत्र का आगमन.
40 “उस समय दो व्यक्ति खेत में कार्य कर रहे होंगे; एक उठा लिया जाएगा, दूसरा रह जाएगा. 41 दो स्त्रियाँ चक्की पर अनाज पीस रही होंगी; एक उठा ली जाएगी, दूसरी रह जाएगी.
42 “इसलिए हमेशा सावधान रहो क्योंकि तुम यह नहीं जानते कि तुम्हारे प्रभु का आगमन किस दिन होगा. 43 याद रखो कि यदि घर के स्वामी को यह पता हो कि चोर रात में किस समय आएगा तो वह सावधान हो जाएगा तथा घर में सेन्ध लगने न देगा. 44 तुम्हारा भी इसी प्रकार सावधान रहना ज़रूरी है क्योंकि मनुष्य के पुत्र का आगमन ऐसे समय पर होगा जिसकी तुम कल्पना तक नहीं कर सकते.”
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