Book of Common Prayer
3 क्या हमने दोबारा अपनी बड़ाई करनी शुरु कर दी? या कुछ अन्य व्यक्तियों के समान हमें भी तुमसे या तुम्हारे लिए सिफारिश के पत्रों की ज़रूरत है? 2 हमारे पत्र तो तुम स्वयं हो—हमारे हृदयों पर लिखे हुए—जो सबके द्वारा पहचाने तथा पढ़े जा सकते हो. 3 यह साफ़ ही है कि मसीह का पत्र तुम हो—हमारी सेवकाई का परिणाम—जिसे स्याही से नहीं परन्तु जीवित परमेश्वर की आत्मा से पत्थर की पटिया पर नहीं परन्तु मनुष्य के हृदय की पटिया पर लिखा गया है. 4 हमें मसीह के द्वारा परमेश्वर में ऐसा ही विश्वास है. 5 स्थिति यह नहीं कि हम यह दावा करें कि हम अपने आप में कुछ कर सकने के योग्य हैं—परमेश्वर हमारी योग्यता का स्त्रोत हैं, 6 जिन्होंने हमें नई वाचा का काम करने योग्य सेवक बनाया. यह वाचा लिखी हुई व्यवस्था की नहीं परन्तु आत्मा की है. लिखी हुई व्यवस्था मृत्यु को जन्म देती है मगर आत्मा जीवन देती है.
नई वाचा का वैभव
7 यदि पत्थर की पटिया पर खोदे गए अक्षरों में अंकित मृत्यु की वाचा इतनी तेजोमय थी कि इस्राएल के वंशज मोशेह के मुख पर अपनी दृष्टि स्थिर रख पाने में असमर्थ थे—यद्यपि यह तेज धीरे-धीरे कम होता जा रहा था. 8 तो फिर आत्मा की वाचा और कितनी अधिक तेजोमय न होगी? 9 यदि दण्ड-आज्ञा की वाचा का प्रताप ऐसा है तो धार्मिकता की वाचा का प्रताप और कितना अधिक बढ़कर न होगा? 10 सच तो यह है कि इस वर्तमान प्रताप के सामने वह पहले का प्रताप, प्रताप रह ही नहीं गया. 11 यदि उसका तेज ऐसा था, जो लगातार कम हो रहा था, तो उसका तेज, जो हमेशा स्थिर है, और कितना अधिक बढ़कर न होगा!
12 इसी आशा के कारण हमारी बातें बिना डर की है. 13 हम मोशेह के समान भी नहीं, जो अपना मुख इसलिए ढ़का रखते थे कि इस्राएल के लोग उस धीरे-धीरे कम होते हुए तेज को न देख पाएँ. 14 वास्तव में इस्राएल के लोगों के मन मन्द हो गए थे. पुराना नियम देने के अवसर पर आज भी वही पर्दा पड़ा रहता है क्योंकि यह पर्दा सिर्फ मसीह में हटाया जाता है. 15 हाँ, आज भी जब कभी मोशेह का ग्रन्थ पढ़ा जाता है, उनके हृदय पर पर्दा पड़ा रहता है. 16 यह पर्दा उस समय हटता है, जब कोई व्यक्ति प्रभु की ओर मन फिराता है. 17 यही प्रभु वह आत्मा हैं तथा जहाँ कहीं प्रभु का आत्मा मौजूद हैं, वहाँ स्वतंत्रता है 18 और हम, जो खुले मुख से प्रभु की महिमा निहारते हैं, उनके स्वरूप में धीरे-धीरे बढ़ती हुई महिमा के साथ बदलते जा रहे हैं. यह महिमा प्रभु से, जो आत्मा हैं, बाहर निकलती है.
बुद्धिमान भण्ड़ारी
16 मसीह येशु ने अपने शिष्यों को यह वृत्तान्त भी सुनाया: “किसी धनी व्यक्ति का एक भण्ड़ारी था, जिसके विषय में उसे यह सूचना दी गई कि वह उसकी सम्पत्ति का दुरुपयोग कर रहा है. 2 इसलिए स्वामी ने उसे बुला कर उससे पूछताछ की: ‘तुम्हारे विषय में मैं यह क्या सुन रहा हूँ? अपने प्रबन्धन का हिसाब दे दो क्योंकि अब तुम भण्ड़ारी के पद पर नहीं रह सकते.’
3 “भण्ड़ारी मन में विचार करने लगा, ‘अब मैं क्या करूँ? मेरा पद मुझसे छीना जा रहा है. मेरा शरीर इतना बलवान नहीं कि मैं भूमि खोदने का काम करूँ और लज्जा के कारण मैं भीख भी न माँग सकूँगा. 4 अब मेरे सामने क्या रास्ता बचा रह गया है, मैं समझ गया कि मेरे लिए क्या करना सही है कि मुझे पद से हटा दिए जाने के बाद भी लोगों की मित्रता मेरे साथ बनी रहे.’
5 “उसने अपने स्वामी के हर एक कर्ज़दार को बुलवाया. पहिले कर्ज़दार से उसने प्रश्न किया, ‘तुम पर मेरे स्वामी का कितना कर्ज़ है?’
6 “‘3,000 लीटर तेल,’ उसने उत्तर दिया. भण्ड़ारी ने उससे कहा, ‘लो, यह है तुम्हारा बही खाता. तुरन्त बैठ कर इसमें 1,500 लिख दो.’
7 “तब उसने दूसरे को बुलाया उससे पूछा, ‘तुम पर कितना कर्ज़ है?’
“‘30 टन गेहूं.’ भण्ड़ारी ने कहा, ‘अपना बही खाता ले कर उसमें 24 लिख दो.’
8 “स्वामी ने इस ठग भण्ड़ारी की इस चतुराई भरी योजना की सराहना की: सांसारिक लोग ज्योति की सन्तान की तुलना में अपने जैसे लोगों के साथ अपने आचार-व्यवहार में कितने अधिक चतुर हैं!
9 “मैं तुमसे कहता हूँ कि सांसारिक सम्पत्ति का उपयोग अपने मित्र बनाने के लिए करो कि जब यह सम्पत्ति न रहे तो अनन्त काल के घर में तुम्हारा स्वागत हो.
New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.