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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रकाशन 21:9-21

मसीहिक येरूशालेम

तब जिन सात स्वर्गदूतों के पास सात अन्तिम विपत्तियों से भरे सात कटोरे थे, उनमें से एक ने मेरे पास आकर मुझसे कहा, “आओ, मैं तुम्हें वधू—मेमने की पत्नी दिखाऊँ.” 10 तब वह मुझे मेरी आत्मा में ध्यानमग्न अवस्था में एक बड़े पहाड़ के ऊँचे शिखर पर ले गया और मुझे परमेश्वर की ओर से स्वर्ग से उतरता हुआ पवित्र नगर येरूशालेम दिखाया. 11 परमेश्वर की महिमा से सुसज्जित उसकी आभा पारदर्शी स्फटिक जैसे बेशकीमती रत्न सूर्यकान्त के समान थी. 12 नगर की शहरपनाह ऊँची तथा विशाल थी. उसमें बारह द्वार थे तथा बारहों द्वारों पर बारह स्वर्गदूत ठहराए गए थे. उन द्वारों पर इस्राएल के बारह कुलों के नाम लिखे थे. 13 तीन द्वार पूर्व दिशा की ओर, तीन उत्तर की ओर, तीन पश्चिम की ओर तथा तीन दक्षिण की ओर थे. 14 नगर की शहरपनाह की बारह नीवें थीं. उन पर मेमने के बारहों प्रेरितों के नाम लिखे थे.

15 जो स्वर्गदूत, मुझे सम्बोधित कर रहा था, उसके पास नगर, उसके द्वार तथा उसकी शहरपनाह को मापने के लिए सोने का एक मापक-दण्ड था. 16 नगर की संरचना वर्गाकार थी—उसकी लम्बाई उसकी चौड़ाई के बराबर थी. उसने नगर को इस मापदण्ड से मापा. नगर 2,220 किलोमीटर लम्बा, इतना ही चौड़ा और इतना ही ऊँचा था. 17 तब उसने शहरपनाह को मापा. वह सामान्य मानवीय मापदण्ड के अनुसार 65 मीटर थी. यही माप स्वर्गदूत का भी था. 18 शहरपनाह सूर्यकान्त मणि की तथा नगर शुद्ध सोने का बना था, जिसकी आभा निर्मल काँच के समान थी. 19 शहरपनाह की नींव हर एक प्रकार के कीमती पत्थरों से सजायी गयी थी: पहला पत्थर था सूर्यकान्त, दूसरा नीलकान्त, तीसरा स्फटिक, चौथा पन्ना 20 पांचवां गोमेद, छठा माणिक्य, सातवां स्वर्णमणि; आठवाँ हरितमणि; नवाँ पुखराज; दसवां चन्द्रकान्त; ग्यारहवाँ धूम्रकान्त और बारहवाँ नीलम. 21 नगर के बारहों द्वार बारह मोती थे—हर एक द्वार एक पूरा मोती था तथा नगर का प्रधान मार्ग शुद्ध सोने का बना था, जिसकी आभा निर्मल काँच के समान थी.

लूकॉ 1:26-38

मसीह येशु के जन्म की ईश्वरीय घोषणा

26 छठे माह में स्वर्गदूत गब्रिएल को परमेश्वर द्वारा गलील प्रदेश के नाज़रेथ नामक नगर में 27 एक कुँवारी कन्या के पास भेजा गया, जिसका विवाह योसेफ़ नामक एक पुरुष से होना निश्चित हुआ था. योसेफ़, राजा दाविद के वंशज थे. कन्या का नाम था मरियम. 28 मरियम को सम्बोधित करते हुए स्वर्गदूत ने कहा, “प्रभु की कृपापात्री, नमस्कार! प्रभु आपके साथ हैं.”

29 इस कथन को सुन वह बहुत ही घबरा गईं कि इस प्रकार के नमस्कार का क्या अर्थ हो सकता है. 30 स्वर्गदूत ने उनसे कहा, “मत डरिए, मरियम! क्योंकि आप परमेश्वर की कृपा की पात्र हैं. 31 सुनिए! आप गर्भधारण कर एक पुत्र को जन्म देंगी. आप उनका नाम येशु रखें. 32 वह महान होंगे. परमप्रधान के पुत्र कहलाएँगे और प्रभु परमेश्वर उन्हें उनके पूर्वज दाविद का सिंहासन सौंपेंगे, 33 वह याक़ोब के वंश पर हमेशा के लिए राज्य करेंगे तथा उनके राज्य का अन्त कभी न होगा.”

34 मरियम ने स्वर्गदूत से प्रश्न किया, “यह कैसे सम्भव होगा क्योंकि मैं तो कुँवारी हूँ?” 35 स्वर्गदूत ने उत्तर दिया, “पवित्रात्मा आप पर उतरेंगे तथा परमप्रधान का सामर्थ्य आप पर छाया करेगा. इसलिए जो जन्म लेंगे, वह पवित्र और परमेश्वर-पुत्र कहलाएँगे. 36 और यह भी सुनिए: आपकी परिजन एलिज़ाबेथ ने अपनी वृद्धावस्था में एक पुत्र गर्भधारण किया है. वह, जो बाँझ कहलाती थीं, उन्हें छः माह का गर्भ है. 37 परमेश्वर के लिए असम्भव कुछ भी नहीं.” 38 मरियम ने कहा, “देखिए, मैं प्रभु की दासी हूँ. मेरे लिए वही सब हो, जैसा आपने कहा है.” तब वह स्वर्गदूत उनके पास से चला गया.

Saral Hindi Bible (SHB)

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