Book of Common Prayer
दाऊद के लिये।
1 हे परमेश्वर, राजा की सहायता कर ताकि वह भी तेरी तरह से विवेकपूर्ण न्याय करे।
राजपुत्र की सहायता कर ताकि वह तेरी धार्मिकता जान सके।
2 राजा की सहायता कर कि तेरे भक्तों का वह निष्पक्ष न्याय करें।
सहायता कर उसकी कि वह दीन जनों के साथ उचित व्यवहार करे।
3 धरती पर हर कहीं शांती
और न्याय रहे।
4 राजा, निर्धन लोगों के प्रति न्यायपूर्ण रहे।
वह असहाय लोगों की सहायता करे। वे लोग दण्डित हो जो उनको सताते हो।
5 मेरी यह कामना है कि जब तक सूर्य आकाश में चमकता है, और चन्द्रमा आकाश में है।
लोग राजा का भय मानें। मेरी आशा है कि लोग उसका भय सदा मानेंगे।
6 राजा की सहायता, धरती पर पड़ने वाली बरसात बनने में कर।
उसकी सहायता कर कि वह खेतों में पड़ने वाली बौछार बने।
7 जब तक वह राजा है, भलाई फूले—फले।
जब तक चन्द्रमा है, शांति बनी रहे।
8 उसका राज्य सागर से सागर तक
तथा परात नदी से लेकर सुदूर धरती तक फैल जाये।
9 मरूभूमि के लोग उसके आगे झुके।
और उसके सब शत्रु उसके आगे औधे मुँह गिरे हुए धरती पर झुकें।
10 तर्शीश का राजा और दूर देशों के राजा उसके लिए उपहार लायें।
शेबा के राजा और सबा के राजा उसको उपहार दे।
11 सभी राजा हमारे राजा के आगे झुके।
सभी राष्ट्र उसकी सेवा करते रहें।
12 हमारा राजा असहायों का सहायक है।
हमारा राजा दीनों और असहाय लोगों को सहारा देता है।
13 दीन, असहाय जन उसके सहारे हैं।
यह राजा उनको जीवित रखता है।
14 यह राजा उनको उन लोगों से बचाता है, जो क्रूर हैं और जो उनको दु:ख देना चाहते हैं।
राजा के लिये उन दीनों का जीवन बहुत महत्वपूर्ण है।
15 राजा दीर्घायु हो!
और शेबा से सोना प्राप्त करें।
राजा के लिए सदा प्रार्थना करते रहो,
और तुम हर दिन उसको आशीष दो।
16 खेत भरपूर फसल दे।
पहाड़ियाँ फसलों से ढक जायें।
ये खेत लबानोन के खेतों से उपजाऊँ हो जायें।
नगर लोगों की भीड़ से भर जाये, जैसे खेत घनि घास से भर जाते हैं।
17 राजा का यश सदा बना रहे।
लोग उसके नाम का स्मरण तब तक करते रहें, जब तक सूर्य चमकता है।
उसके कारण सारी प्रजा धन्य हो जाये
और वे सभी उसको आशीष दे।
18 यहोवा परमेश्वर के गुण गाओं, जो इस्राएल का परमेश्वर है!
वही परमेश्वर ऐसे आश्चर्यकर्म कर सकता है।
19 उसके महिमामय नाम की प्रशंस सदा करों!
उसकी महिमा समस्त संसार में भर जाये!
आमीन और आमीन!
20 (यिशै के पुत्र दाऊद की प्रार्थनाएं समाप्त हुई।)
1 यहोवा के गुण गाओ!
यहोवा का अपने सम्पूर्ण मन से ऐसी उस सभा में धन्यवाद करता हूँ
जहाँ सज्जन मिला करते हैं।
2 यहोवा ऐसे कर्म करता है, जो आश्चर्यपूर्ण होते हैं।
लोग हर उत्तम वस्तु चाहते हैं, वही जो परमेश्वर से आती है।
3 परमेश्वर ऐसे कर्म करता है जो सचमुच महिमावान और आश्चर्यपूर्ण होते हैं।
उसका खरापन सदा—सदा बना रहता है।
4 परमेश्वर अद्भुत कर्म करता है ताकि हम याद रखें
कि यहोवा करूणापूर्ण और दया से भरा है।
5 परमेश्वर निज भक्तों को भोजन देता है।
परमेश्वर अपनी वाचा को याद रखता है।
6 परमेश्वर के महान कार्य उसके प्रजा को यह दिखाया
कि वह उनकी भूमि उन्हें दे रहा है।
7 परमेश्वर जो कुछ करता है वह उत्तम और पक्षपात रहित है।
उसके सभी आदेश पूरे विश्वास योग्य हैं।
8 परमेश्वर के आदेश सदा ही बने रहेंगे।
परमेश्वर के उन आदेशों को देने के प्रयोजन सच्चे थे और वे पवित्र थे।
9 परमेश्वर निज भक्तों को बचाता है।
परमेश्वर ने अपनी वाचा को सदा अटल रहने को रचा है, परमेश्वर का नाम आश्चर्यपूर्ण है और वह पवित्र है।
10 विवेक भय और यहोवा के आदर से उपजता है।
वे लोग बुद्धिमान होतेहैं जो यहोवा का आदर करते हैं।
यहोवा की स्तुति सदा गायी जायेगी।
1 यहोवा की प्रशंसा करो!
हे यहोवा के सेवकों यहोवा की स्तुति करो, उसका गुणगान करो!
यहोवा के नाम की प्रशंसा करो!
2 यहोवा का नाम आज और सदा सदा के लिये और अधिक धन्य हो।
यह मेरी कामना है।
3 मेरी यह कामना है, यहोवा के नाम का गुण पूरब से जहाँ सूरज उगता है,
पश्चिम तक उस स्थान में जहाँ सूरज डूबता है गाया जाये।
4 यहोवा सभी राष्ट्रों से महान है।
उसकी महिमा आकाशों तक उठती है।
5 हमारे परमेश्वर के समान कोई भी व्यक्ति नहीं है।
परमेश्वर ऊँचे अम्बर में विराजता है।
6 ताकि परमेश्वर अम्बर
और नीचे धरती को देख पाये।
7 परमेश्वर दीनों को धूल से उठाता है।
परमेश्वर भिखारियों को कूड़े के घूरे से उठाता है।
8 परमेश्वर उन्हें महत्वपूर्ण बनाता है।
परमेश्वर उन लोगों को महत्वपूर्ण मुखिया बनाता है।
9 चाहै कोई निपूती बाँझ स्त्री हो, परमेश्वर उसे बच्चे दे देगा
और उसको प्रसन्न करेगा।
यहोवा का गुणगान करो!
परमेश्वर अपने लोगों की सहायता करना चाहता है
9 वे कहा करते हैं, यह व्यक्ति कौन है यह किसे शिक्षा देने की कोशिश कर रहा है वह अपने सन्देश किसे समझा रहा है क्या उन बच्चों को जिनका अभी—अभी दूध छुड़ाया गया है क्या उन बच्चों को जिन्हें अभी—अभी अपनी माताओं की छाती से दूर किया गया है 10 इसीलिए यहोवा उन से इस प्रकार बोलता है जैसे वे दूध मुँहे बच्चे हों।
सौ लासौ सौ लासौ
काव लाकाव काव लाकाव
ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम।[a]
11 फिर यहोवा उन लोगों से बात करेगा उसके होंठ काँपते हुए होंगे और वह उन लोगों से बातें करने में दूसरी विचित्र भाषा का प्रयोग करेगा।
12 यहोवा ने पहले उन लोगों से कहा था, “यहाँ विश्राम का एक स्थान है। थके मांदे लोगों को यहाँ आने दो और विश्राम पाने दो। यह शांति का ठौर है।” किन्तु लोगों ने परमेश्वर की सुननी नहीं चाही। 13 सो परमेश्वर के वचन किसी विचित्र भाषा के जैसे हो जाएँगे।
“सौ लासौ सौ लासौ
काव लाकाव काव लाकाव
ज़ेईर शाम ज़ेईर शाम।”
सो लोग जब चलेंगे तो पीछे की ओर लुढ़क जाएँगे और जख्मी होंगे। लोगों को फँसा लिया जाएगा और वे पकड़े जाएँगे।
परमेश्वर के न्याय से कोई नहीं बच सकता
14 हे, यरूशलेम के आज्ञा नहीं माननेवाले अभिमानी मुखियाओं, तुम यहोवा का सन्देश सुनो। 15 तुम लोग कहते हो, “हमने मृत्यु के साथ एक वाचा किया है। शेओल (मृत्यु का प्रदेश) के साथ हमारा एक अनुबन्ध है। इसलिए हम दण्डित नहीं होंगे। दण्ड हमें हानि पहुँचाये बिना हमारे पास से निकल जायेगा। अपनी चालाकियों और अपनी झूठों के पीछे हम छिप जायेंगे।”
16 इन बातों के कारण मेरा स्वामी यहोवा कहता है: “मैं एक पत्थर—एक कोने का पत्थर—सिय्योन में धरती पर गाड़ूँगा। यह एक अत्यन्त मूल्यवान पत्थर होगा। इस अति महत्त्वपूर्ण पत्थर पर ही हर किसी वस्तु का निर्माण होगा। जिसमें विश्वास होगा, वह कभी घबराएगा नहीं।
17 “लोग दीवार की सीध देखने के लिये जैसे सूत डाल कर देखते हैं, वैसे ही मैं जो उचित है उसके लिए न्याय और खरेपन का प्रयोग करुँगा। तुम दुष्ट लोग अपनी झूठों और चालाकियों के पीछे अपने को छुपाने का जतन कर रहे हो, किन्तु तुम्हें दण्ड दिया जायेगा। यह दण्ड ऐसा ही होगा जैसे तुम्हारे छिपने के स्थानों को नष्ट करने के लिए कोई तूफान या कोई बाढ़ आ रही हो। 18 मृत्यु के साथ तुम्हारे वाचा को मिटा दिया जायेगा। अधोलोक के साथ हुआ तुम्हारा सन्धि भी तुम्हारी सहायता नहीं करेगा।
“जब भयानक दण्ड तुम पर पड़ेगा तो तुम कुचले जाओगे। 19 वह हर बार जब आएगा तुम्हें वहाँ ले जाएगा। तुम्हारा दण्ड भयानक होगा। तुम्हें सुबह दर सुबह और दिन रात दण्ड मिलेगा।
“तब तुम इस कहानी को समझोगे: 20 कोई पुरुष एक ऐसे बिस्तर पर सोने का जतन कर रहा था जो उसके लिये बहुत छोटा था। उसके पास एक कंबल था जो इतना चौड़ा नहीं था कि उसे ढक ले। सो वह बिस्तर और वह कम्बल उसके लिए व्यर्थ रहे और देखो तुम्हारा वाचा भी तुम्हारे लिये ऐसा ही रहेगा।”
21 यहोवा वैसे ही युद्ध करेगा जैसे उसने पराजीम नाम के पहाड़ पर किया था। यहोवा वैसे ही कुपित होगा जैसे वह गिबोन की घाटी में हुआ था। तब यहोवा उन कामों को करेगा जो उसे निश्चय ही करने हैं। यहोवा कुछ विचित्र काम करेगा। किन्तु वह अपने काम को पूरा कर देगा। उसका काम किसी एक अजनबी का काम है। 22 अब तुम्हें इन बातों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए। यदि तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारे बन्धन की रस्सियाँ और अधिक कस जायेंगी। सर्वशक्तिमान यहोवा ने इस समूचे प्रदेश को नष्ट करने की ठान ली है।
जो शब्द मैंने सुने थे, अटल हैं। सो वे बातें अवश्य घटित होंगी।
9 फिर उन सात दूतों में से जिनके पास सात अंतिम विनाशों से भरे कटोरे थे, एक आगे आया और मुझसे बोला, “यहाँ आ। मैं तुझे वह दुल्हिन दिखा दूँ जो मेमने की पत्नी है।” 10 अभी मैं आत्मा के आवेश में ही था कि वह मुझे एक विशाल और ऊँचे पर्वत पर ले गया। फिर उसने मुझे यरूशलेम की पवित्र नगरी का दर्शन कराया। वह परमेश्वर की ओर से आकाश से नीचे उतर रही थी।
11 वह परमेश्वर की महिमा से मण्डित थी। वह सर्वथा निर्मल यशब नामक महामूल्यवान रत्न के समान चमक रही थी। 12 नगरी के चारों ओर एक विशाल ऊँचा परकोटा था जिसमें बारह द्वार थे। उन बारहों द्वारों पर बारह स्वर्गदूत थे। तथा बारहों द्वारों पर इस्राएल के बारह कुलों के नाम अंकित थे। 13 इनमें से तीन द्वार पूर्व की ओर थे, तीन द्वार उत्तर की ओर, तीन द्वार दक्षिण की ओर, और तीन द्वार पश्चिम की ओर थे। 14 नगर का परकोटा बारह नीवों पर बनाया गया था तथा उन पर मेमने के बारह प्रेरितों के नाम अंकित थे।
15 जो स्वर्गदूत मुझसे बात कर रहा था, उसके पास सोने से बनी नापने की एक छड़ी थी जिससे वह उस नगर को, उसके द्वारों को और उसके परकोटे को नाप सकता था। 16 नगर को वर्गाकार में बसाया गया था। यह जितना लम्बा था उतना ही चौड़ा था। उस स्वर्गदूत ने उस छड़ी से उस नगरी को नापा। वह कोई बारह हज़ार स्टोडिया पायी गयी। उसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई एक जैसी थी। 17 स्वर्गदूत ने फिर उसके परकोटे को नापा। वह कोई एक सौ चवालीस हाथ था। उसे मनुष्य के हाथों की लम्बाई से नापा गया था जो हाथ स्वर्गदूत का भी हाथ है। 18 नगर का परकोटा यशब नामक रत्न का बना था तथा नगर को काँच के समान चमकते शुद्ध सोने से बनाया गया था।
19 नगर के परकोटे की नीवें हर प्रकार के बहुमूल्य रत्नों से सजाई गयी थी। नींव का पहला पत्थर यशब का बना था, दूसरी नीलम से, तीसरी स्फटिक से, चौथी पन्ने से, 20 पाँचवीं गोमेद से, छठी मानक से, सातवीं पीत मणि से, आठवीं पेरोज से, नवीं पुखराज से, दसवीं लहसनिया से, ग्यारहवीं धूम्रकांत से और बारहवीं चन्द्रकाँत मणि से बनी थी। 21 बारहों द्वार बारह मोतियों से बने थे, हर द्वार एक-एक मोती से बना था। नगर की गलियाँ स्वच्छ काँच जैसे शुद्ध सोने की बनी थीं।
कुँवारी मरियम
26-27 इलीशिबा को जब छठा महीना चल रहा था, गलील के एक नगर नासरत में परमेश्वर द्वारा स्वर्गदूत जिब्राईल को एक कुँवारी के पास भेजा गया जिसकी यूसुफ़ नाम के एक व्यक्ति से सगाई हो चुकी थी। वह दाऊद का वंशज था। और उस कुँवारी का नाम मरियम था। 28 जिब्राईल उसके पास आया और बोला, “तुझ पर अनुग्रह हुआ है, तेरी जय हो। प्रभु तेरे साथ है।”
29 यह वचन सुन कर वह बहुत घबरा गयी, वह सोच में पड़ गयी कि इस अभिवादन का अर्थ क्या हो सकता है?
30 तब स्वर्गदूत ने उससे कहा, “मरियम, डर मत, तुझ से परमेश्वर प्रसन्न है। 31 सुन! तू गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्म देगी और तू उसका नाम यीशु रखेगी। 32 वह महान होगा और वह परमप्रधान का पुत्र कहलायेगा। और प्रभु परमेश्वर उसे उसके पिता दाऊद का सिंहासन प्रदान करेगा। 33 वह अनन्त काल तक याकूब के घराने पर राज करेगा तथा उसके राज्य का अंत कभी नहीं होगा।”
34 इस पर मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, “यह सत्य कैसे हो सकता है? क्योंकि मैं तो अभी कुँवारी हूँ!”
35 उत्तर में स्वर्गदूत ने उससे कहा, “तेरे पास पवित्र आत्मा आयेगा और परमप्रधान की शक्ति तुझे अपनी छाया में ले लेगी। इस प्रकार वह जन्म लेने वाला पवित्र बालक परमेश्वर का पुत्र कहलायेगा। 36 और यह भी सुन कि तेरे ही कुनबे की इलीशिबा के गर्भ में भी बुढापे में एक पुत्र है और उसके गर्भ का यह छठा महीना है। लोग कहते थे कि वह बाँझ है। 37 किन्तु परमेश्वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं।”
38 मरियम ने कहा, “मैं प्रभु की दासी हूँ। जैसा तूने मेरे लिये कहा है, वैसा ही हो!” और तब वह स्वर्गदूत उसके पास से चला गया।
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