Book of Common Prayer
जिनगी जऊन ह परमेसर ला खुस करथे
4 आखिर म, हे भाईमन, जइसने तुमन हमर ले सिखे हवव कि परमेसर ला खुस करे बर कइसने जिनगी जीना चाही; वास्तव म, तुमन वइसने जिनगी जीयत हवव घलो। पर हमन परभू यीसू म तुमन ले बिनती करत अऊ समझावत हवन कि ओम अऊ बढ़त जावव। 2 तुमन जानत हव कि परभू यीसू कोति ले हमन तुमन ला का हुकूम दे हवन।
3 एह परमेसर के ईछा ए कि तुमन पबितर बनव; तुमन बेभिचार ले दूर रहव; 4 तुमन ले हर एक मनखे सिखय कि अपन देहें ला कइसने बस म करके, ओला पबितर अऊ आदर के लइक रखे जावय। 5 ए काम मूरती-पूजा करइयामन सहीं काम वासना ले नइं होवय, जऊन मन परमेसर ला नइं जानय। 6 अऊ ए बिसय म, कोनो अपन भाई के बिरोध म गलत काम झन करय या ओकर ले कोनो लाभ झन उठावय। परभू ह ओमन ला सजा दिही, जऊन मन अइसने पाप करथें, जइसने कि हमन पहिली ले, तुमन ला बताय हवन अऊ चेतउनी दे हवन। 7 काबरकि परमेसर ह हमन ला असुध होय बर नइं, पर पबितर जिनगी जीये बर बलाय हवय। 8 एकरसेति जऊन कोनो ए हुकूम ला नइं मानय, ओह मनखे के नइं, पर परमेसर के अनादर करथे, जऊन ह तुमन ला अपन पबितर आतमा देथे।
9 अब संगी बिसवासीमन बर, मया के बारे म तुमन ला लिखे के जरूरत नइं ए, काबरकि एक-दूसर ले मया करई तुमन खुद परमेसर ले सिखे हवव। 10 अऊ वास्तव म, मकिदुनिया के जम्मो भाईमन ला तुमन मया करथव। तभो ले, हे भाईमन हो, हमन तुम्हर ले बिनती करथन कि अइसने अऊ करते रहव। 11 सांति ले जिनगी जीयई, अपन खुद के काम ले मतलब रखई, अऊ अपन हांथ ले मिहनत करई – ए बातमन ला अपन उदेस्य बना लेवव, जइसने कि हमन तुमन ला कहे हवन, 12 ताकि अबिसवासी मनखेमन तुम्हर आदर करंय अऊ तुमन काकरो ऊपर बोझा झन बनव।
बदला लेय के बारे म उपदेस
(लूका 6:29-30)
38 “तुमन सुने हवव कि ए कहे गे रिहिस, ‘आंखी के बदला म आंखी अऊ दांत के बदला म दांत।’[a] 39 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि दुस्ट मनखे के सामना झन करव। यदि कोनो तुम्हर जेवनी गाल म थपरा मारथे, त अपन डेरी गाल ला घलो ओकर अंग कर देवव। 40 अऊ यदि कोनो तुम्हर ऊपर मुकदमा चलाके तुम्हर कुरता ला लेय चाहथे, त तुमन ओला अपन कोटी ला घलो लेवन दव। 41 यदि कोनो तुमन ला जबरदस्ती एक मील ले जाथे, त तुमन ओकर संग दू मील चले जावव। 42 जऊन ह तुम्हर ले मांगथे, ओला देवव, अऊ जऊन ह तुम्हर ले उधार मांगथे, ओला उधार देवव।”
बईरीमन बर मया
(लूका 6:27-28, 32-36)
43 “तुमन सुने हवव कि ए कहे गे रिहिस, ‘अपन पड़ोसी ले मया, अऊ बईरीमन ले नफरत करव।’ 44 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि अपन बईरीमन ले मया करव, अऊ जऊन मन तुम्हर ऊपर अतियाचार करथें, ओमन बर पराथना करव।[b] 45 ताकि तुमन अपन स्वरगीय ददा के संतान बन जावव। ओह खराप अऊ बने दूनों मनखेमन ऊपर अपन सूरज चमकाथे, अऊ धरमी अऊ अधरमी दूनों के ऊपर पानी बरसाथे। 46 यदि तुमन ओमन ला मया करथव, जऊन मन तुम्हर ले मया करथें, त तुमन ला का इनाम मिलही? लगान लेवइया पापीमन घलो अइसने करथें। 47 यदि तुमन सिरिप अपन भाईमन ला ही जोहार करथव, त आने मन ले तुमन का बड़े बुता करथव? का आनजातमन घलो अइसने नइं करंय? 48 एकरसेति, तुमन सिद्ध बनव, जइसने स्वरग म रहइया तुम्हर ददा ह सिद्ध अय।”
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