Book of Common Prayer
परमेसर अपन संतान के ताड़ना करथे
12 एकरसेति, जब हमर चारों कोति अइसने बहुंते गवाह हवंय, त आवव, हमन हर ओ बाधा देवइया चीज अऊ फंसा लेवइया पाप ले दूरिहा रहन अऊ ओ दऊड़ ला मन लगाके दऊड़न, जऊन ह हमर आघू म रखे हवय। 2 आवव, हमन यीसू कोति अपन धियान लगाय रखन, जऊन ह सुरू ले लेके आखिरी तक हमर बिसवास के आधार ए अऊ जऊन ह अपन आघू म रखे आनंद खातिर कुरुस के मिरतू ला सहिस। ओह एकर दुवारा बेजत्ती होय के चिंता नइं करिस अऊ परमेसर के सिंघासन के जेवनी हांथ कोति बईठ गीस। 3 एकरसेति, यीसू ऊपर अपन मन लगावव, जऊन ह पापी मनखेमन ले अइसने बिरोध सहिस, ताकि तुमन निरास झन होवव अऊ हिम्मत झन हारव।
4 पाप के बिरूद्ध लड़ई म, तुमन अभी तक ओ जगह म नइं आय हवव, जिहां तुमन ला अपन खून बहाना पड़े हवय। 5 अऊ तुमन उत्साह के ओ बचन ला भुला गे हवव, जऊन म परमेसर ह तुमन ला बेटा सहीं कहिथे:
“हे मोर बेटा, परभू के ताड़ना ला हल्का झन समझ,
अऊ जब ओह तोला दबकारथे, त हिम्मत झन हार,
6 काबरकि परभू ह ओमन के ताड़ना करथे, जऊन मन ला ओह मया करथे,
अऊ ओह हर ओ मनखे ला दंड देथे, जऊन ला ओह बेटा बना लेथे।”
7 दुःख-तकलीफ ला ताड़ना समझके सह लेवव; परमेसर ह तुमन ला अपन बेटा जानके तुम्हर संग बरताव करत हवय। काबरकि का अइसने कोनो बेटा हवय, जेकर ताड़ना ओकर ददा ह नइं करय? 8 हर एक झन के ताड़ना होथे, पर कहूं तुम्हर ताड़ना नइं होईस, त तुमन नजायज संतान अव, अऊ सही के बेटा नो हव। 9 हमन के हर एक के सारीरिक ददा हवंय, जऊन मन हमर ताड़ना करथें अऊ हमन एकर खातिर ओमन के आदर करथन। तब हमन ला हमर आतमा के ददा के अधीन, अऊ जादा रहना चाही ताकि हमन जीयत रहन। 10 हमर ददामन थोरकन समय बर हमर ताड़ना करथें, जइसने ओमन उचित समझथें; पर परमेसर ह हमर भलई बर ताड़ना करथे ताकि हमन ओकर पबितरता म भागीदार होवन। 11 ओतकीच बेरा, कोनो घलो किसम के ताड़ना बने नइं लगय, पर पीरा देथे। पर बाद म, एह ओमन के जिनगी म धरमीपन अऊ सांति के फर लाथे, जऊन मन ए ताड़ना म ले होके गुजर चुके होथें।
12 एकरसेति, अपन कमजोर हांथ अऊ कमजोर माड़ी मन ला मजबूत करव। 13 अपन गोड़ खातिर डहारमन ला समतल करव, ताकि खोरवा ह अपंग झन होवय, पर ओह चंगा हो जावय।
ओमन के बिरोध म चेतउनी, जऊन मन परमेसर ला इनकार करथें
14 जम्मो मनखेमन संग सांति ले रहे के पूरा कोसिस करव अऊ पबितर बने बर घलो पूरा कोसिस करव, काबरकि बिगर पबितरता के, कोनो परभू ला नइं देख सकय।
फरीसी अऊ लगान लेवइया के पटंतर
9 यीसू ह ए पटंतर ओमन बर कहिस जऊन मन अपन-आप ला बहुंत धरमी अऊ आने मन ला तुछ समझंय। 10 “दू झन मनखे मंदिर म पराथना करे बर गीन; ओम के एक झन फरीसी रिहिस अऊ एक झन लगान लेवइया। 11 फरीसी ह ठाढ़ होईस अऊ अपन बारे म अइसने पराथना करन लगिस, ‘हे परमेसर, मेंह तोर धनबाद करत हंव कि मेंह आने मनखेमन सहीं लालची, बेईमान अऊ बेभिचारी नो हंव, अऊ मेंह ए लगान लेवइया के सहीं घलो नो हंव। 12 मेंह हप्ता म दू दिन उपास रखथंव अऊ मेंह अपन जम्मो कमई के दसवां भाग तोला देथंव।’
13 पर लगान लेवइया ह दूरिहा म ठाढ़ होईस। अऊ त अऊ ओह स्वरग कोति आंखी उठाके देखे के हिम्मत घलो नइं करिस, पर ओह अपन छाती ला पीट-पीटके कहिस, ‘हे परमेसर, मोर ऊपर दया कर, मेंह एक पापी मनखे अंव।’
14 मेंह तुमन ला कहत हंव कि ओ फरीसी ह नइं, पर ए लगान लेवइया ह परमेसर के आघू म धरमी गने गीस, जब ओह अपन घर गीस। काबरकि जऊन ह अपन-आप ला बहुंत बड़े समझथे, ओह दीन-हीन करे जाही, अऊ जऊन ह अपन-आप ला दीन-हीन करथे, ओला बड़े करे जाही।”
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