Book of Common Prayer
12 हे मोर लइकामन हो, मेंह तुमन ला लिखत हंव,
काबरकि तुम्हर पाप ह मसीह के नांव खातिर छेमा हो गे हवय।
13 हे ददामन हो, मेंह तुमन ला लिखत हंव,
काबरकि तुमन ओला जानथव, जऊन ह सुरूच ले हवय।
हे जवानमन हो, मेंह तुमन ला लिखत हंव,
काबरकि तुमन ओ दुस्ट ऊपर जय पाय हवव।
हे मोर लइकामन हो, मेंह तुमन ला लिखत हंव,
काबरकि तुमन ददा परमेसर ला जानथव।
14 हे ददामन हो, मेंह तुमन ला लिखत हंव,
काबरकि तुमन ओला जानथव,
जऊन ह संसार के रचे के पहिली ले हवय।
हे जवानमन हो, मेंह तुमन ला लिखत हंव,
काबरकि तुमन मजबूत हवव,
अऊ परमेसर के बचन ह तुमन म बने रहिथे,
अऊ तुमन ओ दुस्ट ऊपर जय पाय हवव।
संसार ले मया झन करव
15 तुमन न तो संसार ले अऊ न संसार के कोनो चीज ले मया करव। कहूं कोनो संसार ले मया करथे, त ओह परमेसर ददा ले मया नइं करय। 16 काबरकि संसार के हर एक चीज जइसने कि – पापी मनखे के लालसा, आंखी के लालसा अऊ जिनगी के घमंड – ए जम्मो चीज परमेसर ददा के नो हय, पर एह संसार के अय। 17 संसार अऊ एकर लालसा ह खतम हो जाही, पर जऊन मनखे ह परमेसर के मनसा ला पूरा करथे, ओह सदाकाल तक परमेसर के संग रहिही।
चरवाहा (गड़रिया) अऊ ओकर झुंड
10 “मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि जऊन मनखे ह दुवारी म ले होके भेड़ के कोठा म नइं आवय, पर कोनो आने कोति ले चघके आथे, ओह चोर अऊ डाकू अय। 2 जऊन मनखे ह दुवारी म ले होके भीतर जाथे, ओह अपन भेड़मन के चरवाहा अय। 3 ओकर बर रखवार ह दुवारी ला खोल देथे अऊ भेड़मन ओकर अवाज ला सुनथें; अऊ ओह अपन भेड़मन ला नांव लेके बलाथे अऊ ओमन ला बाहिर ले जाथे। 4 जब ओह अपन जम्मो भेड़मन ला बाहिर निकार लेथे, तब ओह ओमन के आघू-आघू जाथे अऊ ओकर भेड़मन ओकर पाछू-पाछू चलथें, काबरकि ओमन ओकर अवाज ला चिनथें। 5 ओमन कोनो अनजान मनखे के पाछू नइं जावंय, पर ओमन ओकर ले दूरिहा भाग जाथें, काबरकि ओमन अनजान मनखे के अवाज ला नइं चिनहें।” 6 यीसू ह ओमन ला ए पटंतर कहिस, पर ओमन नइं समझिन कि ओह का कहत रिहिस।
7 एकरसेति यीसू ह ओमन ला फेर कहिस, “मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि भेड़मन बर मेंह दुवारी अंव। 8 ओ जम्मो जऊन मन मोर पहिली आईन, ओमन चोर अऊ डाकू रिहिन, अऊ भेड़मन ओमन के नइं सुनिन। 9 दुवारी मेंह अंव, जऊन ह मोर ले होके भीतर जाही, ओह उद्धार पाही। अऊ ओह भीतर-बाहिर आय-जाय करही अऊ चारा पाही। 10 चोर ह सिरिप चोरी करे बर, हतिया करे बर अऊ नास करे बर आथे, पर मेंह एकरसेति आय हवंव, ताकि ओमन जिनगी पावंय अऊ भरपूर जिनगी पावंय।
11 बने चरवाहा मेंह अंव। बने चरवाहा ह भेड़मन बर अपन परान देथे। 12 बनिहार ह न तो चरवाहा अय अऊ न तो भेड़मन के मालिक। एकरसेति जब ओह भेड़िया ला आवत देखथे, त ओह भेड़मन ला छोंड़के भाग जाथे। तब भेड़िया ह भेड़मन ऊपर झपटथे अऊ ओमन ला तितिर-बितिर कर देथे। 13 ओ मनखे ह भाग जाथे काबरकि ओह एक बनिहार ए अऊ ओला भेड़मन के कोनो फिकर नइं रहय।
14 बने चरवाहा मेंह अंव; मेंह अपन भेड़मन ला जानथंव, अऊ मोर भेड़मन मोला जानथें – 15 जइसने ददा ह मोला जानथे अऊ मेंह ददा ला जानथंव – अऊ मेंह भेड़मन बर अपन परान देथंव। 16 मोर अऊ घलो भेड़ हवंय, जऊन मन ए भेड़ के कोठा म नइं एं। मोला ओमन ला घलो लाना जरूरी ए। ओमन घलो मोर अवाज ला सुनहीं; तब एके ठन झुंड अऊ एके झन चरवाहा होही। 17 मोर ददा ह मोर ले एकरसेति मया करथे, काबरकि मेंह अपन परान ला देथंव कि मेंह ओला फेर लेय लेवंव। 18 कोनो मोर परान नइं ले सकय; पर मेंह अपन खुद के ईछा ले एला देथंव। मोर करा ए अधिकार हवय कि मेंह अपन परान ला दे दंव अऊ ओला फेर लेय लेवंव। ए हुकूम मोला मोर ददा ले मिले हवय।”
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