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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 50

आसाप के भक्ति गीतों में से एक पद।

ईश्वरों के परमेश्वर यहोवा ने कहा है,
    पूर्व से पश्चिम तक धरती के सब मनुष्यों को उसने बुलाया।
सिय्योन से परमेश्वर की सुन्दरता प्रकाशित हो रही है।
हमारा परमेश्वर आ रहा है, और वह चुप नही रहेगा।
    उसके सामने जलती ज्वाला है,
    उसको एक बड़ा तूफान घेरे हुए है।
हमारा परमेश्वर आकाश और धरती को पुकार कर
    अपने निज लोगों को न्याय करने बुलाता है।
“मेरे अनुयायियों, मेरे पास जुटों।
    मेरे उपासकों आओ हमने आपस में एक वाचा किया है।”

परमेश्वर न्यायाधीश है,
    आकाश उसकी धार्मिकता को घोषित करता है।

परमेश्वर कहता है, “सुनों मेरे भक्तों!
    इस्राएल के लोगों, मैं तुम्हारे विरूद्ध साक्षी दूँगा।
    मैं परमेश्वर हूँ, तुम्हारा परमेश्वर।
मुझको तुम्हारी बलियों से शिकायत नहीं।
    इस्राएल के लोगों, तुम सदा होमबलियाँ मुझे चढ़ाते रहो। तुम मुझे हर दिन अर्पित करो।
मैं तेरे घर से कोई बैल नहीं लूँगा।
    मैं तेरे पशु गृहों से बकरें नहीं लूँगा।
10 मुझे तुम्हारे उन पशुओं की आवश्यकता नहीं। मैं ही तो वन के सभी पशुओं का स्वामी हूँ।
    हजारों पहाड़ों पर जो पशु विचरते हैं, उन सब का मैं स्वामी हूँ।
11 जिन पक्षियों का बसेरा उच्चतम पहाड़ पर है, उन सब को मैं जानता हूँ।
    अचलों पर जो भी सचल है वे सब मेरे ही हैं।
12 मैं भूखा नहीं हूँ! यदि मैं भूखा होता, तो भी तुमसे मुझे भोजन नहीं माँगना पड़ता।
    मैं जगत का स्वामी हूँ और उसका भी हर वस्तु जो इस जगत में है।
13 मैं बैलों का माँस खाया नहीं करता हूँ।
बकरों का रक्त नहीं पीता।”

14 सचमुच जिस बलि की परमेश्वर को अपेक्षा है, वह तुम्हारी स्तुति है। तुम्हारी मनौतियाँ उसकी सेवा की हैं।
    सो परमेश्वर को निज धन्यवाद की भेटें चढ़ाओ। उस सर्वोच्च से जो मनौतियाँ की हैं उसे पूरा करो।
15 “इस्राएल के लोगों, जब तुम पर विपदा पड़े, मेरी प्रार्थना करो,
    मैं तुम्हें सहारा दूँगा। तब तुम मेरा मान कर सकोगे।”

16 दुष्ट लोगों से परमेश्वर कहता है,
    “तुम मेरी व्यवस्था की बातें करते हो,
    तुम मेरे वाचा की भी बातें करते हो।
17 फिर जब मैं तुमको सुधारता हूँ, तब भला तुम मुझसे बैर क्यों रखते हो।
    तुम उन बातों की उपेक्षा क्यों करते हो जिन्हें मैं तुम्हें बताता हूँ?
18 तुम चोर को देखकर उससे मिलने के लिए दौड़ जाते हो,
    तुम उनके साथ बिस्तर में कूद पड़ते हो जो व्यभिचार कर रहे हैं।
19 तुम बुरे वचन और झूठ बोलते हो।
20 तुम दूसरे लोगों की यहाँ तक की
    अपने भाईयों की निन्दा करते हो।
21 तुम बुरे कर्म करते हो, और तुम सोचते हो मुझे चुप रहना चाहिए।
    तुम कुछ नहीं कहते हो और सोचते हो कि मुझे चुप रहना चहिए।
देखो, मैं चुप नहीं रहूँगा, तुझे स्पष्ट कर दूँगा।
    तेरे ही मुख पर तेरे दोष बताऊँगा।
22 तुम लोग परमेश्वर को भूल गये हो।
    इसके पहले कि मैं तुम्हे चीर दूँ, अच्छी तरह समझ लो।
जब वैसा होगा कोई भी व्यक्ति तुम्हें बचा नहीं पाएगा!
23 यदि कोई व्यक्ति मेरी स्तुति और धन्यवादों की बलि चढ़ाये, तो वह सचमुच मेरा मान करेगा।
    यदि कोई व्यक्ति अपना जीवन बदल डाले तो उसे मैं परमेश्वर की शक्ति दिखाऊँगा जो बचाती है।”

भजन संहिता 59-60

संगीत निर्देशक के लिये “नाश मत कर” धुन पर दाऊद का उस समय का एक भक्ति गीत जब शाऊल ने लोगों को दाऊद के घर पर निगरानी रखते हुए उसे मार डालने की जुगत करने के लिये भेजा था।

हे परमेश्वर, तू मुझको मेरे शत्रुओं से बचा ले।
    मेरी सहायता उनसे विजयी बनने में कर जो मेरे विरूद्ध में युद्ध करने आये हैं।
ऐसे उन लोगों से, तू मुझको बचा ले।
    तू उन हत्यारों से मुझको बचा ले जो बुरे कामों को करते रहते हैं।
देख! मेरी घात में बलवान लोग हैं।
    वे मुझे मार डालने की बाट जोह रहे हैं।
    इसलिए नहीं कि मैंने कोई पाप किया अथवा मुझसे कोई अपराध बन पड़ा है।
वे मेरे पीछे पड़े हैं, किन्तु मैंने कोई भी बुरा काम नहीं किया है।
    हे यहोवा, आ! तू स्वयं अपने आप देख ले!
हे परमेश्वर! इस्राएल के परमेश्वर! तू सर्वशक्ति शाली है।
    तू उठ और उन लोगों को दण्डित कर।
उन विश्वासघातियों उन दुर्जनों पर किंचित भी दया मत दिखा।

वे दुर्जन साँझ के होते ही
    नगर में घुस आते हैं।
    वे लोग गुरर्ते कुत्तों से नगर के बीच में घूमते रहते हैं।
तू उनकी धमकियों और अपमानों को सुन।
    वे ऐसी क्रूर बातें कहा करते हैं।
    वे इस बात की चिंता तक नहीं करते कि उनकी कौन सुनता है।

हे यहोवा, तू उनका उपहास करके
    उन सभी लोगों को मजाक बना दे।
हे परमेश्वर, तू मेरी शक्ति है। मैं तेरी बाट जोह रहा हूँ।
    हे परमेश्वर, तू ऊँचे पहाड़ों पर मेरा सुरक्षा स्थान है।
10 परमेश्वर, मुझसे प्रेम करता है, और वह जीतने में मेरा सहाय होगा।
    वह मेरे शत्रुओं को पराजित करने में मेरी सहायता करेगा।
11 हे परमेश्वर, बस उनको मत मार डाल। नहीं तो सम्भव है मेरे लोग भूल जायें।
    हे मेरे स्वमी और संरक्षक, तू अपनी शक्ति से उनको बिखेर दे और हरा दे।
12 वे बुरे लोग कोसते और झूठ बोलते रहते हैं।
    उन बुरी बातों का दण्ड उनको दे, जो उन्होंने कही हैं।
    उनको अपने अभिमान में फँसने दे।
13 तू अपने क्रोध से उनको नष्ट कर।
    उन्हें पूरी तरह नष्ट कर!
लोग तभी जानेंगे कि परमेश्वर, याकूब के लोगों का और वह सारे संसर का राजा है।

14 फिर यदि वे लोग शाम को
    इधर—उधर घूमते गुरर्तें कुत्तों से नगर में आवें,
15 तो वे खाने को कोई वस्तु ढूँढते फिरेंगे,
    और खाने को कुछ भी नहीं पायेंगे और न ही सोने का कोई ठौर पायेंगे।
16 किन्तु मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊँगा।
    हर सुबह मैं तेरे प्रेम में आनन्दित होऊँगा।
क्यों क्योंकि तू पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
    मैं तेरे पास आ सकता हूँ, जब मुझे विपत्तियाँ घेरेंगी।
17 मैं अपने गीतों को तेरी प्रशंसा में गाऊँगा
    क्योंकि पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
    तू परमेश्वर है, जो मुझको प्रेम करता है!

संगीत निर्देशक के लिये “वाचा की कुमुदिनी धुन” पर उस समय का दाऊद का एक उपदेश गीत जब दाऊद ने अरमहरैन और अरमसोबा से युद्ध किया तथा जब योआब लौटा और उसने नमक की घाटी में बारह हजार स्वामी सैनिकों को मार डाला।

हे परमेश्वर, तूने हमको बिसरा दिया।
    तूने हमको विनष्ट कर दिया। तू हम पर कुपित हुआ।
    तू कृपा करके वापस आ।
तूने धरती कँपाई और उसे फाड़ दिया।
    हमारा जगत बिखर रहा,
    कृपया तू इसे जोड़।
तूने अपने लोगों को बहुत यातनाएँ दी है।
    हम दाखमधु पिये जन जैसे लड़खड़ा रहे और गिर रहे हैं।
तूने उन लोगों को ऐसे चिताया, जो तुझको पूजते हैं।
    वे अब अपने शत्रु से बच निकल सकते हैं।

तू अपने महाशक्ति का प्रयोग करके हमको बचा ले!
    मेरी प्रार्थना का उतर दे और उस जन को बचा जो तुझको प्यारा है!

परमेश्वर ने अपने मन्दिर में कहा:
    “मेरी विजय होगी और मैं विजय पर हर्षित होऊँगा।
मैं इस धरती को अपने लोगों के बीच बाँटूंगा।
    मैं शकेम और सुक्कोत
    घाटी का बँटवारा करूँगा।
गिलाद और मनश्शे मेरे बनेंगे।
    एप्रेम मेरे सिर का कवच बनेगा।
    यहूदा मेरा राजदण्ड बनेगा।
मैं मोआब को ऐसा बनाऊँगा, जैसा कोई मेरे चरण धोने का पात्र।
    एदोम एक दास सा जो मेरी जूतियाँ उठता है।
    मैं पलिश्ती लोगों को पराजित करूँगा और विजय का उद्धोष करूँगा।”

9-10 कौन मुझे उसके विरूद्ध युद्ध करने को सुरक्षित दृढ़ नगर में ले जायेगा मुझे कौन एदोम तक ले जायेगा
    हे परमेश्वर, बस तू ही यह करने में मेरी सहायता कर सकता है।
किन्तु तूने तो हमको बिसरा दिया! परमेश्वर हमारे साथ में नहीं जायेगा!
    और वह हमारी सेना के साथ नहीं जायेगा।
11 हे परमेश्वर, तू ही हमको इस संकट की भूमि से उबार सकता है!
    मनुष्य हमारी रक्षा नहीं कर सकते!
12 किन्तु हमें परमेश्वर ही मजबूत बना सकता है।
    परमेश्वर हमारे शत्रुओं को परजित कर सकता है!

भजन संहिता 93

यहोवा राजा है।
    वह सामर्थ्य और महिमा का वस्त्र पहने है।
वह तैयार है, सो संसार स्थिर है।
    वह नहीं टलेगा।
हे परमेश्वर, तेरा साम्राज्य अनादि काल से टिका हुआ है।
    तू सदा जीवित है।
हे यहोवा, नदियों का गर्जन बहुत तीव्र है।
    पछाड़ खाती लहरों का शब्द घनघोर है।
समुद्र की पछाड़ खाती लहरे गरजती हैं, और वे शक्तिशाली हैं।
    किन्तु ऊपर वाला यहोवा अधिक शक्तिशाली है।
हे यहोवा, तेरा विधान सदा बना रहेगा।
    तेरा पवित्र मन्दिर चिरस्थायी होगा।

भजन संहिता 96

उन नये कामों के लिये जिन्हें यहोवा ने किया है नया गीत गाओ।
    अरे ओ समूचे जगत यहोवा के लिये गीत गा।
यहोवा के लिये गाओ! उसके नाम को धन्य कहो!
    उसके सुसमाचार को सुनाओ! उन अद्भुत बातों का बखान करो जिन्हें परमेश्वर ने किया है।
अन्य लोगों को बताओ कि परमेश्वर सचमुच ही अद्भुत है।
    सब कहीं के लोगों में उन अद्भुत बातों का जिन्हें परमेश्वर करता है बखान करो।
यहोवा महान है और प्रशंसा योग्य है।
    वह किसी भी अधिक “देवताओं” से डरने योग्य है।
अन्य जातियों के सभी “देवता” केवल मूर्तियाँ हैं,
    किन्तु यहोवा ने आकाशों को बनाया।
उसके सम्मुख सुन्दर महिमा दीप्त है।
    परमेश्वर के पवित्र मन्दिर सामर्थ्य और सौन्दर्य हैं।
अरे! ओ वंशों, और हे जातियों यहोवा के लिये महिमा
    और प्रशंसा के गीत गाओ।
यहोवा के नाम के गुणगान करो।
    अपनी भेटे उठाओ और मन्दिर में जाओ।
    यहोवा का उसके भव्य, मन्दिर में उपासना करो।
अरे ओ पृथ्वी के मनुष्यों, यहोवा की उपासना करो।
10     राष्ट्रों को बता दो कि यहोवा राजा है!
सो इससे जगत का नाश नहीं होगा।
    यहोवा मनुष्यों पर न्याय से शासन करेगा।
11 अरे आकाश, प्रसन्न हो!
    हे धरती, आनन्द मना! हे सागर, और उसमें कि सब वस्तुओं आनन्द से ललकारो।
12 अरे ओ खेतों और उसमें उगने वाली हर वस्तु आनन्दित हो जाओ!
    हे वन के वृक्षो गाओ और आनन्द मनाओ!
13 आनन्दित हो जाओ क्योंकि यहोवा आ रहा है,
    यहोवा जगत का शासन (न्याय) करने आ रहा है,
वह खरेपन से न्याय करेगा।

1 राजा 18:1-19

एलिय्याह और बाल के नबी

18 अनावृष्टि के तीसरे वर्ष यहोवा ने एलिय्याह से कहा, “जाओ, और राजा अहाब से मिलो। मैं शीघ्र ही वर्षा भेजूँगा।” अत: एलिय्याह अहाब के पास गया।

उस समय शोमरोन में भोजन नहीं रह गया था। इसलिये राजा अहाब ने ओबद्याह से अपने पास आने को कहा। ओबद्याह राज महल का अधिकारी था। (ओबद्याह यहोवा का सच्चा अनुयायी था। एक बार ईज़ेबेल यहोवा के सभी नबियों को जान से मार रही थी। इसलिये ओबद्याह ने सौ नबियों को लिया और उन्हें दो गुफाओं में छिपाया। ओबद्याह ने एक गुफा में पचास नबी और दूसरी गुफा में पचास नबी रखे। तब ओबद्याह उनके लिये पानी और भोजन लाया।) राजा अहाब ने ओबद्याह से कहा, “मेरे साथ आओ। हम लोग इस प्रदेश के हर एक सोते और नाले की खोज करेंगे। हम लोग पता लगायेंगे कि क्या हम अपने घोड़ों और खच्चरों को जीवित रखने के लिये पर्याप्त घास कहीं पा सकते हैं। तब हमें अपना कोई जानवर खोना नहीं पड़ेगा।” हर एक व्यक्ति ने देश का एक भाग चुना जहाँ वे पानी की खोज कर सकें। तब दोनों व्यक्ति पूरे देश में घूमें। अहाब एक दिशा में अकेले गया। ओबद्याह दूसरी दिशा में अकेले गया। जब ओबद्याह यात्रा कर रहा था तो उस समय वह एलिय्याह को पहचान लिया। ओबद्याह एलिय्याह के सामने प्रणाम करने झुका उसने कहा, “एलिय्याह! क्या स्वामी सचमुच आप हैं?”

एलिय्याह ने उत्तर दिया, “हाँ, मैं ही हूँ। जाओ और अपने स्वामी राजा से कहो कि मैं यहाँ हूँ।”

तब ओबद्याह ने कहा, “यदि मैं अहाब से कहूँगा कि मैं जानता हूँ कि तुम कहाँ हो, तो वह मुझे मार डालेगा! मैंने तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ा है। तुम क्यों चाहते हो कि मैं मर जाऊँ 10 यहोवा, तुम्हारे परमेश्वर की सत्ता जैसे निश्चित है, वैसे ही यह निश्चित है, कि राजा तुम्हारी खोज कर रहा है। उसने हर एक देश में तुम्हारा पता लगाने के लिये आदमी भेज रखे हैं। यदि किसी देश के राजा ने यह कहा कि तुम उसके देश में नहीं हो, तो अहाब ने उसे यह शपथ खाने को विवश किया कि तुम उसके देश में नहीं हो। 11 अब तुम चाहते हो कि मैं जाऊँ और उससे कहूँ कि तुम यहाँ हो 12 यदि मैं जाऊँ और रजा अहाब से कहूँ कि तुम यहाँ हो तो यहोवा तुम्हें किसी अन्य स्थान पर पहुँचा सकता है। राजा अहाब यहाँ आयेगा और वह तुम्हें नहीं पा सकेगा। तब वह मुझे मार डालेगा। मैंने यहोवा का अनुसरण तब से किया है जब मैं एक बालक था। 13 तुमने सुना है कि मैंने क्या किया था। ईजेबेल यहोवा के नबियों को मार रही थी और मैंने सौ नबियों को गुफाओं में छिपाया था। मैंने एक गुफा में पचास नबियों और दूसरी गुफा में पचास नबियों को रखा था। मैं उसके लिये अन्न—पानी लाया। 14 अब तुम चाहते हो कि मैं जाऊँ और राजा से कहूँ कि तुम यहाँ हो। रजा मुझे मार डालेगा।”

15 एलिय्याह ने उत्तर दिया, “जितनी सर्वशक्तिमान यहोवा की सत्ता निश्चित है उतना ही निश्चित यह है कि मैं आज राजा के सामने खड़ा होऊँगा।”

16 इसलिये ओबद्याह राजा अहाब के पास गया। उसने बताया कि एलिय्याह वहाँ है। राजा अहाब एलिय्याह से मिलने गया।

17 जब अहाब ने एलिय्याह को देखा तो उसने पूछा, “क्या एलिय्याह तुम्ही हो तुम्हीं वह व्यक्ति हो जो इस्राएल पर विपत्ति लाते हो।”

18 एलिय्याह ने उत्तर दिया, “मैंने इस्राएल पर विपत्ति नहीं ढाई। तुमने और तुम्हारे पिता के परिवार ने यह सारी विपत्ति ढाई है। तुमने विपत्ति लानी तब आरम्भ की जब तुमने यहोवा के आदेशों का पालन करना बन्द कर दिया और असत्य देवताओं का अनुसरण आरम्भ किया। 19 अब सारे इस्राएलियों को कर्म्मेल पर्वत पर मुझसे मिलने को कहो। उस स्थान पर बाल के चार सौ पचास नबियों को भी लाओ और असत्य देवी अशेरा के चार सौ नबियों को लाओ रानी[a] ईज़ेबेल उन नबियों का समर्थन करती है।”

फिलिप्पियों 2:12-30

परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप बनो

12 इसलिए मेरे प्रियों, तुम मेरे निर्देशों का जैसा उस समय पालन किया करते थे जब मैं तुम्हारे साथ था, अब जबकि मैं तुम्हारे साथ नहीं हूँ तब तुम और अधिक लगन से उनका पालन करो। परमेश्वर के प्रति सम्पूर्ण आदर भाव के साथ अपने उद्धार को पूरा करने के लिये तुम लोग काम करते जाओ। 13 क्योंकि वह परमेश्वर ही है जो उन कामों की इच्छा और उन्हें पूरा करने का कर्म, जो परमेश्वर को भाते हैं, तुम में पैदा करता है।

14 बिना कोई शिकायत या लड़ाई झगड़ा किये सब काम करते रहो, 15 ताकि तुम भोले भाले और पवित्र बन जाओ। तथा इस कुटिल और पथभ्रष्ट पीढ़ी के लोगों के बीच परमेश्वर के निष्कलंक बालक बन जाओ। उन के बीच अंधेरी दुनिया में तुम उस समय तारे बन कर चमको 16 जब तुम उन्हें जीवनदायी सुसंदेश सुनाते हो। तुम ऐसा ही करते रहो ताकि मसीह के फिर से लौटने के दिन मैं यह देख कर कि मेरे जीवन की भाग दौड़ बेकार नहीं गयी, तुम पर गर्व कर सकूँ।

17 तुम्हारा विश्वास एक बलि के रूप में है और यदि मेरा लहू तुम्हारी बलि पर दाखमधु के समान उँडेल दिया भी जाये तो मुझे प्रसन्नता है। तुम्हारी प्रसन्नता में मेरा भी सहभाग है। 18 उसी प्रकार तुम भी प्रसन्न रहो और मेरे साथ आनन्द मनाओ।

तीमुथियुस और इपफ्रुदीतुस

19 प्रभु यीशु की सहायता से मुझे तीमुथियुस को तुम्हारे पास शीघ्र ही भेज देने की आशा है ताकि तुम्हारे समाचारों से मेरा भी उत्साह बढ़ सके। 20 क्योंकि दूसरा कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसकी भावनाएँ मेरे जैसी हों और जो तुम्हारे कल्याण के लिये सच्चे मन से चिंतित हो। 21 क्योंकि और सभी अपने-अपने कामों में लगे हैं। यीशु मसीह के कामों में कोई नहीं लगा है। 22 तुम उसके चरित्र को जानते हो कि सुसमाचार के प्रचार में मेरे साथ उसने वैसे ही सेवा की है, जैसे एक पुत्र अपने पिता के साथ करता है। 23 सो मुझे जैसे ही यह पता चलेगा कि मेरे साथ क्या कुछ होने जा रहा है मैं उसे तुम्हारे पास भेज देने की आशा रखता हूँ। 24 और मेरा विश्वास है कि प्रभु की सहायता से मैं भी जल्दी ही आऊँगा।

25 मैं यह आवश्यक समझता हूँ कि इपफ्रुदीतुस को तुम्हारे पास भेजूँ जो मेरा भाई है, साथी कार्यकर्ता है और सहयोगी कर्म वीर है तथा मुझे आवश्यकता पड़ने पर मेरी सहायता के लिये तुम्हारा प्रतिनिधि रहा है, 26 क्योंकि वह तुम सब के लिये व्याकुल रहा करता था और इससे बहुत चिन्तित था कि तुमने यह सुना था कि वह बीमार पड़ गया था। 27 हाँ, वह बीमार तो था, और वह भी इतना कि जैसे मर ही जायेगा। किन्तु परमेश्वर ने उस पर अनुग्रह किया (न केवल उस पर बल्कि मुझ पर भी) ताकि मुझे दुख पर दुख न मिले। 28 इसीलिए मैं उसे और भी तत्परता से भेज रहा हूँ ताकि जब तुम उसे देखो तो एक बार फिर प्रसन्न हो जाओ और मेरा दुःख भी जाता रहे। 29 इसलिए प्रभु में बड़ी प्रसन्नता के साथ उसका स्वागत करो और ऐसे लोगों का आधिकाधिक आदर करते रहो। 30 क्योंकि मसीह के काम के लिये वह लगभग मर गया था ताकि तुम्हारे द्वारा की गयी मेरी सेवा में जो कभी रह गई थी, उसे वह पूरा कर दे, इसके लिये उसने अपने प्राणों की बाजी लगा दी।

मत्ती 2:13-23

यीशु को लेकर माता-पिता का मिस्र जाना

13 जब वे चले गये तो यूसुफ को सपने में प्रभु के एक दूत ने प्रकट होकर कहा, “उठ, बालक और उसकी माँ को लेकर चुपके से मिस्र चला जा और मैं जब तक तुझ से न कहूँ, वहीं ठहरना। क्योंकि हेरोदेस इस बालक को मरवा डालने के लिए ढूँढेगा।”

14 सो यूसुफ खड़ा हुआ तथा बालक और उसकी माता को लेकर रात में ही मिस्र के लिए चल पड़ा। 15 फिर हेरोदेस के मरने तक वह वहीं ठहरा रहा। यह इसलिये हुआ कि प्रभु ने भविष्यवक्ता के द्वारा जो कहा था, पूरा हो सके: “मैंने अपने पुत्र को मिस्र से बाहर आने को कहा।”(A)

बैतलहम के सभी बालकों का हेरोदेस के द्वारा मरवाया जाना

16 हेरोदेस ने जब यह देखा कि सितारों का अध्ययन करने वाले विद्वानों ने उसके साथ चाल चली है, तो वह आग बबूला हो उठा। उसने आज्ञा दी कि बैतलहम और उसके आसपास में दो वर्ष के या उससे छोटे सभी बालकों की हत्या कर दी जाये। (सितारों का अध्ययन करने वाले विद्वानों के बताये समय को आधार बना कर) 17 तब भविष्यवक्ता यिर्मयाह द्वारा कहा गया यह वचन पूरा हुआ:

18 “रामाह में दुःख भरा एक शब्द सुना गया,
    शब्द रोने का, गहरे विलाप का था।
राहेल अपने शिशुओं के लिए रोती थी
    चाहती नहीं थी कोई उसे धीरज बँधाए, क्योंकि उसके तो सभी बालक मर चुके थे।”(B)

यीशु को लेकर यूसुफ और मरियम का मिस्र लौटना

19 फिर हेरोदेस की मृत्यु के बाद मिस्र में यूसुफ के सपने में प्रभु का एक स्वर्गदूत प्रकट हुआ 20 और उससे बोला, “उठ, बालक और उसकी माँ को लेकर इस्राएल की धरती पर चला जा क्योंकि वे जो बालक को मार डालना चाहते थे, मर चुके हैं।”

21 तब यूसुफ खड़ा हुआ और बालक तथा उसकी माता को लेकर इस्राएल जा पहुँचा। 22 किन्तु जब यूसुफ ने यह सुना कि यहूदिया पर अपने पिता हेरोदेस के स्थान पर अरखिलाउस राज कर रहा है तो वह वहाँ जाने से डर गया किन्तु सपने में परमेश्वर से आदेश पाकर वह गलील प्रदेश के लिए 23 चल पड़ा और वहाँ नासरत नाम के नगर में घर बना कर रहने लगा ताकि भविष्यवक्ताओं द्वारा कहा गया वचन पूरा हो: वह नासरी[a] कहलायेगा।

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