Book of Common Prayer
16 एकरसेति, मेंह कहत हंव कि पबितर आतमा के अगुवई म चलव, त तुमन अपन पापी सुभाव के ईछा ला पूरा करे ले बचे रहिहू। 17 काबरकि पापी सुभाव के ईछा ह पबितर आतमा के बिरोध म होथे, अऊ पबितर आतमा के ईछा ह पापी सुभाव के बिरोध म होथे। एमन एक-दूसर के बिरोधी अंय, ताकि तुमन ओ काम ला झन कर सकव, जऊन ला तुमन करे चाहथव। 18 पर, कहूं पबितर आतमा ह तुम्हर अगुवई करथे, तब तुमन मूसा के कानून के अधीन नइं अव।
19 पापी सुभाव के काममन तो साफ अंय: छिनारी, असुधता, दुराचार, 20 मूरती-पूजा, जादू-टोना, बईरता, झगरा, जलन, गुस्सा, सुवारथीपन, फूट, गुट-बंदी, 21 डाह, मतवालपन, रंगरेली मनई अऊ ए किसम के आने काम। मेंह तुमन ला चेतावत हवंव, जइसने मेंह पहिली घलो चेताय रहेंव कि जऊन मन ए किसम के काम ला करथें, ओमन परमेसर के राज के भागीदार नइं होवंय।
22 पर पबितर आतमा के फर ह मया, आनंद, सांति, धीरज, दया, भलई, बिसवास, 23 नमरता अऊ संयम अय। अइसने-अइसने बात के बिरोध म कोनो कानून नइं ए। 24 जऊन मन मसीह यीसू के अंय, ओमन अपन पापी सुभाव ला एकर लालसा अऊ ईछा सहित कुरुस म चघा दे हवंय।
यीसू के रूपान्तरन
(मत्ती 17:1-13; लूका 9:28-36)
2 छै दिन के पाछू, यीसू ह पतरस, याकूब अऊ यूहन्ना ला एक ठन ऊंच पहाड़ ऊपर ले गीस। उहां ओमन के छोंड़ अऊ कोनो नइं रिहिस। तब ओमन के आघू म यीसू के रूप ह बदल गीस। 3 ओकर ओन्ढा ह झक पंडरा हो गे अऊ अइसने चमके लगिस कि संसार म कोनो अइसने उज्जर नइं कर सकय। 4 अऊ उहां ओमन ला एलियाह अऊ मूसा दिखिन, जऊन मन यीसू के संग गोठियावत रहंय[a]।
5 तब पतरस ह यीसू ला कहिस, “हे गुरू! हमन ला इहां बहुंत बने लगथे। एकरसेति हमन तीन ठन कुंदरा बनाथन – एक ठन तोर बर, एक मूसा बर अऊ एक एलियाह बर।” 6 ओह नइं जानत रहय कि का कहे जावय, काबरकि ओमन अब्बड़ डर्रा गे रहंय।
7 तब एक ठन बादर ओमन ला ढांप लीस अऊ ओ बादर म ले ए अवाज आईस, “एह मोर मयारू बेटा ए, एकर बात ला सुनव।”
8 तब अचानक जब ओमन चारों कोति देखिन, त यीसू के छोंड़ अऊ कोनो ला अपन संग नइं देखिन।
9 जब ओमन पहाड़ ले उतरत रिहिन, त यीसू ह ओमन ला हुकूम दीस कि जब तक मनखे के बेटा ह मरे म ले नइं जी उठय, तब तक जऊन कुछू तुमन देखे हवव, कोनो ला झन बतावव। 10 ओमन ए बात ला अपन मन म रखिन अऊ ए बिचार करन लगिन कि “मरे म ले जी उठे” के का मतलब होथे?
11 तब ओमन यीसू ले पुछिन, “कानून के गुरूमन काबर कहिथंय कि पहिली एलियाह के अवई जरूरी ए।”
12 यीसू ह ओमन ला ए जबाब दीस, “ए बात सही अय कि एलियाह पहिली आही, अऊ जम्मो चीज ला तियार करही। पर मनखे के बेटा के बारे म ए काबर लिखे हवय कि ओह अब्बड़ दुःख उठाही अऊ तुछ समझे जाही? 13 पर मेंह तुमन ला कहत हंव कि एलियाह ह आ चुके हवय अऊ जइसने कि ओकर बारे म लिखे हवय – ओमन जइसने चाहिन, वइसने ओकर संग बरताव करिन[b]।”
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