Book of Common Prayer
मसीह येशु के दोबारा आगमन से पहले की घटनाएँ
प्रभु के दोबारा आगमन के लक्षण
2 और अब, प्रियजन, हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन तथा उनके साथ हमारे इकट्ठा होने के विषय में तुमसे हमारी विनती है, 2 कि तुम उतावली में न तो अपना मानसिक सन्तुलन खोना और न किसी आत्मिक प्रकाशन, वचन या किसी ऐसे पत्र के कारण घबराना, जो तुम्हें इस रीति से सौंपा जाए, जो मानो तुम्हें हमारे द्वारा लिखा गया है तथा जिसमें यह सूचना दी गई हो कि प्रभु के दिन का आगमन हो चुका. 3 कोई तुम्हें किसी भी रीति से भटकाने न पाए क्योंकि यह उस समय तक न होगा जब तक इसके पहले विश्वास का पतन न हो जाए तथा पाप का पुत्र, जो विनाश का पुत्र है, प्रकट न हो. 4 वह हर एक तथाकथित ईश्वर या आराधना योग्य वस्तु का विरोध करता तथा अपने आप को इन सब के ऊपर करता है कि स्वयं को परमेश्वर बताते हुए परमेश्वर के मन्दिर में ऊँचे आसन पर जा बैठे.
5 क्या तुम्हें याद नहीं कि तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने तुम्हें यह सब बताया था? 6 तुम्हें यह भी मालूम है कि उसे इस समय किसने अपने वश में किया हुआ है कि वह अपने निर्धारित समय पर ही प्रकट किया जाए. 7 अधर्म की गुप्त शक्ति पहले ही सक्रिय है. वह, जो इस पर नियन्त्रण बनाए हुए हैं, केवल तब तक नियन्त्रण बनाए रखेंगे, जब तक उसे इस मार्ग से हटा न दिया जाए, 8 तभी वह अधर्मी प्रकट होगा. प्रभु अपने मुख की फूंक मात्र से उसका वध कर देंगे—वस्तुत: उनके दोबारा आगमन का प्रताप मात्र ही उसके अस्तित्व को समाप्त कर डालेगा. 9 अधर्मी का प्रकट होना शैतान के कार्यों के अनुसार सब प्रकार के झूठ चमत्कार चिह्नों के साथ होगा 10 नाश होने वालों के लिए शैतान की गतिविधि के अनुरूप होगा, जो नाश होने वाले हैं, क्योंकि उन्होंने अपने उद्धार के लिए सच्चे प्रेम को स्वीकार नहीं किया. 11 यही कारण है कि उन्हें परमेश्वर द्वारा ऐसी भटका देने वाली सामर्थ में डाल दिया जाएगा कि वे झूठ पर ही विश्वास करें 12 कि वे सभी, जिन्होंने सच का विश्वास नहीं किया परन्तु सिर्फ अधर्म में प्रसन्न होते रहे, दण्डित किए जा सकें.
मसीह येशु की हत्या का षड्यन्त्र
(मत्ति 26:1-5; मारक 14:1, 2)
22 अख़मीरी रोटी का उत्सव, जो फ़सह पर्व कहलाता है, पास आ रहा था. 2 प्रधान याजक तथा शास्त्री इस खोज में थे कि मसीह येशु को किस प्रकार मार डाला जाए, किन्तु उन्हें लोगों का भय था.
3 शैतान ने कारियोतवासी यहूदाह में, जो बारह शिष्यों में से एक था, प्रवेश किया. 4 उसने प्रधान पुरोहितों तथा अधिकारियों से मिल कर निश्चित किया कि वह किस प्रकार मसीह येशु को पकड़वा सकता है. 5 इस पर प्रसन्न हो वे उसे इसका दाम देने पर सहमत हो गए. 6 यहूदाह मसीह येशु को उनके हाथ पकड़वा देने के ऐसे सुअवसर की प्रतीक्षा करने लगा, जब आसपास भीड़ न हो.
फ़सह भोज की तैयारी
(मत्ति 26:17-19; मारक 14:12-16)
7 तब अख़मीरी रोटी का उत्सव आ गया, जब फ़सह का मेमना बलि किया जाता था. 8 मसीह येशु ने पेतरॉस और योहन को इस आज्ञा के साथ भेजा, “जाओ और हमारे लिए फ़सह की तैयारी करो.”
9 उन्होंने उनसे प्रश्न किया, “प्रभु, हम किस स्थान पर इसकी तैयारी करें, आप क्या चाहते हैं?”
10 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “नगर में प्रवेश करते ही तुम्हें एक व्यक्ति पानी का घड़ा ले जाता हुआ मिलेगा. उसका पीछा करते हुए तुम उस घर में चले जाना, 11 जिस घर में वह प्रवेश करेगा. उस घर के स्वामी से कहना, ‘गुरु ने पूछा है, “वह अतिथि कक्ष कहाँ है जहाँ मैं अपने शिष्यों के साथ फ़सह खाऊँगा?” ’ 12 वह तुमको एक विशाल, सुसज्जित ऊपरी कक्ष दिखाएगा; तुम वहीं सारी तैयारी करना.”
13 यह सुन वे दोनों वहाँ से चले गए और सब कुछ ठीक वैसा ही पाया जैसा मसीह येशु ने कहा था. उन्होंने वहाँ फ़सह तैयार किया.
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