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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 थेस्सलोनि 2:13-20

थेस्सलोनिकेयुस-वासियों का विश्वास

13 यही कारण है कि हम भी परमेश्वर के प्रति निरन्तर धन्यवाद प्रकट करते हैं कि जिस समय तुमने हमसे परमेश्वर के वचन के सन्देश को स्वीकार किया, तुमने इसे किसी मनुष्य के सन्देश के रूप में नहीं परन्तु उसकी सच्चाई में अर्थात् परमेश्वर ही के वचन के रूप में ग्रहण किया, जो तुम में, जिन्होंने विश्वास किया है, कार्य भी कर रहा है 14 क्योंकि प्रियजन, तुम मसीह येशु में परमेश्वर की उन कलीसियाओं के शिष्य बन गए हो, जो यहूदिया प्रदेश में हैं—तुमने भी स्वदेशवासियों द्वारा दिए गये उसी प्रकार के दुःखों को सहा है, जैसे यहूदिया प्रदेशवासियों ने यहूदियों द्वारा दिए गए दुःखों को, 15 जिन्होंने प्रभु मसीह येशु तथा भविष्यद्वक्ताओं दोनों ही की हत्या की. इसके अलावा उन्होंने हमें भी वहाँ से निकाल दिया. वे परमेश्वर को क्रोधित कर रहे हैं तथा वे सभी के विरोधी हैं. 16 जब हम अन्यजातियों को उनके उद्धार के विषय में सन्देश देने का काम करते हैं, वे हमारी उद्धार की बातें बताने में बाधा खड़ी करते हैं. इसके फलस्वरूप वे स्वयं अपने ही पापों का घड़ा भर रहे हैं. अन्ततः: उन पर परमेश्वर का क्रोध आ ही पड़ा है.

पौलॉस की लालसा

17 किन्तु, प्रियजन, जब हम तुमसे थोड़े समय के लिए अलग हुए थे—शारीरिक रूप से, न कि आत्मिक रूप से—तुम्हें सामने देखने की हमारी लालसा और भी अधिक प्रबल हो गई थी. 18 हम चाहते थे कि आकर तुमसे भेंट करें—विशेषकर मैं, पौलॉस, तो एक नहीं, अनेक बार चाह रहा था किन्तु शैतान ने हमारे प्रयास निष्फल कर दिए. 19 कौन हैं हमारी आशा, आनन्द तथा उल्लास का मुकुट? क्या हमारे प्रभु मसीह येशु के दोबारा आगमन के अवसर पर उनकी उपस्थिति में तुम ही नहीं? 20 हाँ, तुम्हीं तो हमारा गौरव तथा आनन्द हो!

लूकॉ 20:19-26

19 फलस्वरूप प्रधान याजक तथा शास्त्री उसी समय मसीह येशु को पकड़ने की योजना में जुट गए किन्तु उन्हें भीड़ का भय था. वे यह समझ गए थे कि मसीह येशु ने उन पर ही यह दृष्टान्त कहा है.

कर का प्रश्न

(मत्ति 22:15-22; मारक 12:13-17)

20 वे मसीह येशु की गतिविधियों पर दृष्टि रखे हुए थे. उन्होंने मसीह येशु के पास अपने गुप्तचर भेजे कि वे धर्म का ढोंग कर मसीह येशु को उनकी ही किसी बात में फँसा कर उन्हें राज्यपाल को सौंप दें.

21 गुप्तचरों ने मसीह येशु से प्रश्न किया, “गुरुवर, यह तो हम जानते हैं कि आपकी बातें तथा शिक्षाएं सही हैं और आप किसी के प्रति पक्षपाती भी नहीं हैं. आप पूरी सच्चाई में परमेश्वर के विषय में शिक्षा दिया करते हैं. 22 इसलिए यह बताइए कि कयसर को कर देना विधानसम्मत है या नहीं?”

23 मसीह येशु ने उनकी चतुराई भाँपते हुए उनसे कहा.

24 “मुझे एक दीनार दिखाओ. इस पर आकृति तथा मुद्रण किसका है?”

उन्होंने उत्तर दिया, “कयसर का.”

25 मसीह येशु ने उनसे कहा, “तो जो कयसर का है. वह कयसर को और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो.”

26 भीड़ की उपस्थिति में वे मसीह येशु को उनकी बातों के कारण पकड़ने में असफल रहे. मसीह येशु के इस उत्तर से वे चकित थे और आगे कुछ भी न कह पाए.

Saral Hindi Bible (SHB)

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