Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: 'भजन संहिता 55 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'भजन संहिता 138-139:23' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'अय्यूब 38:1-17' not found for the version: Saral Hindi Bible
प्रेरित 15:22-35

प्रेरितों का अभिलेख

22 इसलिए सारी कलीसिया के साथ प्रेरितों और पुरनियों को यह सही लगा कि अपने ही बीच से कुछ व्यक्तियों को चुन कर पौलॉस तथा बारनबास के साथ अन्तियोख़ नगर भेज दिया जाए. उन्होंने इसके लिए यहूदाह, जिसे बार-सब्बास नाम से भी जाना जाता है तथा सीलास को चुन लिया. ये उनके बीच प्रधान माने जाते थे. 23 उनके हाथ से भेजा पत्र यह था:

प्रेरितों, पुरनियों तथा भाइयों की ओर से अन्तियोख़,

सीरिया तथा किलिकिया प्रदेश के मसीह के अन्यजाति विश्वासियों को नमस्कार.

24 हमें यह मालूम हुआ है कि हमारे ही मध्य से कुछ बाहरी व्यक्तियों ने अपनी बातों के द्वारा तुम्हारे मनों को विचलित कर दिया है. 25 अतः हमने एकमत से हमारे प्रिय मित्र बारनबास तथा पौलॉस के साथ कुछ व्यक्तियों को तुम्हारे पास भेजना सही समझा. 26 ये वे हैं, जिन्होंने हमारे प्रभु मसीह येशु के लिए अपने प्राणों का जोखिम उठाया है. 27 इसलिए हम यहूदाह और सीलास को तुम्हारे पास भेज रहे हैं कि तुम स्वयं उन्हीं के मुख से इस विषय को सुन सको 28 क्योंकि पवित्रात्मा तथा स्वयं हमें यह सही लगा कि इन आवश्यक बातों के अलावा तुम पर और कोई बोझ न लादा जाए: 29 मूर्तियों को चढ़ाए गए भोजन, लहू, गला घोंट कर मारे गए जीवों के माँस के सेवन से तथा वेश्यागामी से परे रहो. यही तुम्हारे लिए उत्तम है.

आगे शुभ.

30 वहाँ से निकल कर वे अन्तियोख़ नगर पहुँचे और उन्होंने वहाँ कलीसिया को इकट्ठा कर वह पत्र उन्हें सौंप दिया. 31 पत्र के पढ़े जाने पर उसके उत्साह बढ़ानेवाले सन्देश से वे बहुत आनन्दित हुए. 32 यहूदाह तथा सीलास ने, जो स्वयं भविष्यद्वक्ता थे, तत्वपूर्ण बातों के द्वारा शिष्यों को प्रोत्साहित और स्थिर किया. 33 उनके कुछ समय वहाँ ठहरने के बाद उन्होंने उन्हें दोबारा शान्तिपूर्वक उन्हीं के पास भेज दिया, जिन्होंने उन्हें यहाँ भेजा था. 34 किन्तु सीलास को वहीं ठहरे रहना सही लगा. 35 पौलॉस और बारनबास अन्तियोख़ नगर में ही अन्य अनेकों के साथ प्रभु के वचन की शिक्षा देते तथा प्रचार करते रहे.

योहन 11:45-54

45 यह देख मरियम के पास आए यहूदियों में से अनेकों ने मसीह येशु में विश्वास किया. 46 परन्तु कुछ ने फ़रीसियों को जा बताया कि मसीह येशु ने क्या-क्या किया था.

मसीह येशु की हत्या का षड़यन्त्र

47 तब प्रधान पुरोहितों और फ़रीसियों ने महासभा बुलाई और कहा, “हम इस व्यक्ति के विषय में क्या कर रहे हैं? यह अद्भुत चिह्नों पर चिह्न दिखा रहा है! 48 यदि हम इसे ये सब यों ही करते रहने दें तो सभी इसमें विश्वास करने लगेंगे और रोमी हमसे हमारे अधिकार व राष्ट्र दोनों ही छीन लेंगे.”

49 तब सभा में उपस्थित उस वर्ष के महायाजक कायाफ़स ने कहा, “आप न तो कुछ जानते हैं 50 और न ही यह समझते हैं कि आपका हित इसी में है कि सारे राष्ट्र के विनाश की बजाय मात्र एक व्यक्ति राष्ट्र के हित में प्राणों का त्याग करे.”

51 यह उसने अपनी ओर से नहीं कहा था परन्तु उस वर्ष के महायाजक होने के कारण उसने यह भविष्यवाणी की थी कि राष्ट्र के हित में मसीह येशु प्राणों का त्याग करेंगे, 52 और न केवल राष्ट्र के हित में परन्तु परमेश्वर की तितर-बितर सन्तान को इकट्ठा करने के लिए भी. 53 उस दिन से वे सब एकजुट हो कर उनकी हत्या की योजना बनाने लगे.

54 इसलिए मसीह येशु ने यहूदियों के मध्य सार्वजनिक रूप से घूमना बन्द कर दिया. वहाँ से वह जंगल के पास अपने शिष्यों के साथ एफ़्रायिम नामक नगर में जा कर रहने लगे.

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.