Book of Common Prayer
14 धइन अंय ओमन, जऊन मन अपन कपड़ा ला धोथें। ओमन ला जिनगी के रूख म ले फर खाय के अधिकार अऊ कपाट म ले होके सहर के भीतर जाय के अधिकार मिलही। 15 पर कुकुर, जादू-टोना करइया, छिनारी करइया, हतियारा, मूरती पूजा करइया अऊ लबरा बात अऊ काम करइयामन सहर ले बाहिर रहिहीं।”
16 में यीसू ह अपन स्वरगदूत ला तुम्हर करा पठोय हवंव कि ओह कलीसियामन ला ए बात बतावय। मेंह दाऊद राजा के मूल अऊ बंसज अंव, अऊ मेंह बिहनियां के चमकत तारा अंव।
17 पबितर आतमा अऊ दुल्हिन कहिथें, “आवव!” अऊ जऊन ह सुनथे, ओह कहय, “आवव!” जऊन ह पियासा हवय, ओह आवय; अऊ जऊन ह चाहथे, ओह जिनगी के पानी ला बिगर कोनो दाम के ले लेवय।
18 में यूहन्ना ओ जम्मो मनखे ला चेतावत हंव, जऊन मन ए किताब के अगम के बात ला सुनथें; कहूं कोनो एम कुछू जोड़ही, त परमेसर ह ए किताब म लिखाय महामारीमन ला ओकर ऊपर लानही। 19 अऊ कहूं कोनो अगम के ए किताब म ले कुछू बात ला निकारही, त परमेसर ह ए किताब म लिखाय जिनगी के रूख अऊ पबितर सहर म ले ओकर बांटा ला निकार दिही।
20 जऊन ह ए बातमन के गवाही देथे, ओह कहिथे, “सही म, मेंह जल्दी आवत हंव।”
आमीन! हे परभू यीसू, आ।
21 परभू यीसू के अनुग्रह परमेसर के मनखेमन ऊपर होवय। आमीन।
निरदयी सेवक के पटंतर
21 तब पतरस ह यीसू करा आईस अऊ पुछिस, “हे परभू, यदि मोर भाई ह मोर बिरोध म पाप करथे, त मेंह कतेक बार ओला छेमा करंव? का सात बार?” 22 यीसू ह ओला कहिस, “मेंह तोला नइं कहत हंव कि सात बार, पर सात बार के सत्तर गुना तक।
23 एकरसेति, स्वरग के राज ह ओ राजा के सहीं अय, जऊन ह अपन सेवकमन ले हिसाब लेय बर चाहिस। 24 जब ओह हिसाब लेवन लगिस, त ओकर आघू म एक झन मनखे ला लाने गीस, जऊन ह ओकर लाखों करोड़ों रूपिया के कर्जा लगे रिहिस। 25 काबरकि ओह कर्जा चुकाय नइं सकत रिहिस, एकरसेति मालिक ह हुकूम दीस कि ओला अऊ ओकर घरवाली ला अऊ ओकर लइकामन ला अऊ जऊन कुछू ओकर करा हवय, ओ जम्मो ला बेंच दिये जावय अऊ कर्जा के चुकता करे जावय।
26 एला सुनके ओ सेवक ह मालिक के आघू म अपन माड़ी के भार गिरिस अऊ बिनती करिस, ‘हे परभू, मोर ऊपर धीरज धर। मेंह तोर जम्मो कर्जा ला चुकता कर दूहूं।’ 27 तब ओ सेवक के मालिक ला ओकर ऊपर तरस आईस। ओह ओकर कर्जा ला माफ कर दीस अऊ ओला छोंड़ दीस।
28 पर जब ओ सेवक ह बाहिर निकरिस, त ओला ओकर एक संगी सेवक मिलिस, जेकर ऊपर ओकर कुछू सौ रूपिया के कर्जा रिहिस। ओह ओला पकड़िस अऊ ओकर टोंटा ला दबाके कहिस, ‘तोर ऊपर मोर जऊन कर्जा हवय, ओला चुकता कर।’
29 ओकर संगी सेवक ह अपन माड़ी के भार गिरके ओकर ले बिनती करिस, ‘मोला कुछू समय दे। मेंह तोर कर्जा ला चुकता कर दूहूं।’
30 पर ओह नइं मानिस अऊ जाके ओ मनखे ला तब तक जेल म डलवा दीस, जब तक कि ओह कर्जा के चुकता नइं कर दीस। 31 जब आने सेवकमन ए जम्मो ला देखिन, त ओमन अब्बड़ उदास होईन, अऊ अपन मालिक करा जाके, ओमन जम्मो बात ला बता दीन।
32 तब ओकर मालिक ह ओ सेवक ला बलाईस अऊ कहिस, ‘हे दुस्ट सेवक! मेंह तोर जम्मो कर्जा ला माफ करेंव, काबरकि तेंह मोर ले बिनती करय। 33 जइसने मेंह तोर ऊपर दया करे रहेंव, वइसने का तोला अपन संगी सेवक ऊपर दया नइं करना चाही?’ 34 गुस्सा होके ओकर मालिक ह ओला सजा देवइयामन के हांथ म सऊंप दीस कि ओह तब तक ओमन के हांथ म रहय, जब तक कि ओह जम्मो कर्जा ला नइं पटा देवय।
35 यदि तुमन अपन भाई ला अपन हिरदय ले छेमा नइं करहूं, त स्वरग के मोर ददा ह घलो तुमन म के हर एक के संग अइसनेच करही।”
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