Book of Common Prayer
प्रेरितमन कतको बेमरहामन ला बने करथें
12 प्रेरितमन बहुंते चमतकार अऊ अचरज के काम मनखेमन के बीच म करत रिहिन। अऊ ओमन जम्मो झन एक दल होके राजा सुलेमान के मंडप म जुरंय। 13 पर आने मनखेमन ले काकरो ए हिम्मत नइं होवत रिहिस कि आके ओमन के संग मिल जावंय। तभो ले मनखेमन ओमन के बहुंत बड़ई करत रिहिन। 14 परभू म बिसवास करइया अब्बड़ मनखे अऊ माईलोगनमन कलीसिया म मिलत रिहिन। 15 इहां तक कि मनखेमन बेमरहामन ला सड़क ऊपर लान-लानके खटिया अऊ चटई मन म सुता देवत रिहिन कि जब पतरस ह आवय, त कम से कम ओकर छइहां ह ओम के कुछू झन ऊपर पड़ जावय। 16 यरूसलेम के आस-पास के नगर ले घलो कतको मनखेमन बेमरहा अऊ परेत आतमा के सताय मन ला लानय, अऊ ओ जम्मो झन बने हो जावत रिहिन।
प्रेरितमन ला सताय जाथे
17 तब महा पुरोहित अऊ ओकर जम्मो संगवारी जऊन मन सदूकीमन के दल के रिहिन, जलन करे लगिन। 18 ओमन प्रेरितमन ला पकड़के जेल म डाल दीन। 19 पर ओ रतिहा परभू के एक स्वरगदूत ह जेल के कपाटमन ला खोलके ओमन ला बाहिर ले आईस। 20 अऊ ओमन ला कहिस, “जावव, मंदिर म ठाढ़ होके ए नवां जिनगी के जम्मो बात मनखेमन ला सुनावव।”
21 जइसने ओमन ला कहे गे रिहिस, ओमन बिहनियां होतेच ही मंदिर म जाके मनखेमन ला उपदेस देवन लगिन। जब महा पुरोहित अऊ ओकर संगीमन आईन, त ओमन धरम-महासभा जऊन ह इसरायलीमन के मुखियामन के पंचायत रिहिस, बलाईन अऊ जेल ला संदेस पठोईन कि प्रेरितमन ला ओमन करा लाने जावय। 22 पर जब सिपाहीमन जेल म हबरिन, त ओमन पतरस अऊ यूहन्ना ला उहां नइं पाईन। तब ओमन लहुंटके बताईन, 23 “हमन जेल ला बड़े हिफाजत ले बंद अऊ पहरेदारमन ला बाहिर कपाटमन म ठाढ़े पाएन, पर जब हमन कपाटमन ला खोलेन त भीतर म हमन ला कोनो नइं मिलिन।” 24 जब मंदिर के सिपाहीमन के अधिकारी अऊ मुखिया पुरोहितमन ए बात ला सुनिन, त चिंता करके सोचे लगिन कि ए का होवइया हवय?
25 तब एक झन आके ओमन ला बताईस, “देखव, जऊन मन ला तुमन जेल म बंद करे रहेव, ओमन मंदिर के अंगना म ठाढ़ होके मनखेमन ला उपदेस देवत हवंय।” 26 तब अधिकारी ह अपन सिपाहीमन संग गीस अऊ प्रेरितमन ला ले आईस। ओमन बल के उपयोग नइं करिन, काबरकि ओमन डर्रावत रिहिन कि कहूं मनखेमन ओमन ला पथरा फेंकके मार झन डारंय।
29 तब यीसू ह ओमन ला ए पटंतर कहिस, “अंजीर के रूख अऊ जम्मो आने रूखमन ला देखव। 30 जब ओम पान निकरथे, त तुमन देखके खुदे जान लेथव कि घाम के महिना अवइया हवय। 31 ओही किसम ले, जब तुमन ए बातमन ला होवत देखव, त जान लेवव कि परमेसर के राज ह अवइया हवय।
32 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि जब तक ए जम्मो बातमन नइं हो जावंय, तब तक ए पीढ़ी के मनखेमन नइं मरंय। 33 अकास अऊ धरती ह टर जाही, पर मोर बात ह कभू नइं टरय।
34 सचेत रहव, नइं तो तुम्हर हिरदय ह खराप जिनगी, मतवालपन अऊ जिनगी के चिंता करे म लग जाही, अऊ ओ दिन ह एक ठन फांदा के सहीं तुम्हर ऊपर आ जाही। 35 काबरकि एह ओ जम्मो झन के ऊपर आही, जऊन मन धरती म रहिथें। 36 हमेसा सचेत रहव अऊ पराथना करत रहव कि तुमन ओ जम्मो अवइया संकट ले बच सकव, अऊ तुमन ‘मनखे के बेटा’ के आघू म ठाढ़ होय के लइक बन सकव।”
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