Book of Common Prayer
पौलुस के आनंद
2 हमर बर अपन हिरदय ला खोलव। हमन काकरो अनियाय नइं करे हवन; हमन काकरो नइं बिगाड़े हवन अऊ हमन काकरो ले कोनो फायदा नइं उठाय हवन। 3 मेंह तुमन ला दोसी ठहराय बर, ए नइं कहत हवंव। काबरकि मेंह पहिली ले कह चुके हवंव कि तुमन हमर हिरदय म अइसने बस गे हवव कि हमन तुम्हर संग मरे या जीये बर घलो तियार हवन। 4 मोला तुम्हर ऊपर बहुंत भरोसा हवय; मोला तुम्हर ऊपर बड़ घमंड हवय। मेंह बहुंत उत्साहित हवंव। अपन जम्मो समस्या म घलो, मेंह बहुंत आनंदित हवंव।
5 काबरकि जब हमन मकिदुनिया म आयेंन, त हमन ला कोनो अराम नइं मिलिस, पर हमन हर तरफ ले दुःख पायेन – बाहिर म झगरा होवत रहय अऊ हमर हिरदय म डर बने रहय। 6 पर परमेसर जऊन ह उदास मनखेमन ला सांति देथे, तीतुस के आय के दुवारा हमन ला सांति दीस[a]। 7 अऊ सिरिप ओकर आय के दुवारा ही नइं, पर जऊन सांति ओला तुमन दे हवव, ओकर दुवारा घलो। ओह हमन ला तुम्हर मया, तुम्हर दुःख अऊ मोर बर तुम्हर चिंता के बारे बताईस, जेकर ले मेंह अऊ आनंदित होवत हवंव।
8 हालाकि मोर चिट्ठी के दुवारा तुमन ला दुःख पहुंचिस, पर मेंह ओकर बर नइं पछतावत हंव, जइसने कि पहिली पछतावत रहेंव; काबरकि मेंह देखत हंव कि मोर चिट्ठी ले तुमन ला दुःख तो पहुंचिस, पर ओह थोरकन समय बर रिहिस। 9 पर अब मेंह खुस हवंव। मोर खुसी ह एकरसेति नो हय कि तुमन ला दुःख पहुंचिस, पर एकरसेति अय कि ओ दुःख के कारन तुमन पछताप करेव। परमेसर के ईछा के मुताबिक तुमन ला दुःख पहुंचिस अऊ ए किसम ले तुमन ला हमर कोति ले कोनो नुकसान नइं होईस। 10 काबरकि परमेसर के ईछा के मुताबिक दुःख सहे ले पछतावा होथे, जेकर ले उद्धार मिलथे अऊ एकर ले दुःख नइं होवय, पर संसारिक दुःख ले मिरतू होथे। 11 देखव, ए दुःख जऊन ह तुमन ला परमेसर के ईछा के मुताबिक मिलिस, तुमन म कतेक उत्सुकता अऊ अपन-आप ला निदरोस साबित करे बर उत्साह, कोरोध, भय, लालसा, बियाकुलता अऊ नियाय देवाय बर तत्परता लानिस। हर किसम ले तुमन अपन-आप ला ए चीज म निरदोस साबित करे हवव। 12 मेंह तुमन ला ओ चिट्ठी एकरसेति नइं लिखेंव कि मोला अनियाय करइया या अनियाय सहइया के चिंता रिहिस, पर एकरसेति लिखेंव कि परमेसर के आघू म तुमन खुद जान लेवव कि हमर बर तुम्हर कतेक लगाव हवय। 13 ए जम्मो के दुवारा हमन ला उत्साह मिलिस। अऊ हमन सिरिप उत्साहित ही नइं होएन, पर हमन ला ए देखके खुसी होईस कि जऊन मदद तुमन तीतुस ला दे रहेव, ओकर सेति ओह बड़ खुस हवय। 14 मेंह तीतुस के आघू म तुम्हर बड़ई करे रहेंव अऊ तुमन एकर बारे म मोला सरमिन्दा नइं करेव। पर जइसने हमन तुम्हर ले हमेसा सच गोठियाय हवन, वइसने तुम्हर बारे म हमर बड़ई ह तीतुस के आघू म सच साबित होय हवय। 15 जब ओह सुरता करथे कि कइसने तुमन जम्मो झन हुकूम ला मानत रहेव अऊ कइसने तुमन डरत अऊ कांपत ओला गरहन करेव, त तुम्हर बर ओकर मया ह अऊ बढ़ जाथे। 16 मोला खुसी हवय कि मेंह तुम्हर ऊपर पूरा भरोसा कर सकथंव।
परमेसर के राज के अवई
(मत्ती 24:23-28, 37-41)
20 एक बार, फरीसीमन यीसू ले पुछिन कि परमेसर के राज ह कब आही, त ओह जबाब दीस, “परमेसर के राज ह अइसने नइं आवय कि ओला तुमन देख सकव; 21 अऊ न कोनो कह सकंय, ‘देखव, ओह इहां हवय,’ या ‘ओह उहां हवय,’ काबरकि परमेसर के राज ह तुम्हर भीतर हवय।”
22 तब ओह अपन चेलामन ला कहिस, “ओ समय ह आवत हवय, जब तुमन मनखे के बेटा के एक दिन ला देखे के ईछा करहू, पर ओह तुमन ला देखे बर नइं मिलही। 23 मनखेमन तुमन ला कहिहीं, ‘ओह उहां हवय’ या ‘ओह इहां हवय!’ पर तुमन ओमन के पाछू झन जावव। 24 काबरकि मनखे के बेटा ह अपन दिन म ओ बिजली के सहीं होही, जऊन ह अकास म एक छोर ले दूसर छोर तक चमकथे अऊ अंजोर देथे। 25 पर पहिली ए जरूरी ए कि ओह बहुंत दुःख भोगय अऊ ए पीढ़ी के मनखेमन के दुवारा अस्वीकार करे जावय।
26 जइसने नूह के समय म होईस, वइसनेच मनखे के बेटा के समय म घलो होही। 27 नूह के पानी जहाज के भीतर जावत तक, मनखेमन खावत-पीयत रिहिन, अऊ ओमन के बीच सादी-बिहाव होवत रिहिस, पर नूह के जहाज म चघे के बाद पानी के बाढ़ आईस अऊ ओ जम्मो झन ला नास कर दीस।
28 अइसनेच, लूत के समय म घलो होईस। मनखेमन खावत-पीयत रहंय, लेन-देन करत रहंय, रूख लगावत रहंय अऊ घर बनावत रहंय। 29 पर जऊन दिन लूत ह सदोम सहर ला छोंड़के चल दीस, ओहीच दिन अकास ले आगी अऊ गंधक गिरिस अऊ ओ जम्मो झन ला नास कर दीस।
30 जऊन दिन मनखे के बेटा ह परगट होही, ओ दिन घलो बिलकुल अइसनेच होही। 31 ओ दिन जऊन ह अपन घर के छानी म होवय, ओह घर ले अपन सामान ले बर छानी से झन उतरय। ओही किसम ले जऊन ह बाहिर खेत म होवय, ओह घर ला झन लहुंटय। 32 लूत के घरवाली ला सुरता करव[a]। 33 जऊन ह अपन जिनगी ला बचाय के कोसिस करथे, ओह ओला गंवाही अऊ जऊन ह अपन जिनगी ला गंवाथे, ओह ओला बचाही। 34 मेंह तुमन ला कहत हंव, ओ रतिहा दू झन मनखे एक ठन खटिया म सुते होहीं, ओम ले एक झन ला ले लिये जाही, अऊ दूसर झन ह छोंड़ दिये जाही। 35 दू माईलोगनमन एक संग आंटा पीसत होहीं, ओम ले एक झन ला ले लिये जाही, अऊ दूसर झन ला छोंड़ दिये जाही। 36 दू झन खेत म होहीं, ओम ले एक झन ला ले लिये जाही, अऊ दूसर झन ला छोंड़ दिये जाही[b]।”
37 चेलामन ओकर ले पुछिन, “हे परभू, ओमन ला कहां ले लिये जाही?”
यीसू ह ओमन ला कहिस, “जिहां लास हवय, उहां गिधवामन जूरहीं।”
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