Book of Common Prayer
18 हे बेटा तीमुथियुस, ओ अगम बात के मुताबिक, जऊन ह पहिली तोर बारे म कहे गे रिहिस, मेंह तोला ए हुकूम देवत हंव कि ओकर मुताबिक सही जिनगी म चलत रह, 19 अऊ बिसवास अऊ सही बिवेक म बने रह। कुछू मनखेमन एला नइं मानिन अऊ एकरसेति ओमन के बिसवास ह खतम हो गीस। 20 ओमन म हुमिनयुस अऊ सिकन्दर अंय, जेमन ला मेंह सैतान ला सऊंप दे हवंव, ताकि ओमन सिखंय अऊ परमेसर के निन्दा झन करंय।
अराधना के बारे म निरदेस
2 सबले पहिली ए अनुरोध करत हंव कि बिनती, पराथना, निबेदन अऊ धनबाद जम्मो मनखे बर करे जावय – 2 राजा अऊ जम्मो ऊंच पद के मनखे बर ए करे जावय, ताकि हमन सांति अऊ सुख के जिनगी भक्ति अऊ पबितरता के संग जीयन। 3 एह बने बात ए अऊ एह हमर उद्धार करइया परमेसर ला भाथे। 4 ओह चाहथे कि जम्मो मनखेमन के उद्धार होवय अऊ ओमन सत के गियान ला जानंय। 5 काबरकि सिरिप एके परमेसर हवय अऊ परमेसर अऊ मनखेमन के बीच म एकेच बिचवई हवय, याने मसीह यीसू, जऊन ह मनखे अय। 6 ओह जम्मो मनखेमन के पाप के छुटकारा खातिर अपन-आप ला दे दीस अऊ ए गवाही ह ठीक समय म दिये गीस। 7 मेंह सच कहत हंव, लबारी नइं मारत हंव। एकरे खातिर, मेंह सुघर संदेस के परचारक, प्रेरित अऊ आनजातमन बर सही बिसवास के एक गुरू ठहिराय गे हवंव।
8 मेंह चाहत हंव कि जम्मो जगह मनखेमन बिगर गुस्सा या बिवाद के, पबितरता के संग अपन हांथ ऊपर उठाके पराथना करंय।
यीसू ह अंजीर के रूख ला सराप देथे
(मत्ती 21:18-19)
12 ओकर दूसर दिन जब ओमन बैतनियाह ले जावत रिहिन, त यीसू ला भूख लगिस। 13 थोरकन दूरिहा म, एक ठन हरिहर अंजीर के रूख ला देखके, यीसू ह ए सोचके उहां गीस कि ओ रूख म कुछू फर होही, पर ओह जब उहां गीस, त ओला उहां पान के छोंड़ कुछू नइं मिलिस, काबरकि ओह फर के मौसम नइं रिहिस। 14 तब ओह रूख ला कहिस, “अब ले फेर तोर म फर कभू झन लगय।” अऊ ओकर चेलामन ए गोठ ला सुनत रिहिन।
15 ओमन यरूसलेम सहर म आईन। अऊ यीसू ह मंदिर म गीस, अऊ जऊन मन उहां बेचे अऊ बिसोय के काम करत रहंय, ओमन ला बाहिर निकारे के सुरू करिस। अऊ रूपिया के अदला-बदली करइया अऊ पंड़की बेचइया मन के मेजमन ला उलट-पुलट दीस। 16 अऊ मंदिर के सीमना म कोनो ला लेन-देन करे के सामान लेके आवन-जावन नइं दीस। 17 ओह ओमन ला उपदेस देके कहिस, “का परमेसर के बचन म ए नइं लिखे हवय:
‘मोर घर ह जम्मो देस के मनखेमन बर पराथना के घर होही? पर तुमन एला डाकूमन के खोड़रा बना दे हवव।’[a]”
18 एला सुनके, मुखिया पुरोहित अऊ कानून के गुरू मन ओला मार डारे के मऊका खोजन लगिन, पर ओमन ओकर ले डर्रावत रिहिन। काबरकि भीड़ के जम्मो मनखेमन ओकर उपदेस ला सुनके चकित होवत रिहिन।
19 जब सांझ होईस, त यीसू अऊ ओकर चेलामन सहर ले बाहिर चल दीन।
सूखा अंजीर रूख
(मत्ती 21:20-22)
20 बिहनियां, जब ओमन जावत रिहिन, त देखिन कि ओ अंजीर के रूख ह जरमूर ले सूखा गे रहय। 21 तब पतरस ह ओ गोठ ला सुरता करके यीसू ला कहिस, “हे गुरू! देख, ए अंजीर के रूख जऊन ला तेंह सराप दे रहय, सूखा गे हवय।”
22 यीसू ह ओमन ला कहिस, “परमेसर ऊपर बिसवास रखव। 23 मेंह तुमन ला सच कहत हंव, कहूं कोनो ए पहाड़ ले कहय कि जा अऊ समुंदर म गिर जा, अऊ ओह अपन मन म संदेह झन करय, पर परमेसर के ऊपर बिसवास करय कि जऊन बात ओह कहत हवय, ओह हो जाही, त ओकर बर वइसनेच करे जाही। 24 एकरसेति, मेंह तुमन ला कहत हंव, जऊन कुछू तुमन पराथना म मांगथव, बिसवास करव कि ओह तुमन ला मिलही अऊ ओह तुम्हर बर हो जाही। 25 जब तुमन ठाढ़ होके पराथना करव, त कहूं तुम्हर मन म काकरो बर कुछू बिरोध हवय, त ओला माफ करव, ए खातिर कि तुम्हर ददा जऊन ह स्वरग म हवय, तुम्हर अपराध ला माफ करही। 26 अऊ कहूं तुमन माफ नइं करव, त तुम्हर ददा परमेसर घलो जऊन ह स्वरग म हवय, तुम्हर अपराध ला माफ नइं करही।”
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.