Book of Common Prayer
अंजोर के लइकामन सहीं जिनगी बितई
17 एकरसेति, मेंह तुमन ला कहत हंव अऊ परभू म जोर देवत हंव कि जइसने आनजातमन अपन मन के बेकार सोच म चलथें, वइसने तुमन बिलकुल झन चलव। 18 ओमन के मन ह अंधियार म हवय। ओमन अपन हिरदय ला कठोर कर ले हवंय, जेकर कारन ओमन म अगियानता हवय अऊ अगियानता के कारन ओमन परमेसर के जिनगी ले अलग हो गे हवंय। 19 ओमन ला कोनो सरम नइं ए, ओमन अपन-आप ला दुराचार के काम बर दे देय हवंय, ताकि हर किसम के असुध काम म हमेसा देहें के वासना म बने रहंय।
20 पर तुमन मसीह के अइसने सिकछा नइं पाय हवव। 21 तुमन सही रूप म, ओकर सुने हवव अऊ ओ सच्चई के सिकछा पाय हवव, जऊन ह यीसू म हवय। 22 एकरसेति अपन पुराना चाल-चलन ला छोंड़ देवव, जऊन ह तुम्हर पहिली के जिनगी ले संबंध रखथे अऊ अपन धोखा देवइया लालसा के दुवारा बिगड़त जाथे; 23 अऊ अपन मन के आतमा म नवां बन जावव; 24 अऊ नवां चाल-चलन ला धर लेवव, जऊन ह सही के धरमीपन अऊ पबितरता म, परमेसर के सरूप म सिरजे गे हवय।
25 एकरसेति, लबारी गोठियाय ला छोंड़ देवव अऊ तुमन ले हर एक झन अपन पड़ोसी ले सच गोठियावय, काबरकि हमन जम्मो झन एके देहें के सदस्य अन। 26 गुस्सा त करव, फेर पाप झन करव; सूरज के बुड़त के पहिली अपन गुस्सा ला थूक देवव। 27 अऊ सैतान ला कोनो मऊका झन देवव। 28 जऊन ह चोरी करथे, ओह अब चोरी झन करय, पर ईमानदारी के काम म अपन हांथ ले मिहनत करय; ताकि जऊन मन ला जरूरत हवय, ओमन ला देय बर ओकर करा कुछू रहय।
29 तुम्हर मुहूं ले कोनो खराप बात झन निकरय, पर सिरिप ओहीच बात निकरय, जऊन ह जरूरत के मुताबिक आने मन के बढ़ती म मददगार होथे, ताकि जऊन मन सुनंय, ओमन ला एकर ले फायदा होवय। 30 अऊ परमेसर के पबितर आतमा ला उदास झन करव, जेकर दुवारा तुम्हर ऊपर ओ दिन बर मुहर लगे हवय, जब पाप ले मुक्ति होही। 31 जम्मो किसम के करू बात, रोस, गुस्सा, कलह, निन्दा अऊ जम्मो किसम के बईरता ला छोंड़ देवव। 32 एक-दूसर के ऊपर दया अऊ किरपा करव, अऊ जइसने परमेसर ह मसीह म तुमन ला छेमा करिस, वइसने तुमन घलो एक-दूसर ला छेमा करव।
19 अऊ यहूदा इस्करियोती जऊन ह यीसू ला पकड़वाय रिहिस।
यीसू अऊ बालजबूल
(मत्ती 12:22-32; लूका 11:14-23; 12:10)
20 जब यीसू ह घर म आईस, त फेर अइसने भीड़ जुर गीस कि ओह अऊ ओकर चेलामन खाना तक नइं खा सकिन। 21 जब ओकर परिवार के मन ए सुनिन, त ओला घर ले जाय बर आईन, काबरकि ओमन कहत रिहिन कि ओकर चित ह ठीक नइं ए।
22 अऊ कानून के गुरू, जऊन मन यरूसलेम ले आय रिहिन, अइसने कहंय कि ओम सैतान हवय अऊ ओह परेत आतमामन के सरदार (बालजबूल) के मदद ले परेत आतमामन ला निकारथे।
23 यीसू ह ओमन ला लकठा म बलाके पटंतर म कहिस, “सैतान ह सैतान ला कइसने निकार सकथे? 24 कहूं कोनो राज म फूट पड़ जावय, त ओ राज ह बने नइं रह सकय। 25 वइसनेच कहूं कोनो घर म फूट पड़ जावय, त ओ घर ह बने नइं रह सकय। 26 कहूं सैतान ह अपनेच बिरोध म होके अपनेच म फूट डारही, त ओह कइसने बने रह सकथे? ओकर बिनास हो जाही। 27 कोनो मनखे कोनो बलवान मनखे के घर म घुसर के ओकर घर ला लूट नइं सकय, जब तक कि ओह पहिली ओ बलवान मनखे ला नइं बांध लिही, तभे ओह ओकर घर ला लूट सकथे। 28 मेंह तुमन ला सच कहत हंव कि मनखेमन के जम्मो पाप अऊ निन्दा करई ह माफ करे जाही, 29 पर जऊन ह पबितर आतमा के बिरोध म निन्दा करथे, ओला कभू माफ नइं करे जावय; ओह अनंत पाप के दोसी ठहरही।” 30 यीसू ह ए जम्मो बात एकर खातिर कहिस काबरकि ओमन ए कहत रिहिन कि ओम परेत आतमा हवय।
यीसू के दाई अऊ भाईमन
(मत्ती 12:46-50; लूका 8:19-21)
31 तब यीसू के दाई अऊ भाईमन उहां आईन अऊ बाहिर म खड़े होके, एक झन ला ओला बलाय बर पठोईन। 32 एक बड़े भीड़ यीसू के चारों खूंट बईठे रिहिस, अऊ ओमन ओला कहिन, “देख, तोर दाई अऊ भाईमन बाहिर म तोला खोजत हवंय।” 33 ओह ओमन ले पुछिस, “मोर दाई अऊ भाईमन कोन अंय?” 34 तब ओह अपन चारों खूंट बईठे भीड़ ला देखके कहिस, “एमन मोर दाई अऊ भाई अंय। 35 जऊन कोनो परमेसर के ईछा ला पूरा करथे, ओह मोर भाई, बहिनी अऊ दाई अय।”
Copyright: New Chhattisgarhi Translation (नवां नियम छत्तीसगढ़ी) Copyright © 2012, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.