Book of Common Prayer
10 दमिस्क म हनन्याह नांव के एक झन चेला रहय। परभू ह ओला दरसन म कहिस, “हे हनन्याह!”
ओह कहिस, “हां, परभू।”
11 त परभू ह ओला कहिस, “उठ, अऊ ओ गली म जा, जऊन ला ‘सीधा’ कहे जाथे। उहां यहूदा के घर म साऊल नांव के एक झन तरसुस के रहइया मनखे के बारे पुछबे। देख, ओह पराथना करत हवय। 12 ओह दरसन म हनन्याह नांव के एक मनखे ला घर के भीतर आवत अऊ अपन ऊपर हांथ रखत देखे हवय कि ओह फेर देखे लगय।”
13 हनन्याह ह कहिस, “हे परभू! मेंह ए मनखे के बारे म बहुंते झन ले सुने हवंव कि एह यरूसलेम म तोर ऊपर बिसवास करइयामन के ऊपर भारी अतियाचार करे हवय। 14 अऊ इहां दमिस्क म घलो ओह महा पुरोहित ले अधिकार लेके आय हवय कि जऊन मनखेमन तोर नांव लेथें, ओ जम्मो झन ला बंदी बनाके यरूसलेम ले जावय।”
15 पर परभू ह हनन्याह ला कहिस, “तेंह उहां जा, काबरकि ओह आनजातमन के अऊ ओमन के राजामन के अऊ इसरायली मनखेमन के आघू म मोर नांव के परचार करे बर मोर दुवारा चुने गे हवय। 16 अऊ मेंह ओला देखाहूं कि मोर नांव के खातिर ओला कतेक दुःख उठाय बर पड़ही।”
17 तब हनन्याह ह उठके ओ घर म गीस। उहां ओह साऊल ऊपर अपन हांथ ला रखके कहिस, “हे भाई साऊल! परभू याने यीसू, जऊन ह तोला ओ रसता म आवत बेरा दिखाई दे रिहिस, ओही ह मोला पठोय हवय कि तेंह फेर देखे लग अऊ पबितर आतमा ले भर जा।” 18 तुरते साऊल के आंखीमन ले कुछू छिलका सहीं गिरिस अऊ ओह फेर देखे लगिस। ओह उठके बतिसमा लीस अऊ खाना खाके फेर बल पाईस।
दमिस्क अऊ यरूसलेम सहर म साऊल
19 साऊल ह कुछू दिन तक चेलामन के संग दमिस्क म रिहिस।
41 तब यहूदीमन यीसू ऊपर बड़बड़ाय लगिन, काबरकि ओह ए कहे रिहिस, “मेंह ओ रोटी अंव, जऊन ह स्वरग ले उतरिस।” 42 ओमन कहिन, “का एह यूसुफ के बेटा यीसू नो हय, जेकर दाई-ददा ला हमन जानथन? तब ओह कइसने कह सकथे कि ओह स्वरग ले उतरे हवय?”
43 यीसू ह ओमन ला ए जबाब दीस, “आपस म बड़बड़ाय बर बंद करव। 44 मोर करा कोनो नइं आ सकय, जब तक ददा जऊन ह मोला पठोय हवय, ओला मोर तरफ नइं खींचय; अऊ मेंह ओला आखिरी दिन म जीयाहूं। 45 अगमजानीमन के किताब म ए लिखे हवय: ‘ओ जम्मो झन परमेसर के दुवारा सिखाय जाहीं।’[a] जऊन कोनो ददा के सुनथे अऊ ओकर ले सिखथे, ओह मोर करा आथे। 46 अइसने नो हय कि कोनो ददा ला देखे हवय, पर जऊन ह परमेसर के कोति ले आय हवय, सिरिप ओहीच ह ददा ला देखे हवय। 47 मेंह तुमन ला सच कहथंव, जऊन ह बिसवास करथे, ओह परमेसर के संग सदाकाल के जिनगी पाथे। 48 जिनगी के रोटी मेंह अंव। 49 तुम्हर पुरखामन निरजन जगह म मन्ना खाईन, पर ओमन मर गीन। 50 पर एह ओ रोटी अय, जऊन ह स्वरग ले उतरे हवय ताकि मनखे ह एला खावय अऊ झन मरय। 51 मेंह ओ जीयत रोटी अंव, जऊन ह स्वरग ले उतरिस। यदि कोनो ए रोटी म ले खाही, त ओह सदाकाल तक जीयत रहिही। ओ रोटी जऊन ला मेंह संसार के जिनगी बर दूहूं, ओह मोर मांस ए।”
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