Book of Common Prayer
30 ओकर आने दिन, सही-सही बात ला जाने बर कि यहूदीमन पौलुस ऊपर काबर दोस लगावत हवंय, सेनापति ह ओकर संकली ला खुलवा दीस अऊ मुखिया पुरोहितमन ला अऊ जम्मो धरम-महासभा के मनखेमन ला जुरे के हुकूम दीस। तब ओह पौलुस ला लानके ओमन के आघू म ठाढ़ करिस।
23 पौलुस ह धरम-महासभा कोति एकटक देखिस अऊ कहिस, “हे भाईमन हो! मेंह आज तक परमेसर खातिर सही मन से काम करे हवंव।” 2 अतकी म महा पुरोहित हनन्याह ह ओमन ला, जऊन मन पौलुस के लकठा म ठाढ़े रहंय, ओकर मुहूं म मारे के हुकूम दीस। 3 तब पौलुस ह ओला कहिस, “हे चूना पोताय भिथी! परमेसर ह तोला मारही। तेंह उहां कानून के मुताबिक मोर नियाय करे बर बईठे हवस, पर कानून के उल्टा मोला मारे के हुकूम देवत हस[a]।”
4 पौलुस के लकठा म ठाढ़े मनखेमन ओला कहिन, “तेंह परमेसर के महा पुरोहित के बेजत्ती करत हस।”
5 पौलुस ह कहिस, “हे भाईमन हो! मेंह नइं जानत रहेंव कि एह महा पुरोहित ए, काबरकि परमेसर के बचन ह कहिथे, ‘अपन मनखेमन के हाकिम के बारे म खराप बात झन कह।’[b]”
6 तब पौलुस ह ए जानके कि इहां कुछू सदूकी अऊ फरीसी मन घलो हवंय, ओह महासभा म कहिस, “हे मोर भाईमन! मेंह एक फरीसी अंव अऊ एक फरीसी के बेटा अंव। मुरदामन के फेर जी उठे के मोर आसा के बारे म मोर ऊपर मुकदमा चलत हवय।” 7 जब पौलुस ह ए बात कहिस, त फरीसी अऊ सदूकी मन म झगरा होय लगिस अऊ सभा म फूट पड़ गे। 8 (काबरकि सदूकीमन बिसवास करथें कि मुरदामन नइं जी उठंय अऊ न स्वरगदूत हवय, न आतमा; पर फरीसीमन ए जम्मो बात म बिसवास करथें)।
9 तब अब्बड़ हो-हल्ला होईस अऊ फरीसी दल के कानून के कुछू गुरूमन ठाढ़ होके जोरदार बहस करन लगिन अऊ कहिन, “हमन ए मनखे म कोनो खराप बात नइं पावत हवन। कहूं कोनो आतमा या स्वरगदूत एला कुछू कहे हवय, त का होईस?” 10 जब बहुंत झगरा होय लगिस, त सेनापति ह डर्रा गे कि कहूं ओमन पौलुस के कुटी-कुटी झन कर डारंय। एकरसेति, ओह सैनिकमन ला हुकूम दीस कि ओमन उतरके पौलुस ला मनखेमन के बीच ले निकार लें अऊ ओला किला म ले जावंय।
11 ओ रतिहा परभू ह पौलुस के लकठा म ठाढ़ होके कहिस, “हिम्मत रख। जइसने तेंह यरूसलेम म मोर गवाही दे हवस, वइसने तोला रोम म घलो मोर गवाही दे बर पड़ही।”
यीसू लकवा के मारे मनखे ला चंगा करथे
(मत्ती 9:1-8; लूका 5:17-26)
2 कुछू दिन के बाद, यीसू फेर कफरनहूम म आईस, अऊ ए समाचार ह जम्मो नगर म फइल गीस। 2 ओ घर जिहां ओह ठहरे रहय, उहां अतका झन झूम गीन कि अऊ एको झन बर ठऊर नइं रहय; इहां तक कि कपाट के बाहिर म घलो ठऊर नइं रिहिस। अऊ यीसू ह ओमन ला परमेसर के बचन सुनाईस। 3 उहां, लकवा के मारे एक मनखे ला, चार झन उठाके लानिन। 4 भीड़ के मारे ओमन यीसू के लकठा म नइं जा सकिन, एकर खातिर घर के छानी ला, जेकर तरी म यीसू रहय, उघार दीन, अऊ खटिया ला जेम लकवा के मारे ह रहय, यीसू के आघू म उतार दीन। 5 यीसू ह ओमन के बिसवास ला देखके लकवा के मारे मनखे ला कहिस, “बेटा! तोर पाप ह छेमा हो गे।”
6 तब कानून के कुछू गुरू, जऊन मन उहां बईठे रिहिन, अपन मन म सोचे लगिन, 7 “ए मनखे ह काबर अइसने कहत हवय। एह तो परमेसर के निन्दा करत हवय, काबरकि परमेसर के छोंड़ अऊ कोनो पाप ला छेमा नइं कर सकंय।”
8 यीसू ह तुरते अपन आतमा म जान डारिस कि ओमन अपन मन म का गुनत रिहिन, अऊ ओह ओमन ला कहिस, “तुमन काबर अपन मन म अइसने गुनत हवव? 9 सहज का ए? लकवा के मारे ला ए कहई कि तोर पाप ह छेमा हो गे या फेर ए कहई कि अपन खटिया ला उठा अऊ रेंग। 10 मेंह तुमन ला देखाहूं कि मनखे के बेटा ला धरती म पाप छेमा करे के अधिकार हवय।” तब ओह लकवा के मारे ला कहिस, 11 “उठ, अपन खटिया ला उठा अऊ घर जा।” 12 ओह उठिस अऊ खटिया ला लेके जम्मो मनखे के देखत चले गीस। एला देखके जम्मो झन चकित हो गीन अऊ ए कहिके परमेसर के महिमा करिन कि हमन अइसने कभू नइं देखे रहेंन।
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