Book of Common Prayer
26 सत के गियान ला पाय के बाद, कहूं हमन जान-बूझ के पाप करते रहिथन, त फेर कोनो घलो बलिदान हमर पाप ला दूरिहा नइं कर सकय, 27 पर सिरिप नियाय के एक भयानक बाट जोहई अऊ भयंकर आगी ह बांचही, जऊन ह परमेसर के बईरीमन ला जलाके भसम कर दिही। 28 जऊन कोनो मूसा के कानून ला नइं मानिस, ओह बिगर दया के दू या तीन मनखे के गवाही ले मारे गीस। 29 त तुमन सोचव कि ओ मनखे ह कतेक कठोर सजा के भागी ए, जऊन ह परमेसर के बेटा के इनकार करे हवय अऊ करार के ओ लहू ला तुछ जाने हवय, जेकर दुवारा ओह पबितर करे गे रिहिस, अऊ अनुग्रह के आतमा के बेजत्ती करे हवय। 30 काबरकि हमन ओला जानथन, जऊन ह ए कहिस, “बदला लेवई मोर काम ए; मेंह बदला लूहूं”[a] अऊ ओह फेर ए कहिस, “परभू ह अपन मनखेमन के नियाय करही।”[b] 31 जीयत परमेसर के हांथ म पड़ई बहुंत भयानक बात ए।
32 सुरू के ओ दिनमन ला सुरता करव, परमेसर के अंजोर ला पाय के बाद, जब तुमन कतको दुःख सहत घलो स्थिर रहेव। 33 कभू तुम्हर खुले आम बेजत्ती करे गीस अऊ तुमन ला सताय गीस, त कभू तुमन हर किसम ले ओमन के मदद करेव, जऊन मन के संग ए किसम के गलत बरताव करे जावत रिहिस। 34 तुमन कैदीमन बर सहानुभूति रखेव अऊ जब तुम्हर धन-संपत्ति ला लूटे गीस, त तुमन एला आनंद के संग स्वीकार करेव, काबरकि तुमन जानत रहेव कि तुम्हर करा एकर ले घलो उत्तम अऊ सदा बने रहइया संपत्ति हवय।
35 एकरसेति अपन भरोसा ला झन छोड़व, काबरकि तुमन ला एकर एक बड़े इनाम मिलही। 36 तुमन ला धीरज धरई जरूरी ए, ताकि जब तुमन परमेसर के ईछा ला पूरा कर लेवव, त तुमन ला ओ इनाम मिलय, जेकर वायदा परमेसर ह तुम्हर ले करे हवय। 37 काबरकि परमेसर के बचन ह कहिथे,
“अब बहुंते कम समय बचे हवय;
जऊन ह अवइया हवय,
ओह आही अऊ ओह देरी नइं करय।[c]
38 पर मोर धरमी जन ह बिसवास के दुवारा जीयत रहिही।
अऊ कहूं ओह पाछू हटथे,
त मेंह ओकर ले खुस नइं होवंव।”
39 पर हमन ओ मनखे नो हन, जऊन मन पाछू हट जाथें अऊ नास हो जाथें, पर हमन ओ मनखे अन, जऊन मन बिसवास करथें अऊ बचाय जाथें।
यीसू ह पानी ऊपर चलथे
(मत्ती 14:22-33; मरकुस 6:45-52)
16 जब सांझ होईस, त यीसू के चेलामन उतरके झील के तीर म गीन, 17 अऊ उहां झील के ओ पार कफरनहूम जाय बर, एक ठन डोंगा म बईठ गीन। जब ओमन जावत रिहिन, त अंधियार हो गे रहय, अऊ यीसू ह अभी तक ले ओमन करा नइं आय रहय। 18 तब एक बड़े आंधी झील के ऊपर चले लगिस, जेकर कारन पानी के बड़े-बड़े लहरा उठिस। 19 जब ओमन डोंगा ला खेवत-खेवत पांच-छै किलोमीटर चल दीन, त ओमन यीसू ला अपन डोंगा कोति आवत देखिन; ओह पानी ऊपर चलत रहय, अऊ ओमन डर्रा गीन। 20 पर यीसू ह ओमन ला कहिस, “एह में अंव, झन डर्रावव।” 21 तब ओमन ओला डोंगा म चघाय बर चाहत रिहिन कि डोंगा ह ओ तीर म पहुंच गीस, जिहां ओमन जवइया रिहिन।
22 दूसर दिन, ओ मनखेमन के भीड़, जऊन ह समुंदर के ओ पार तीर म रूके रहय, ए देखिस कि उहां सिरिप एक ठन डोंगा रिहिस, अऊ ओमन जानत रिहिन कि यीसू ह अपन चेलामन संग ओ डोंगा म नइं गे हवय, पर चेलामन यीसू के बिगर डोंगा म चल दे रिहिन। 23 तब कुछू आने डोंगामन तिबिरियास ले ओ जगह के लकठा म आईन, जिहां परभू के धनबाद करे के बाद मनखेमन रोटी खाय रिहिन। 24 जब भीड़ ह ए देखिस कि उहां न तो यीसू हवय अऊ न ही ओकर चेलामन, त ओमन डोंगामन म चघिन अऊ यीसू के खोज म कफरनहूम गीन।
यीसू ह जिनगी के रोटी
25 जब ओ मनखेमन ला यीसू ह समुंदर के ओ पार मिलिस, त ओमन ओकर ले पुछिन, “हे गुरू! तेंह इहां कब आय?”
26 यीसू ह ओमन ला कहिस, “मेंह तुमन ला सच कहथंव, तुमन मोला एकरसेति नइं खोजत हव कि तुमन अचरज के चिन्हां ला देखेव, पर एकरसेति कि तुमन छक के रोटी खाय रहेव। 27 ओ भोजन बर मिहनत झन करव, जऊन ह नास हो जाथे, पर ओ भोजन बर मिहनत करव, जऊन ह परमेसर के संग सदाकाल के जिनगी तक ठहरथे, जऊन ला मनखे के बेटा ह तुमन ला दिही। काबरकि परमेसर ददा ह ओकर ऊपर अपन मंजूरी के मुहर लगाय हवय।”
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