Print Page Options
Previous Prev Day Next DayNext

Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
Error: 'भजन संहिता 93 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'भजन संहिता 96 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'भजन संहिता 34 ' not found for the version: Saral Hindi Bible
Error: 'न्यायियों 6:1-24' not found for the version: Saral Hindi Bible
2 कोरिन्थॉस 9:6-15

उदार रोपण

याद रहे: वह, जो थोड़ा बोता है, थोड़ा ही काटेगा तथा वह, जो बहुत बोता है, बहुत काटेगा. इसलिए जिसने अपने मन में जितना भी देने का निश्चय किया है, उतना ही दे—बिना इच्छा के या विवशता में नहीं क्योंकि परमेश्वर को प्रिय वह है, जो आनन्द से देता है. परमेश्वर समर्थ हैं कि वह तुम्हें बहुत अधिक अनुग्रह प्रदान करें कि तुम्हें सब कुछ पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होता रहे और हर भले काम के लिए तुम्हारे पास अधिकता में हो, जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है:

उन्होंने कंगालों को उदारतापूर्वक दिया;
    उनकी कृपा युगानुयुग बनी रहती है.

10 वह परमेश्वर, जो किसान के लिए बीज का तथा भोजन के लिए आहार का इन्तज़ाम करते हैं, वही बोने के लिए तुम्हारे लिए बीज का इन्तज़ाम तथा विकास करेंगे तथा तुम्हारी धार्मिकता की उपज में उन्नति करेंगे. 11 अपनी अपूर्व उदारता के लिए तुम हरेक पक्ष में धनी किए जाओगे. हमारे माध्यम से तुम्हारी यह उदारता परमेश्वर के प्रति धन्यवाद का विषय हो रही है.

12 यह सेवकाई न केवल पवित्र लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने का ही साधन है परन्तु परमेश्वर के प्रति उमड़ता हुआ धन्यवाद का भाव भी है. 13 तुम्हारी इस सेवकाई को प्रमाण मानते हुए वे परमेश्वर की महिमा करेंगे क्योंकि तुमने मसीह के ईश्वरीय सुसमाचार को आज्ञा मानते हुए ग्रहण किया और तुम सभी के प्रति उदार मन के हो. 14 तुम पर परमेश्वर के अत्याधिक अनुग्रह को देख वे तुम्हारे लिए बड़ी लगन से प्रार्थना करेंगे. 15 परमेश्वर को उनके अवर्णनीय वरदान के लिए आभार!

मारक 3:20-30

मसीह येशु पर शैतान का दूत होने का आरोप

(मत्ति 12:22-37; लूकॉ 11:14-28)

20 जब मसीह येशु किसी के घर में थे तो दोबारा एक बड़ी भीड़ वहाँ इकठ्ठी हो गयी—यहाँ तक कि उनके लिए भोजन करना भी असम्भव हो गया. 21 जब मसीह येशु के परिवार जनों को इसका समाचार मिला तो वे मसीह येशु को अपने संरक्षण में अपने साथ ले जाने के लिए वहाँ आ गए—उनका विचार था कि मसीह येशु अपना मानसिक सन्तुलन खो चुके हैं.

22 येरूशालेम नगर से वहाँ आए हुए शास्त्रियों का मत था कि मसीह येशु में शैतान समाया हुआ है तथा वह दुष्टात्मा के प्रधान की सहायता से दुष्टात्मा निकाला करते हैं.

23 इस पर मसीह येशु ने उन्हें अपने पास बुला कर उनसे दृष्टान्तों में कहना प्रारम्भ किया, “भला शैतान ही शैतान को कैसे निकाल सकता है? 24 यदि किसी राज्य में फूट पड़ चुकी है तो उसका अस्तित्व बना नहीं रह सकता. 25 वैसे ही यदि किसी परिवार में फूट पड़ जाए तो वह स्थायी नहीं रह सकता. 26 यदि शैतान अपने ही विरुद्ध उठ खड़ा हुआ है और वह बंट चुका है तो उसका अस्तित्व बना रहना असम्भव है—वह तो नाश हो चुका है! 27 कोई भी किसी बलवान व्यक्ति के यहाँ जबरदस्ती प्रवेश कर उसकी सम्पत्ति उस समय तक लूट नहीं सकता जब तक वह उस बलवान व्यक्ति को बान्ध न ले. तभी उसके लिए उस बलवान व्यक्ति की सम्पत्ति लूटना सम्भव होगा.

28 “मैं तुम पर एक अटूट सच प्रकट कर रहा हूँ: मनुष्य द्वारा किए गए सभी पाप और परमेश्वर की निन्दाएँ क्षमा योग्य हैं 29 किन्तु पवित्रात्मा के विरुद्ध की गई निन्दा किसी भी प्रकार क्षमा योग्य नहीं है. वह व्यक्ति अनन्त पाप का दोषी है.”

30 मसीह येशु ने यह सब इसलिए कहा था कि शास्त्रियों ने उन पर दोष लगाया था कि मसीह येशु में प्रेत समाया हुआ है.

Saral Hindi Bible (SHB)

New Testament, Saral Hindi Bible (नए करार, सरल हिन्दी बाइबल) Copyright © 1978, 2009, 2016 by Biblica, Inc.® All rights reserved worldwide.