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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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प्रेरित 28:23-31

रोम नगर के यहूदियों के सामने पौलॉस का भाषण

23 तब इसके लिए एक दिन तय किया गया और निर्धारित समय पर बड़ी संख्या में लोग उनके घर पर आए. सुबह से लेकर शाम तक पौलॉस सच्चाई से परमेश्वर के राज्य के विषय में शिक्षा देते रहे तथा मसीह येशु के विषय में मोशेह की व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं के लेखों से स्पष्ट करके उन्हें दिलासा दिलाते रहे. 24 उनकी बातों को सुनकर उनमें से कुछ तो मान गए किन्तु कुछ अन्यों ने इसका विश्वास नहीं किया. 25 जब वे एक दूसरे से सहमत न हो सके तो वे पौलॉस की इस अन्तिम बात को सुन कर जाने लगे: “भविष्यद्वक्ता यशायाह ने पवित्रात्मा के द्वारा आप लोगों के पूर्वजों पर एक ठीक सच्चाई ही प्रकाशित की थी:

26 “‘इन लोगों से जाकर कहो,
“तुम लोग सुनते तो रहोगे, किन्तु समझोगे नहीं.
    तुम लोग देखते भी रहोगे, किन्तु पहचान न सकोगे.”
27 क्योंकि इन लोगों का हृदय जड़ हो चुका है.
    अपने कानों से वे कदाचित ही कुछ सुन पाते हैं
    और आँखें तो उन्होंने मूंद ही रखी हैं,
कि कहीं वे आँखों से देख न लें
    और कानों से सुन न लें
    और अपने हृदय से समझ कर लौट आएँ और मैं, परमेश्वर,
उन्हें स्वस्थ और पूर्ण बना दूँ.’

28 “इसलिए यह सही है कि आपको यह मालूम हो जाए कि परमेश्वर का यह उद्धार अब अन्यजातियों के लिए भी मौजूद है. वे भी इसे स्वीकार करेंगे.” 29 उनकी इन बातों के बाद यहूदी वहाँ से आपस में झगड़ते हुए चले गए.

30 पौलॉस वहाँ अपने भाड़े के मकान में पूरे दो साल रहे. वह भेंट करने आए व्यक्तियों को पूरे दिल से स्वीकार करते थे.

31 वह निडरता से, बिना रोक-टोक के, पूरे साफ़-साफ़ शब्दों में परमेश्वर के राज्य का प्रचार करते और प्रभु मसीह येशु के विषय में शिक्षा देते रहे.

मारक 2:23-28

शिष्यों का शब्बाथ पर बालें तोड़ना

(मत्ति 12:1-8; लूकॉ 6:1-5)

23 एक शब्बाथ पर मसीह येशु अन्न के खेतों में से हो कर जा रहे थे. चलते हुए उनके शिष्य बालें तोड़ने लगे. 24 इस पर फ़रीसियों ने मसीह येशु से कहा, “देखो! वे लोग वह काम क्यों कर रहे हैं, जो शब्बाथ पर व्यवस्था के अनुसार नहीं है?”

25 मसीह येशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या आपने कभी पढ़ा नहीं? क्या किया था दाविद ने जब वह तथा उनके साथी भूखे और भोजन की कमी में थे? 26 महायाजक अबियाथार के समय में उन्होंने परमेश्वर के भवन में प्रवेश किया तथा समर्पित पवित्र रोटी खाई जिसे खाना याजक के अतिरिक्त अन्य किसी के लिए व्यवस्था के अनुसार नहीं था. यही रोटी उन्होंने अपने साथियों को भी दी.”

27 तब उन्होंने आगे कहा, “शब्बाथ की स्थापना मनुष्य के लिए की गई है न कि मनुष्य की शब्बाथ के लिए. 28 यह भी सुनो: मनुष्य का पुत्र शब्बाथ का भी स्वामी है.”

Saral Hindi Bible (SHB)

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