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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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रोमियों 12:1-8

आत्मिक वन्दना-विधि

12 प्रियजन, परमेश्वर की बड़ी दया के प्रकाश में तुम सबसे मेरी विनती है कि तुम अपने शरीर को परमेश्वर के लिए परमेश्वर को भानेवाला जीवन तथा पवित्र बलि के रूप में भेंट करो. यही तुम्हारी आत्मिक आराधना की विधि है. इस संसार के स्वरूप में न ढलो, परन्तु मन के नए हो जाने के द्वारा तुममें जड़ से परिवर्तन हो जाए कि तुम परमेश्वर की इच्छा को, जो उत्तम, ग्रहण करने योग्य तथा त्रुटिहीन है, सत्यापित कर सको.

विनम्रता तथा प्रेम

मुझे दिए गए बड़े अनुग्रह के द्वारा मैं तुममें से हर एक को सम्बोधित करते हुए कहता हूँ कि कोई भी स्वयं को अधिक न समझे, परन्तु स्वयं के विषय में तुम्हारा आकलन परमेश्वर द्वारा दिए गए विश्वास के परिमाण के अनुसार हो. यह इसलिए कि जिस प्रकार हमारे शरीर में अनेक अंग होते हैं और सब अंग एक ही काम नहीं करते; उसी प्रकार हम, जो अनेक हैं, मसीह में एक शरीर तथा व्यक्तिगत रूप से सभी एक दूसरे के अंग हैं. इसलिए कि हमें दिए गए अनुग्रह के अनुसार हममें पवित्रात्मा द्वारा दी गई भिन्न-भिन्न क्षमताएँ हैं. जिसे भविष्यवाणी की क्षमता प्राप्त है, वह उसका उपयोग अपने विश्वास के अनुसार करे; यदि सेवकाई की, तो सेवकाई में; सिखाने की, तो सिखाने में; उपदेशक की, तो उपदेश देने में; सहायता की, तो बिना दिखावे के उदारतापूर्वक देने में; जिसे अगुवाई की, वह मेहनत के साथ अगुवाई करे तथा जिसे करुणा भाव की, वह इसका प्रयोग सहर्ष करे.

मत्तियाह 26:1-16

येशु की हत्या का षड्यन्त्र

(मारक 14:1-2; लूकॉ 22:1-2)

26 इस रहस्य के खुलने के बाद येशु ने शिष्यों को देखकर कहा, “यह तो तुम्हें मालूम ही है कि दो दिन बाद फ़सह उत्सव है. इस समय मनुष्य के पुत्र को क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए सौंप दिया जाएगा.”

दूसरी ओर प्रधान याजक और वरिष्ठ नागरिक कायाफ़स नामक महायाजक के घर के आँगन में इकट्ठा हुए. उन्होंने मिल कर येशु को छलपूर्वक पकड़ कर उनकी हत्या कर देने का विचार किया. वे यह विचार भी कर रहे थे: “यह फ़सह उत्सव के अवसर पर न किया जाए—कहीं इससे लोगों में बलवा न भड़क उठे.”

बैथनियाह नगर में येशु का अभ्यंजन

(मारक 14:3-9; योहन 12:1-11)

जब येशु बैथनियाह गाँव में शिमोन के घर पर थे—वही शिमोन, जिसे पहले कोढ़ रोग हुआ था, —एक स्त्री उनके पास संगमरमर के बर्तन में कीमती इत्र ले कर आई. उसे उसने भोजन के लिए बैठे येशु के सिर पर उण्डेल दिया.

यह देख शिष्य गुस्सा हो कहने लगे, “यह फिज़ूलखर्ची किस लिए? यह इत्र तो ऊँचे दाम पर बिक सकता था और प्राप्त धनराशि गरीबों में बांटी जा सकती थी.”

10 इस विषय को जानकर येशु ने उन्हें झिड़कते हुए कहा, “क्यों सता रहे हो इस स्त्री को? इसने मेरे हित में एक सराहनीय काम किया है. 11 निर्धन तुम्हारे साथ हमेशा रहेंगे किन्तु मैं तुम्हारे साथ हमेशा नहीं रहूँगा. 12 मुझे मेरे अंतिम संस्कार के लिए तैयार करने के लिए इसने यह इत्र मेरे शरीर पर उण्डेला है. 13 सच तो यह है कि सारे जगत में जहाँ कहीं यह सुसमाचार प्रचार किया जाएगा, इस स्त्री के इस कार्य का वर्णन भी इसकी याद में किया जाएगा.”

यहूदाह का धोखा

(मारक 14:10-11; लूकॉ 22:3-6)

14 तब कारयोतवासी यहूदाह, जो बारह शिष्यों में से एक था, प्रधान पुरोहितों के पास गया 15 और उनसे विचार-विमर्श करने लगा, “यदि मैं येशु को पकड़वा दूँ तो आप मुझे क्या देंगे?” उन्होंने उसे गिन कर चांदी के तीस सिक्के दे दिए. 16 उस समय से वह येशु को पकड़वाने के लिए सही अवसर की ताक में रहने लगा.

Saral Hindi Bible (SHB)

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