Book of Common Prayer
उद्धार का कारण विश्वास
10 प्रियजन, उनका उद्धार ही मेरी हार्दिक अभिलाषा तथा परमेश्वर से मेरी प्रार्थना का विषय है. 2 उनके विषय में मैं यह गवाही देता हूँ कि उनमें परमेश्वर के प्रति उत्साह तो है किन्तु उनका यह उत्साह वास्तविक ज्ञान के अनुसार नहीं है. 3 परमेश्वर की धार्मिकता के विषय में अज्ञानता तथा अपनी ही धार्मिकता की स्थापना करने के उत्साह में उन्होंने स्वयं को परमेश्वर की धार्मिकता के अधीन नहीं किया. 4 उस हर एक व्यक्ति के लिए, जो मसीह में विश्वास करता है, मसीह ही धार्मिकता की व्यवस्था की समाप्ति हैं.
मोशेह का गवाह
5 मोशेह के अनुसार व्यवस्था पर आधारित धार्मिकता का पालन करनेवाला उसी धार्मिकता के द्वारा जीवित रहेगा. 6 किन्तु विश्वास पर आधारित धार्मिकता का भेद है: अपने मन में यह विचार न करो: स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा, मसीह को उतार लाने के लिए? 7 “या ‘मसीह को मरे हुओं में से जीवित करने के उद्धेश्य से पाताल में कौन उतरेगा?’” 8 क्या है इसका मतलब: परमेश्वर का वचन तुम्हारे पास है—तुम्हारे मुख में तथा तुम्हारे हृदय में—विश्वास का वह सन्देश, जो हमारे प्रचार का विषय है: 9 इसलिए यदि तुम अपने मुख से मसीह येशु को प्रभु स्वीकार करते हो तथा हृदय में यह विश्वास करते हो कि परमेश्वर ने उन्हें मरे हुओं में से जीवित किया है तो तुम्हें उद्धार प्राप्त होगा 10 क्योंकि विश्वास हृदय से किया जाता है, जिसका परिणाम है धार्मिकता तथा स्वीकृति मुख से होती है, जिसका परिणाम है उद्धार. 11 पवित्रशास्त्र का लेख है: हर एक, जो उनमें विश्वास करेगा, वह लज्जित कभी न होगा. 12 यहूदी तथा यूनानी में कोई भेद नहीं रह गया क्योंकि एक ही प्रभु सबके प्रभु हैं, जो उन सबके लिए, जो उनकी दोहाई देते हैं, अपार सम्पदा हैं. 13 क्योंकि: हर एक, जो प्रभु को पुकारेगा, उद्धार प्राप्त करेगा.
येरूशालेम का महाकष्ट
15 “इसलिए जब तुम उस विनाशकारी घृणित वस्तु को, जिसकी चर्चा भविष्यद्वक्ता दानिएल ने की थी, पवित्र स्थान में खड़ा देखो—पाठक ध्यान दे— 16 तो वे, जो यहूदिया प्रदेश में हों पर्वतों पर भाग कर जाएँ, 17 वह, जो घर की छत पर हो, घर में से सामान लेने नीचे न आए. 18 वह, जो खेत में हो, अपना कपड़ा लेने पीछे न लौटे. 19 दयनीय होगी गर्भवती और शिशुओं को दूध पिलाती स्त्रियों की स्थिति! 20 प्रार्थनारत रहो, ऐसा न हो कि तुम्हें जाड़े या शब्बाथ पर भागना पड़े 21 क्योंकि वह महाक्लेश का समय होगा—ऐसा, जो न तो सृष्टि के प्रारम्भ से आज तक देखा गया, न ही इसके बाद दोबारा देखा जाएगा. 22 यदि यह आने वाले दिन घटाये न जाते, कोई भी जीवित न रहता. कुछ चुने हुए विशेष लोगों के लिए यह अवधि घटा दी जाएगी.”
23 “उस समय यदि कोई आ कर तुम्हें सूचित करे, ‘सुनो-सुनो, मसीह यहाँ हैं’, या ‘वह वहाँ हैं’, तो विश्वास न करना 24 क्योंकि अनेक झूठे मसीह तथा अनेक झूठे भविष्यद्वक्ता उठ खड़े होंगे. वे प्रभावशाली चमत्कार-चिह्न दिखाएंगे तथा अद्भुत काम करेंगे कि यदि सम्भव हुआ तो परमेश्वर द्वारा चुने हुओं को भरमा देंगे. 25 ध्यान दो कि मैंने समय से पूर्व ही तुम्हें इसकी चेतावनी दे दी है 26 कि यदि वे तुम्हारे पास आ कर यह कहें, ‘देखो-देखो, वह जंगल में हैं’, तो उसे देखने चले न जाना; या यदि वे यह कहें, ‘आओ, देखो, वह कोठरी में हैं’, तो उनका विश्वास न करना.”
मानव-पुत्र द्वारा कलीसिया को उठा लेना स्पष्ट होगा
27 “जैसे बिजली पूर्व दिशा से चमकती हुई पश्चिम दिशा तक चली जाती है, ठीक ऐसा ही होगा मनुष्य के पुत्र का आगमन. 28 ‘गिद्ध वहीं इकट्ठा होते हैं, जहाँ शव होता है.’”
कलीसिया का बादलों पर उठा लिए जाना
29 “उन दिनों के क्लेश के तुरन्त बाद
“सूर्य अंधियारा हो जाएगा और
चन्द्रमा का प्रकाश न रहेगा.
आकाश से तारे गिर जाएंगे.
आकाश की शक्तियाँ हिलायी जाएँगी.
30 “तब आकाश में मनुष्य के पुत्र का चिह्न प्रकट होगा. पृथ्वी के सभी कुल शोक से भर जाएँगे और वे मनुष्य के पुत्र को आकाश में बादलों पर सामर्थ्य और प्रताप के साथ आता हुआ देखेंगे. 31 मानव-पुत्र अपने स्वर्गदूतों को तुरही के ऊँचे शब्द के साथ भेजेगा, जो चारों दिशाओं से, आकाश के एक छोर से दूसरे छोर तक जा कर उनके चुने हुओं को इकट्ठा करेंगे.”
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