Book of Common Prayer
दोबारा आगमन के अवसर पर जीवित और मृतक
13 प्रियजन, हम नहीं चाहते कि तुम उनके विषय में अनजान रहो, जो मृत्यु में सो गए हैं. कहीं ऐसा न हो कि तुम उन लोगों के समान शोक करने लगो, जिनके सामने कोई आशा नहीं. 14 हमारा विश्वास यह है कि जिस प्रकार मसीह येशु की मृत्यु हुई और वह जीवित हुए, उसी प्रकार परमेश्वर उनके साथ उन सभी को पुनर्जीवित कर देंगे, जो मसीह येशु में सोए हुए हैं. 15 यह हम तुमसे स्वयं प्रभु के वचन के आधार पर कह रहे हैं कि प्रभु के दोबारा आगमन के अवसर पर हम, जो जीवित पाए जाएँगे, निश्चित ही उनसे पहले प्रभु से भेंट नहीं करेंगे, जो मृत्यु में सो गए हैं. 16 स्वयं प्रभु स्वर्ग से प्रधान स्वर्गदूत के शब्द, परमेश्वर की तुरही के शब्द तथा एक ऊँची ललकार के साथ उतरेंगे. तब सबसे पहिले वे, जो मसीह में मरे हुए हैं, जीवित हो जाएँगे. 17 उसके बाद शेष हम, जो उस अवसर पर जीवित पाए जाएँगे, बादलों में उन सबके साथ वायुमण्डल में प्रभु से मिलने के लिए झपट कर उठा लिए जाएँगे. तब हम हमेशा प्रभु के साथ में रहेंगे. 18 इस बात के द्वारा आपस में धीरज और शान्ति दिया करो.
दान का गुप्त होना ज़रूरी है
6 “ध्यान रहे कि तुम लोगों की प्रशंसा पाने के उद्देश्य से धर्म के काम न करो अन्यथा तुम्हें तुम्हारे स्वर्गीय पिता से कोई भी प्रतिफल प्राप्त न होगा. 2 जब तुम दान दो तब इसका ढिंढोरा न पीटो, जैसा पाखण्डी यहूदी-सभागृहों तथा सड़कों पर किया करते हैं कि वे मनुष्यों द्वारा सम्मानित किए जाएँ. सच तो यह है कि वे अपना पूरा-पूरा प्रतिफल प्राप्त कर चुके; 3 किन्तु तुम जब ज़रूरतमन्दों को दान दो तो तुम्हारे बायें हाथ को यह मालूम न हो सके कि तुम्हारा दायाँ हाथ क्या कर रहा है 4 कि तुम्हारी दान प्रक्रिया पूरी तरह गुप्त रहे. तब तुम्हारे पिता, जो अन्तर्यामी हैं, तुम्हें प्रतिफल देंगे.
प्रार्थना का गुप्त होना ज़रूरी है
5 “प्रार्थना करते हुए तुम्हारी मुद्रा दिखावा करने वाले लोगों के समान न हो क्योंकि उनकी रुचि यहूदी-सभागृहों में तथा नुक्कड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करने में होती है कि उन पर लोगों की दृष्टि पड़ती रहे. मैं तुम पर यह सच प्रकाशित कर रहा हूँ कि वे अपना पूरा-पूरा प्रतिफल प्राप्त कर चुके. 6 इसके विपरीत जब तुम प्रार्थना करो, तुम अपनी कोठरी में चले जाओ, द्वार बन्द कर लो और अपने पिता से, जो अदृश्य हैं, प्रार्थना करो और तुम्हारे पिता, जो अन्तर्यामी हैं, तुम्हें प्रतिफल देंगे.
उपवास का गुप्त होना ज़रूरी है
16 “जब कभी तुम उपवास रखो तब पाखण्डियों के समान अपना मुँह मुरझाया हुआ न बना लो. वे अपना रूप ऐसा इसलिए बना लेते हैं कि लोगों की दृष्टि उन पर अवश्य पड़े. सच तो यह है कि वे अपना पूरा-पूरा प्रतिफल प्राप्त कर चुके. 17 किन्तु जब तुम उपवास करो तो अपने बाल सँवारो और अपना मुँह धो लो 18 कि तुम्हारे उपवास के विषय में सिवाय तुम्हारे स्वर्गीय पिता के—जो अदृश्य हैं—किसी को भी मालूम न हो. तब तुम्हारे पिता, जो अन्तर्यामी हैं, तुम्हें प्रतिफल देंगे.
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