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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Hindi Bible: Easy-to-Read Version (ERV-HI)
Version
भजन संहिता 50

आसाप के भक्ति गीतों में से एक पद।

ईश्वरों के परमेश्वर यहोवा ने कहा है,
    पूर्व से पश्चिम तक धरती के सब मनुष्यों को उसने बुलाया।
सिय्योन से परमेश्वर की सुन्दरता प्रकाशित हो रही है।
हमारा परमेश्वर आ रहा है, और वह चुप नही रहेगा।
    उसके सामने जलती ज्वाला है,
    उसको एक बड़ा तूफान घेरे हुए है।
हमारा परमेश्वर आकाश और धरती को पुकार कर
    अपने निज लोगों को न्याय करने बुलाता है।
“मेरे अनुयायियों, मेरे पास जुटों।
    मेरे उपासकों आओ हमने आपस में एक वाचा किया है।”

परमेश्वर न्यायाधीश है,
    आकाश उसकी धार्मिकता को घोषित करता है।

परमेश्वर कहता है, “सुनों मेरे भक्तों!
    इस्राएल के लोगों, मैं तुम्हारे विरूद्ध साक्षी दूँगा।
    मैं परमेश्वर हूँ, तुम्हारा परमेश्वर।
मुझको तुम्हारी बलियों से शिकायत नहीं।
    इस्राएल के लोगों, तुम सदा होमबलियाँ मुझे चढ़ाते रहो। तुम मुझे हर दिन अर्पित करो।
मैं तेरे घर से कोई बैल नहीं लूँगा।
    मैं तेरे पशु गृहों से बकरें नहीं लूँगा।
10 मुझे तुम्हारे उन पशुओं की आवश्यकता नहीं। मैं ही तो वन के सभी पशुओं का स्वामी हूँ।
    हजारों पहाड़ों पर जो पशु विचरते हैं, उन सब का मैं स्वामी हूँ।
11 जिन पक्षियों का बसेरा उच्चतम पहाड़ पर है, उन सब को मैं जानता हूँ।
    अचलों पर जो भी सचल है वे सब मेरे ही हैं।
12 मैं भूखा नहीं हूँ! यदि मैं भूखा होता, तो भी तुमसे मुझे भोजन नहीं माँगना पड़ता।
    मैं जगत का स्वामी हूँ और उसका भी हर वस्तु जो इस जगत में है।
13 मैं बैलों का माँस खाया नहीं करता हूँ।
बकरों का रक्त नहीं पीता।”

14 सचमुच जिस बलि की परमेश्वर को अपेक्षा है, वह तुम्हारी स्तुति है। तुम्हारी मनौतियाँ उसकी सेवा की हैं।
    सो परमेश्वर को निज धन्यवाद की भेटें चढ़ाओ। उस सर्वोच्च से जो मनौतियाँ की हैं उसे पूरा करो।
15 “इस्राएल के लोगों, जब तुम पर विपदा पड़े, मेरी प्रार्थना करो,
    मैं तुम्हें सहारा दूँगा। तब तुम मेरा मान कर सकोगे।”

16 दुष्ट लोगों से परमेश्वर कहता है,
    “तुम मेरी व्यवस्था की बातें करते हो,
    तुम मेरे वाचा की भी बातें करते हो।
17 फिर जब मैं तुमको सुधारता हूँ, तब भला तुम मुझसे बैर क्यों रखते हो।
    तुम उन बातों की उपेक्षा क्यों करते हो जिन्हें मैं तुम्हें बताता हूँ?
18 तुम चोर को देखकर उससे मिलने के लिए दौड़ जाते हो,
    तुम उनके साथ बिस्तर में कूद पड़ते हो जो व्यभिचार कर रहे हैं।
19 तुम बुरे वचन और झूठ बोलते हो।
20 तुम दूसरे लोगों की यहाँ तक की
    अपने भाईयों की निन्दा करते हो।
21 तुम बुरे कर्म करते हो, और तुम सोचते हो मुझे चुप रहना चाहिए।
    तुम कुछ नहीं कहते हो और सोचते हो कि मुझे चुप रहना चहिए।
देखो, मैं चुप नहीं रहूँगा, तुझे स्पष्ट कर दूँगा।
    तेरे ही मुख पर तेरे दोष बताऊँगा।
22 तुम लोग परमेश्वर को भूल गये हो।
    इसके पहले कि मैं तुम्हे चीर दूँ, अच्छी तरह समझ लो।
जब वैसा होगा कोई भी व्यक्ति तुम्हें बचा नहीं पाएगा!
23 यदि कोई व्यक्ति मेरी स्तुति और धन्यवादों की बलि चढ़ाये, तो वह सचमुच मेरा मान करेगा।
    यदि कोई व्यक्ति अपना जीवन बदल डाले तो उसे मैं परमेश्वर की शक्ति दिखाऊँगा जो बचाती है।”

भजन संहिता 59-60

संगीत निर्देशक के लिये “नाश मत कर” धुन पर दाऊद का उस समय का एक भक्ति गीत जब शाऊल ने लोगों को दाऊद के घर पर निगरानी रखते हुए उसे मार डालने की जुगत करने के लिये भेजा था।

हे परमेश्वर, तू मुझको मेरे शत्रुओं से बचा ले।
    मेरी सहायता उनसे विजयी बनने में कर जो मेरे विरूद्ध में युद्ध करने आये हैं।
ऐसे उन लोगों से, तू मुझको बचा ले।
    तू उन हत्यारों से मुझको बचा ले जो बुरे कामों को करते रहते हैं।
देख! मेरी घात में बलवान लोग हैं।
    वे मुझे मार डालने की बाट जोह रहे हैं।
    इसलिए नहीं कि मैंने कोई पाप किया अथवा मुझसे कोई अपराध बन पड़ा है।
वे मेरे पीछे पड़े हैं, किन्तु मैंने कोई भी बुरा काम नहीं किया है।
    हे यहोवा, आ! तू स्वयं अपने आप देख ले!
हे परमेश्वर! इस्राएल के परमेश्वर! तू सर्वशक्ति शाली है।
    तू उठ और उन लोगों को दण्डित कर।
उन विश्वासघातियों उन दुर्जनों पर किंचित भी दया मत दिखा।

वे दुर्जन साँझ के होते ही
    नगर में घुस आते हैं।
    वे लोग गुरर्ते कुत्तों से नगर के बीच में घूमते रहते हैं।
तू उनकी धमकियों और अपमानों को सुन।
    वे ऐसी क्रूर बातें कहा करते हैं।
    वे इस बात की चिंता तक नहीं करते कि उनकी कौन सुनता है।

हे यहोवा, तू उनका उपहास करके
    उन सभी लोगों को मजाक बना दे।
हे परमेश्वर, तू मेरी शक्ति है। मैं तेरी बाट जोह रहा हूँ।
    हे परमेश्वर, तू ऊँचे पहाड़ों पर मेरा सुरक्षा स्थान है।
10 परमेश्वर, मुझसे प्रेम करता है, और वह जीतने में मेरा सहाय होगा।
    वह मेरे शत्रुओं को पराजित करने में मेरी सहायता करेगा।
11 हे परमेश्वर, बस उनको मत मार डाल। नहीं तो सम्भव है मेरे लोग भूल जायें।
    हे मेरे स्वमी और संरक्षक, तू अपनी शक्ति से उनको बिखेर दे और हरा दे।
12 वे बुरे लोग कोसते और झूठ बोलते रहते हैं।
    उन बुरी बातों का दण्ड उनको दे, जो उन्होंने कही हैं।
    उनको अपने अभिमान में फँसने दे।
13 तू अपने क्रोध से उनको नष्ट कर।
    उन्हें पूरी तरह नष्ट कर!
लोग तभी जानेंगे कि परमेश्वर, याकूब के लोगों का और वह सारे संसर का राजा है।

14 फिर यदि वे लोग शाम को
    इधर—उधर घूमते गुरर्तें कुत्तों से नगर में आवें,
15 तो वे खाने को कोई वस्तु ढूँढते फिरेंगे,
    और खाने को कुछ भी नहीं पायेंगे और न ही सोने का कोई ठौर पायेंगे।
16 किन्तु मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊँगा।
    हर सुबह मैं तेरे प्रेम में आनन्दित होऊँगा।
क्यों क्योंकि तू पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
    मैं तेरे पास आ सकता हूँ, जब मुझे विपत्तियाँ घेरेंगी।
17 मैं अपने गीतों को तेरी प्रशंसा में गाऊँगा
    क्योंकि पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
    तू परमेश्वर है, जो मुझको प्रेम करता है!

संगीत निर्देशक के लिये “वाचा की कुमुदिनी धुन” पर उस समय का दाऊद का एक उपदेश गीत जब दाऊद ने अरमहरैन और अरमसोबा से युद्ध किया तथा जब योआब लौटा और उसने नमक की घाटी में बारह हजार स्वामी सैनिकों को मार डाला।

हे परमेश्वर, तूने हमको बिसरा दिया।
    तूने हमको विनष्ट कर दिया। तू हम पर कुपित हुआ।
    तू कृपा करके वापस आ।
तूने धरती कँपाई और उसे फाड़ दिया।
    हमारा जगत बिखर रहा,
    कृपया तू इसे जोड़।
तूने अपने लोगों को बहुत यातनाएँ दी है।
    हम दाखमधु पिये जन जैसे लड़खड़ा रहे और गिर रहे हैं।
तूने उन लोगों को ऐसे चिताया, जो तुझको पूजते हैं।
    वे अब अपने शत्रु से बच निकल सकते हैं।

तू अपने महाशक्ति का प्रयोग करके हमको बचा ले!
    मेरी प्रार्थना का उतर दे और उस जन को बचा जो तुझको प्यारा है!

परमेश्वर ने अपने मन्दिर में कहा:
    “मेरी विजय होगी और मैं विजय पर हर्षित होऊँगा।
मैं इस धरती को अपने लोगों के बीच बाँटूंगा।
    मैं शकेम और सुक्कोत
    घाटी का बँटवारा करूँगा।
गिलाद और मनश्शे मेरे बनेंगे।
    एप्रेम मेरे सिर का कवच बनेगा।
    यहूदा मेरा राजदण्ड बनेगा।
मैं मोआब को ऐसा बनाऊँगा, जैसा कोई मेरे चरण धोने का पात्र।
    एदोम एक दास सा जो मेरी जूतियाँ उठता है।
    मैं पलिश्ती लोगों को पराजित करूँगा और विजय का उद्धोष करूँगा।”

9-10 कौन मुझे उसके विरूद्ध युद्ध करने को सुरक्षित दृढ़ नगर में ले जायेगा मुझे कौन एदोम तक ले जायेगा
    हे परमेश्वर, बस तू ही यह करने में मेरी सहायता कर सकता है।
किन्तु तूने तो हमको बिसरा दिया! परमेश्वर हमारे साथ में नहीं जायेगा!
    और वह हमारी सेना के साथ नहीं जायेगा।
11 हे परमेश्वर, तू ही हमको इस संकट की भूमि से उबार सकता है!
    मनुष्य हमारी रक्षा नहीं कर सकते!
12 किन्तु हमें परमेश्वर ही मजबूत बना सकता है।
    परमेश्वर हमारे शत्रुओं को परजित कर सकता है!

भजन संहिता 19

संगीत निर्देशक को दाऊद का एक पद।

अम्बर परमेश्वर की महिमा बखानतें हैं,
    और आकाश परमेश्वर की उत्तम रचनाओं का प्रदर्शन करते हैं।
हर नया दिन उसकी नयी कथा कहता है,
    और हर रात परमेश्वर की नयी—नयी शक्तियों को प्रकट करता हैं।
न तो कोई बोली है, और न तो कोई भाषा,
    जहाँ उसका शब्द नहीं सुनाई पड़ता।
उसकी “वाणी” भूमण्डल में व्यापती है
    और उसके “शब्द” धरती के छोर तक पहुँचते हैं।

उनमें उसने सूर्य के लिये एक घर सा तैयार किया है।
    सूर्य प्रफुल्ल हुए दुल्हे सा अपने शयनकक्षा से निकलता है।
सूर्य अपनी राह पर आकाश को पार करने निकल पड़ता है,
    जैसे कोई खिलाड़ी अपनी दौड़ पूरी करने को तत्पर हो।
अम्बर के एक छोर से सूर्य चल पड़ता है
    और उस पार पहुँचने को, वह सारी राह दौड़ता ही रहता है।
    ऐसी कोई वस्तु नहीं जो अपने को उसकी गर्मी से छुपा ले। यहोवा के उपदेश भी ऐसे ही होते है।

यहोवा की शिक्षायें सम्पूर्ण होती हैं,
    ये भक्त जन को शक्ति देती हैं।
यहोवा की वाचा पर भरोसा किया जा सकता हैं।
    जिनके पास बुद्धि नहीं है यह उन्हैं सुबुद्धि देता है।
यहोवा के नियम न्यायपूर्ण होते हैं,
    वे लोगों को प्रसन्नता से भर देते हैं।
यहोवा के आदेश उत्तम हैं,
    वे मनुष्यों को जीने की नयी राह दिखाते हैं।

यहोवा की आराधना प्रकाश जैसी होती है,
    यह तो सदा सर्वदा ज्योतिमय रहेगी।
यहोवा के न्याय निष्पक्ष होते हैं,
    वे पूरी तरह न्यायपूर्ण होते हैं।
10 यहोवा के उपदेश उत्तम स्वर्ण और कुन्दन से भी बढ़ कर मनोहर है।
    वे उत्तम शहद से भी अधिक मधुर हैं, जो सीधे शहद के छते से टपक आता है।
11 हे यहोवा, तेरे उपदेश तेरे सेवक को आगाह करते है,
    और जो उनका पालन करते हैं उन्हें तो वरदान मिलते हैं।

12 हे यहोवा, अपने सभी दोषों को कोई नहीं देख पाता है।
    इसलिए तू मुझे उन पापों से बचा जो एकांत में छुप कर किये जाते हैं।
13 हे यहोवा, मुझे उन पापों को करने से बचा जिन्हें मैं करना चाहता हूँ।
    उन पापों को मुझ पर शासन न करने दे।
यदि तू मुझे बचाये तो मैं पवित्र और अपने पापों से मुक्त हो सकता हूँ।
14 मुझको आशा है कि, मेरे वचन और चिंतन तुझको प्रसन्न करेंगे।
    हे यहोवा, तू मेरी चट्टान, और मेरा बचाने वाला है!

भजन संहिता 46

अलामोथ की संगत पर संगीत निर्देशक के लिये कोरह परिवार का एक पद।

परमेश्वर हमारे पराक्रम का भण्डार है।
    संकट के समय हम उससे शरण पा सकते हैं।
इसलिए जब धरती काँपती है
    और जब पर्वत समुद्र में गिरने लगता है, हमको भय नही लगता।
हम नहीं डरते जब सागर उफनते और काले हो जाते हैं,
    और धरती और पर्वत काँपने लगते हैं।

वहाँ एक नदी है, जो परम परमेश्वर के नगरी को
    अपनी धाराओं से प्रसन्नता से भर देती है।
उस नगर में परमेश्वर है, इसी से उसका कभी पतन नही होगा।
    परमेश्वर उसकी सहायता भोर से पहले ही करेगा।
यहोवा के गरजते ही, राष्ट्र भय से काँप उठेंगे।
    उनकी राजधानियों का पतन हो जाता है और धरती चरमरा उठती हैं।
सर्वशक्तिमान यहोवा हमारे साथ है।
    याकूब का परमेश्वर हमारा शरणस्थल है।

आओ उन शक्तिपूर्ण कर्मो को देखो जिन्हें यहोवा करता है।
    वे काम ही धरती पर यहोवा को प्रसिद्ध करते हैं।
यहोवा धरती पर कहीं भी हो रहे युद्धों को रोक सकता है।
    वे सैनिक के धनुषों को तोड़ सकता है। और उनके भालों को चकनाचूर कर सकता है। रथों को वह जलाकर भस्म कर सकता है।

10 परमेश्वर कहता है, “शांत बनो और जानो कि मैं ही परमेश्वर हूँ!
    राष्ट्रों के बीच मेरी प्रशंसा होगी।
    धरती पर मेरी महिमा फैल जायेगी!”

11 यहोवा सर्वशाक्तिमान हमारे साथ है।
    याकूब का परमेश्वर हमारा शरणस्थल है।

उत्पत्ति 39

यूसुफ मिस्री पोतीपर को बेचा गया

39 व्यापारी जिसने यूसुफ को खरीदा वह उसे मिस्र ले गए। उन्होंने फ़िरौन के अंगरक्षक के नायक के हाथ उसे बेचा। किन्तु यहोवा ने यूसुफ की सहायता की। यूसुफ एक सफल व्यक्ति बन गया। यूसुफ अपने मिस्री स्वामी पोतीपर के घर में रहा।

पोतीपर ने देखा कि यहोवा यूसुफ के साथ है। पोतीपर ने यह भी देखा कि यहोवा जो कुछ यूसुफ करता है, उसमें उसे सफल बनाने में सहायक है। इसलिए पोतीपर यूसुफ को पाकर बहुत प्रसन्न था। पोतीपर ने उसे अपने लिए काम करने तथा घर के प्रबन्ध में सहायता करने में लगाया। पोतीपर की अपनी हर एक चीज़ का यूसुफ अधिकारी था। तब यूसुफ घर का अधिकारी बना दिया गया तब यहोवा ने उस घर और पोतीपर की हर एक चीज़ को आशीर्वाद दिया। यहोवा ने यह यूसुफ के कारण किया और यहोवा ने पोतीपर के खेतों में उगने वाली हर चीज़ को आशीर्वाद दिया। इसलिए पोतीपर ने घर की हर चीज़ की जिम्मेदारी यूसुफ को दी। पोतीपर किसी चीज़ की चिन्ता नहीं करता था वह जो भोजन करता था एक मात्र उसकी उसे चिन्ता थी।

यूसुफ पोतीपर की पत्नी को मना करता है

यूसुफ बहुत सुन्दर और सुरूप था। कुछ समय बाद यूसुफ के मालिक की पत्नी यूसुफ से प्रेम करने लगी। एक दिन उसने कहा, “मेरे साथ सोओ।”

किन्तु यूसुफ ने मना कर दिया। उसने कहा, “मेरा मालिक घर की अपनी हर चीज़ के लिए मुझ पर विश्वास करता है। उसने यहाँ की हर एक चीज़ की ज़िम्मेदारी मुझे दी है। मेरे मालिक ने अपने घर में मुझे लगभग अपने बराबर मान दिया है। किन्तु मुझे उसकी पत्नी के साथ नहीं सोना चाहिए। यह अनुचित है। यह परमेश्वर के विरुद्ध पाप है।”

10 वह स्त्री हर दिन यूसुफ से बात करती थी किन्तु यूसुफ ने उसके साथ सोने से मना कर दिया। 11 एक दिन यूसुफ अपना काम करने घर में गया। उस समय वह घर में अकेला व्यक्ति था। 12 उसके मालिक की पत्नी ने उसका अंगरखा पकड़ा लिया और उससे कहा, “आओ और मेरे साथ सोओ।” किन्तु यूसुफ घर से बाहर भाग गया और उसने अपना अंगरखा उसके हाथ में छोड़ दिया।

13 स्त्री ने देखा कि यूसुफ ने अपना अंगरखा उसके हाथों में छोड़ दिया है और उसने जो कुछ हुआ उसके बारे में झूठ बोलने में निश्चय किया। वह बाहर दौड़ी। 14 और उसने बाहर के लोगों को पुकारा। उसने कहा, “देखो, यह हिब्रू दास हम लोगों का उपहास करने यहाँ आया था। वह अन्दर आया और मेरे साथ सोने की कोशिश की। किन्तु मैं ज़ोर से चिल्ला पड़ी। 15 मेरी चिल्लाहट ने उसे डरा दिया और वह भाग गया। किन्तु वह अपना अंगरखा मेरे पास छोड़ गया।” 16 इसलिए उसने यूसफ के मालिक अपने पति के घर लौटने के समय तक उसके अंगरखे को अपने पास रखा। 17 और उसने अपने पति को वही कहानी सुनाई। उसने कहा, “जिस हिब्रू दास को तुम यहाँ लाए उसने मुझ पर हमला करने का प्रयास किया। 18 किन्तु जब वह मेरे पास आया तो मैं चिल्लाई। वह भाग गया, किन्तु अपना अंगरखा छोड़ गया।”

19 यूसुफ के मालिक ने जो उसकी पत्नी ने कहा, उसे सुना और वह बहुत क्रोधित हुआ। 20 वहाँ एक कारागार था जिसमें राजा के शत्रु रखे जाते थे। इसलिए पोतीपर ने यूसुफ को उसी बंदी खाने में डाल दिया और यूसुफ वहाँ पड़ा रहा।

यूसुफ कारागार में

21 किन्तु यहोवा यूसुफ के साथ था। यहोवा उस पर कृपा करता रहा। 22 कुछ समय बाद कारागार के रक्षकों का मुखिया यूसुफ से स्नेह करने लगा। रक्षकों के मुखिया ने सभी कैदियों का अधिकारी यूसुफ को बनाया। यूसुफ उनका मुखिया था, किन्तु काम वही करता था जो वे करते थे। 23 रक्षकों का अधिकारी कारागार को सभी चीजों के लिए यूसुफ पर विश्वास करता था। यह इसलिए हुआ कि यहोवा यूसुफ के साथ था। यहोवा यूसुफ को, वह जो कुछ करता था, सफल करने में सहायता करता था।

1 कुरिन्थियों 2:14-3:15

14 एक प्राकृतिक व्यक्ति परमेश्वर की आत्मा द्वारा प्रकाशित सत्य को ग्रहण नहीं करता क्योंकि उसके लिए वे बातें निरी मूर्खता होती हैं, वह उन्हें समझ नहीं पाता क्योंकि वे आत्मा के आधार पर ही परखी जा सकती हैं। 15 आध्यात्मिक मनुष्य सब बातों का न्याय कर सकता है किन्तु उसका न्याय कोई नहीं कर सकता। क्योंकि शास्त्र कहता है:

16 “प्रभु के मन को किसने जाना?
    उसको कौन सिखाए?”(A)

किन्तु हमारे पास यीशु का मन है।

मनुष्यों का अनुसरण उचित नहीं

किन्तु हे भाईयों, मैं तुम लोगों से वैसे बात नहीं कर सका जैसे आध्यात्मिक लोगों से करता हूँ। मुझे इसके विपरीत तुम लोगों से वैसे बात करनी पड़ी जैसे सांसारिक लोगों से की जाती है। यानी उनसे जो अभी मसीह में बच्चे हैं। मैंने तुम्हें पीने को दूध दिया, ठोस आहार नहीं; क्योंकि तुम अभी उसे खा नहीं सकते थे और न ही तुम इसे आज भी खा सकते हो क्योंकि तुम अभी तक सांसारिक हो। क्या तुम सांसारिक नहीं हो? जबकि तुममें आपसी ईर्ष्या और कलह मौजूद है। और तुम सांसारिक व्यक्तियों जैसा व्यवहार करते हो। जब तुममें से कोई कहता है, “मैं पौलुस का हूँ” और दूसरा कहता है, “मैं अपुल्लोस का हूँ” तो क्या तुम सांसारिक मनुष्यों का सा आचरण नहीं करते?

अच्छा तो बताओ अपुल्लोस क्या है और पौलुस क्या है? हम तो केवल वे सेवक हैं जिनके द्वारा तुमने विश्वास को ग्रहण किया है। हममें से हर एक ने बस वह काम किया है जो प्रभु ने हमें सौंपा था। मैंने बीज बोया, अपुल्लोस ने उसे सींचा; किन्तु उसकी बढ़वार तो परमेश्वर ने ही की। इस प्रकार न तो वह जिसने बोया, बड़ा है, और न ही वह जिसने उसे सींचा। बल्कि बड़ा तो परमेश्वर है जिसने उसकी बढ़वार की।

वह जो बोता है और वह जो सींचता है, दोनों का प्रयोजन समान है। सो हर एक अपने कर्मो के परिणामों के अनुसार ही प्रतिफल पायेगा। परमेश्वर की सेवा में हम सब सहकर्मी हैं।

तुम परमेश्वर के खेत हो। परमेश्वर के मन्दिर हो। 10 परमेश्वर के उस अनुग्रह के अनुसार जो मुझे दिया गया था, मैंने एक कुशल प्रमुख शिल्पी के रूप में नींव डाली किन्तु उस पर निर्माण तो कोई और ही करता है; किन्तु हर एक को सावधानी के साथ ध्यान रखना चाहिये कि वह उस पर निर्माण कैसे कर रहा है। 11 क्योंकि जो नींव डाली गई है वह स्वयं यीशु मसीह ही है और उससे भिन्न दूसरी नींव कोई डाल ही नहीं सकता। 12 यदि लोग उस नींव पर निर्माण करते हैं, फिर चाहे वे उसमें सोना लगायें, चाँदी लगायें, बहुमूल्य रत्न लगायें, लकड़ी लगायें, फूस लगायें या तिनकों का प्रयोग करें। 13 हर व्यक्ति का कर्म स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। क्योंकि वह दिन[a] उसे उजागर कर देगा। क्योंकि वह दिन ज्वाला के साथ प्रकट होगा और वही ज्वाला हर व्यक्ति के कर्मो को परखेगी कि वे कर्म कैसे हैं। 14 यदि उस नींव पर किसी व्यक्ति के कर्मों की रचना टिकाऊ होगी 15 तो वह उसका प्रतिफल पायेगा और यदि किसी का कर्म उस ज्वाला में भस्म हो जायेगा तो उसे हानि उठानी होगी। किन्तु फिर भी वह स्वयं वैसे ही बच निकलेगा जैसे कोई आग लगे भवन में से भाग कर बच निकले।

मरकुस 2:1-12

लकवे के मारे का चंगा किया जाना

(मत्ती 9:1-8; लूका 5:17-26)

कुछ दिनों बाद यीशु वापस कफरनहूम आया तो यह समाचार फैल गया कि वह घर में है। फिर वहाँ इतने लोग इकट्ठे हुए कि दरवाजे के बाहर भी तिल धरने तक को जगह न बची। जब यीशु लोगों को उपदेश दे रहा था तो कुछ लोग लकवे के मारे को चार आदमियों से उठवाकर वहाँ लाये। किन्तु भीड़ के कारण वे उसे यीशु के पास नहीं ले जा सके। इसलिये जहाँ यीशु था उसके ऊपर की छत का कुछ भाग उन्होंने हटाया और जब वे खोद कर छत में एक खुला सूराख बना चुके तो उन्होंने जिस बिस्तर पर लकवे का मारा लेटा हुआ था उसे नीचे लटका दिया। उनके इतने गहरे विश्वास को देख कर यीशु ने लकवे के मारे से कहा, “हे पुत्र, तेरे पाप क्षमा हुए।”

उस समय वहाँ कुछ धर्मशास्त्री भी बैठे थे। वे अपने अपने मन में सोच रहे थे, “यह व्यक्ति इस तरह बात क्यों करता है? यह तो परमेश्वर का अपमान करता है। परमेश्वर के सिवा, और कौन पापों को क्षमा कर सकता है?”

यीशु ने अपनी आत्मा में तुरंत यह जान लिया कि वे मन ही मन क्या सोच रहे हैं। वह उनसे बोला, “तुम अपने मन में ये बातें क्यों सोच रहे हो? सरल क्या है: इस लकवे के मारे से यह कहना कि तेरे पाप क्षमा हुए या यह कहना कि उठ, अपना बिस्तर उठा और चल दे? 10 किन्तु मैं तुम्हें प्रमाणित करूँगा कि इस पृथ्वी पर मनुष्य के पुत्र को यह अधिकार है कि वह पापों को क्षमा करे।” फिर यीशु ने उस लकवे के मारे से कहा, 11 “मैं तुझ से कहता हूँ, खड़ा हो, अपना बिस्तर उठा और अपने घर जा।”

12 सो वह खड़ा हुआ, तुरंत अपना बिस्तर उठाया और उन सब के देखते ही देखते बाहर चला गया। यह देखकर वे अचरज में पड़ गये। उन्होंने परमेश्वर की प्रशंसा की और बोले, “हमने ऐसा कभी नहीं देखा!”

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