Book of Common Prayer
13 मैंने तुम्हें यह सब इसलिए लिखा है कि तुम, जो परमेश्वर के पुत्र की प्रधानता में विश्वास करते हो, यह जान लो कि अनन्त काल का जीवन तुम्हारा है.
पापियों के लिए प्रार्थना
14 परमेश्वर के विषय में हमारा विश्वास यह है: जब हम उनकी इच्छा के अनुसार कोई विनती करते हैं, वह उसे सुनते हैं. 15 जब हम यह जानते हैं कि वह हमारी हर एक विनती को सुनते हैं, तब हम यह भी जानते हैं कि उनसे की गई हमारी विनती पूरी हो चुकी है.
16 यदि कोई साथी विश्वासी को ऐसा पाप करते हुए देखे, जिसका परिणाम मृत्यु न हो, वह उसके लिए प्रार्थना करे और उसके लिए परमेश्वर उन लोगों को जीवन प्रदान करेंगे, जिन्होंने ऐसा पाप किया है, जिसका परिणाम मृत्यु नहीं है. एक पाप ऐसा है जिसका परिणाम मृत्यु है. इस स्थिति के लिए प्रार्थना करने के लिए मैं नहीं कह रहा. 17 हर एक अधर्म पाप है किन्तु एक पाप ऐसा भी है जिसका परिणाम मृत्यु नहीं है.
18 हम इस बात से परिचित हैं कि कोई भी, जो परमेश्वर से जन्मा है, पाप करता नहीं रहता परन्तु परमेश्वर के पुत्र उसे सुरक्षित रखते हैं तथा वह दुष्ट उसे छू तक नहीं सकता. 19 हम जानते हैं कि हम परमेश्वर से हैं और सारा संसार उस दुष्ट के वश में है. 20 हम इस सच से परिचित हैं कि परमेश्वर के पुत्र आए तथा हमें समझ दी कि हम उन्हें, जो सच हैं, जानें. हम उनमें स्थिर रहते हैं, जो सच हैं अर्थात् उनके पुत्र मसीह येशु. यही वास्तविक परमेश्वर और अनन्त काल का जीवन हैं.
21 बच्चों, स्वयं को मूर्तियों से बचाए रखो.
दुःख-भोग के पूर्व आसन्न फ़सह पर्व
55 यहूदियों का फ़सह पर्व पास था. आसपास से अनेक लोग येरूशालेम गए कि फ़सह में सम्मिलित होने के लिए स्वयं को सांस्कारिक रूप से शुद्ध करें. 56 वे मसीह येशु की खोज में थे और मन्दिर परिसर में खड़े हुए एक-दूसरे से पूछ रहे थे, “तुम्हारा क्या विचार है, वह पर्व में आएगा या नहीं?” 57 प्रधान पुरोहितों और फ़रीसियों ने मसीह येशु को बन्दी बनाने के उद्देश्य से आज्ञा दे रखी थी कि जिस किसी को उनकी जानकारी हो, वह उन्हें तुरन्त सूचित करे.
बैथनियाह नगर में मसीह येशु का अभिषेक
(मत्ति 26:6-13; मारक 14:3-9)
12 फ़सह के पर्व से छः दिन पूर्व मसीह येशु लाज़रॉस के नगर बैथनियाह आए, जहाँ उन्होंने उसे मरे हुओं में से जीवित किया था. 2 वहाँ उनके लिए भोज का आयोजन किया गया था. मार्था भोजन परोस रही थी और मसीह येशु के साथ भोज में सम्मिलित लोगों में लाज़रॉस भी था. 3 वहाँ मरियम ने बालछड़ के लगभग तीन सौ मिलीलीटर कीमती और शुद्ध सुगन्ध-द्रव्य मसीह येशु के चरणों पर मला और उन्हें अपने केशों से पोंछा. सारा घर इससे सुगन्धित हो गया.
4 इस पर उनका एक शिष्य—कारियोतवासी यहूदाह, जो उनके साथ धोखा करने पर था, कहने लगा, 5 “यह सुगन्ध-द्रव्य गरीबों के लिये तीन सौ दीनार में क्यों नहीं बेचा गया?” 6 यह उसने इसलिए नहीं कहा था कि वह गरीबों की चिन्ता करता था परन्तु इसलिए कि वह चोर था; धनराशि रखने की जिम्मेदारी उसकी थी, जिसमें से वह धन चुराया करता था.
7 मसीह येशु ने कहा, “उसे यह करने दो, यह मेरे अन्तिम संस्कार की तैयारी के लिए है. 8 गरीब तुम्हारे साथ हमेशा रहेंगे किन्तु मैं तुम्हारे साथ हमेशा नहीं रहूँगा.”
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