Book of Common Prayer
औपचारिक अनुदेश व मसीह सारी सृष्टि के शिरोमणि
15 अनदेखे परमेश्वर का स्वरूप हैं. वह सारी सृष्टि में पहिलौठे हैं. 16 क्योंकि उन्हीं में सब कुछ रचाया गया है—स्वर्गीय स्थानों में तथा पृथ्वी पर, देखी तथा अनदेखी, सिंहासन तथा प्रभुताएं, राजा तथा अधिकारी—सभी कुछ उन्हीं के द्वारा तथा उन्हीं के लिए बनाया गया. 17 वह सारी सृष्टि में प्रथम हैं और सारी सृष्टि उनमें स्थिर रहती है. 18 वही सिर है कलीसिया के, जो उनका शरीर है; वही आदि है, मरे हुओं में से जी उठनेवालों में पहिलौठे हैं कि वही सब में प्रधान हों. 19 क्योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में थी कि उनमें ही सारी परिपूर्णता वास करे और वह 20 क्रूस पर उनके बहाए गए लहू के द्वारा शान्ति की स्थापना कर उनके माध्यम से सभी का भौमिक या स्वर्गीय—स्वयं से मेल-मिलाप कराएँ.
21 हालांकि इसके पहले तुम बुरे कामों के कारण परमेश्वर से अलग थे तथा तुम्हारे मन में बैरभाव था, 22 फिर भी अब मसीह ने अपनी शारीरिक देह में मृत्यु के द्वारा तुम्हारा मेल-मिलाप करवाया कि वह तुम्हें परमेश्वर के सामने पवित्र, निर्दोष तथा निष्कलंक रूप में उपस्थित करें, 23 कि वास्तव में तुम विश्वास में बने रहो तथा दृढ़तापूर्वक स्थिर रहते हुए उन्नत होते जाओ, और ईश्वरीय सुसमाचार में बसी आशा न छोड़ो, जिसे तुमने सुना था, जिसकी घोषणा स्वर्ग के नीचे सारी सृष्टि में की गई और मैं, पौलॉस, जिसका सेवक चुना गया.
जीवन-जल की प्रतिज्ञा
37 उत्सव के अन्तिम दिन, जब उत्सव चरम सीमा पर होता है, मसीह येशु ने खड़े हो कर ऊँचे शब्द में कहा, “यदि कोई प्यासा है तो मेरे पास आए और पिए. 38 जो मुझमें विश्वास करता है, जैसा कि पवित्रशास्त्र का लेख है: उसके अंदर से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगीं.” 39 यह उन्होंने पवित्रात्मा के विषय में कहा था, जिन्हें उन पर विश्वास करनेवाले प्राप्त करने पर थे. पवित्रात्मा अब तक उतरे नहीं थे क्योंकि मसीह येशु अब तक महिमा को न पहुँचे थे.
मसीह के आने पर दोबारा चर्चा
40 यह सब सुन कर भीड़ में से कुछ ने कहा, “सचमुच यह व्यक्ति ही वह भविष्यद्वक्ता है”.
41 कुछ अन्य ने कहा, “यह मसीह हैं”.
परन्तु कुछ ने कहा, “मसीह का आना गलील से तो नहीं होगा न? 42 क्या पवित्रशास्त्र के अनुसार मसीह का आना दाविद के वंश और उनके नगर बैथलहम से न होगा?” 43 इस प्रकार मसीह येशु के कारण भीड़ में मतभेद हो गया. 44 कुछ उन्हें बन्दी बनाना चाहते थे फिर भी किसी ने भी उन पर हाथ न डाला.
यहूदी नायकों का अविश्वास
45 सन्तरियों के लौटने पर प्रधान पुरोहितों और फ़रीसियों ने उनसे पूछा, “तुम उसे ले कर क्यों नहीं आए?”
46 सन्तरियों ने उत्तर दिया, “ऐसा बतानेवाला हमने आज तक नहीं सुना.”
47 तब फ़रीसियों ने कटाक्ष किया, “कहीं तुम भी तो उसके बहकावे में नहीं आ गए? 48 क्या प्रधानों या फ़रीसियों में से किसी ने भी उसमें विश्वास किया है? 49 व्यवस्था से अज्ञान भीड़ तो वैसे ही शापित है.”
50 तब निकोदेमॉस ने, जो प्रधानों में से एक थे तथा मसीह येशु से पहले मिल चुके थे, उनसे कहा, 51 “क्या हमारी व्यवस्था किसी व्यक्ति की सुने बिना और उसकी गतिविधि जाने बिना उसे अपराधी घोषित करती है?”
52 इस पर उन्होंने निकोदेमॉस से पूछा, “कहीं तुम भी तो गलीली नहीं हो? शास्त्रों का मनन करो और देखो कि किसी भी भविष्यद्वक्ता का आना गलील प्रदेश से नहीं होता.”
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