Book of Common Prayer
22 इस नगर में मुझे कोई मन्दिर दिखाई न दिया क्योंकि स्वयं सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर और मेमना इसका मन्दिर हैं. 23 नगर को रोशनी देने के लिए न तो सूर्य की ज़रूरत है न चन्द्रमा की क्योंकि परमेश्वर का तेज उसे उजियाला देता है तथा स्वयं मेमना इसका दीपक है. 24 राष्ट्र उसकी रोशनी में वास करेंगे तथा पृथ्वी के राजा इसमें अपना वैभव ले आएंगे. 25 दिन की समाप्ति पर नगर-द्वार कभी बन्द न किए जाएँगे क्योंकि रात यहाँ कभी होगी ही नहीं. 26 सभी राष्ट्रों का वैभव और आदर इसमें लाया जाएगा. 27 कोई भी अशुद्ध वस्तु इस नगर में न तो प्रवेश हो सकेगी और न ही वह, जिसका स्वभाव लज्जास्पद और बातें झूठ से भरी है, इसमें प्रवेश वे ही कर पाएँगे, जिनके नाम मेमने की जीवन-पुस्तक में लिखे हैं.
14 इसलिए फ़रीसी बाहर चले गए तथा येशु की हत्या का षड्यन्त्र रचने लगे.
येशु परमेश्वर के चुने हुए सेवक
(मारक 3:7-12)
15 येशु को इसका अहसास था इसलिए वह वहाँ से चले गए. अनेक थे, जो उनके साथ उनके पीछे-पीछे चल रहे थे. येशु ने उनमें से सभी रोगियों को स्वस्थ कर दिया 16 और उन्हें चेतावनी दी कि इस विषय में वे किसी से वर्णन न करें कि वह कौन हैं. 17 यह भविष्यद्वक्ता यशायाह द्वारा की गई इस भविष्यवाणी की पूर्ति थी:
18 यही है मेरा चुना हुआ सेवक,
मेरा प्रियपात्र,
जिसमें मेरे प्राण को पूरा सन्तोष है.
मैं उसे अपने आत्मा से भरा करूँगा
और वह अन्यजाति में न्याय की घोषणा करेगा.
19 वह न तो विवाद करेगा,
न ऊँचे शब्द में कुछ कहेगा और
न ही गलियों में कोई उसका शब्द सुन सकेगा.
20 वह तब तक कुचले गए सरकण्डे को
तोड़ कर न फेंकेगा और न बुझते हुए दीपक को बुझाएगा,
जब तक वह न्याय को विजय तक न पहुँचा दे.
21 उसकी प्रतिष्ठा में अन्यजातियों के लिए आशा होगी.
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