Book of Common Prayer
6 तब मेंह एक ठन मेढ़ा-पीला ला देखेंव, जऊन ह अइसने दिखत रहय, मानो ओकर बध करे गे हवय। ओ मेढ़ा-पीला ह सिंघासन के आघू म चारों जीयत परानी अऊ अगुवामन के बीच म ठाढ़े रहय। ओकर सात ठन सिंग अऊ सात ठन आंखी रिहिस, जऊन मन परमेसर के सात आतमा अंय अऊ एमन ला जम्मो धरती म पठोय गे हवय। 7 तब मेढ़ा-पीला ह आईस अऊ जऊन ह सिंघासन म बिराजे रहय, ओकर जेवनी हांथ ले ओह किताब ला ले लीस। 8 अऊ जब मेढ़ा-पीला ह किताब ला ले लीस, त ओ चारों जीयत परानी अऊ ओ चौबीस अगुवामन मेढ़ा-पीला के आघू म गिर पड़िन। हर एक के हांथ म बीना अऊ धूप ले भरे सोन के कटोरा रहय, जऊन ह पबितर मनखेमन के पराथना अय। 9 अऊ ओमन एक नवां गीत गाईन:
“तेंह किताब ला लेय के
अऊ ओकर मुहरमन ला टोरे के काबिल हवस,
काबरकि तोर बध करे गीस,
अऊ अपन लहू के दुवारा तेंह जम्मो जाति,
भासा, देस अऊ गोत्र के मनखेमन ला परमेसर बर बिसोय हवस।
10 तेंह ओमन ला एक ठन देस अऊ पुरोहित बना दे हवस कि ओमन हमर परमेसर के सेवा करंय,
अऊ ओमन धरती ऊपर राज करहीं।”
11 तब मेंह लाखों-करोड़ों स्वरगदूतमन ला देखेंव अऊ ओमन के अवाज सुनेंव। ओमन सिंघासन, जीयत परानी अऊ अगुवामन के चारों कोति रहंय। 12 ओमन ऊंचहा अवाज म गावत रहंय:
“जऊन मेढ़ा-पीला के बध करे गीस,
ओह सामरथ, धन, बुद्धि, बल, आदर,
महिमा अऊ परसंसा पाय के काबिल अय।”
13 तब मेंह अकास, धरती अऊ धरती के खाल्हे अऊ समुंदर के जम्मो परानीमन ला अइसने गावत सुनेव:
“जऊन ह सिंघासन म बईठथे,
ओकर अऊ ओ मेढ़ा-पीला के परसंसा, आदर, महिमा अऊ सामरथ
जुग-जुग होवय।”
14 अऊ चारों जीयत परानीमन कहिन, “आमीन,” अऊ अगुवामन माड़ी के भार गिरके अराधना करिन।
सिक्कामन के पटंतर
(लूका 19:11-27)
14 “स्वरग के राज ह ओ मनखे के सहीं अय, जऊन ह परदेस जावत बेरा अपन सेवकमन ला बलाईस अऊ ओमन ला अपन संपत्ति सऊंप दीस। 15 हर एक ला ओह ओमन के काबिलियत के मुताबिक दीस; एक सेवक ला ओह पांच सिक्का, दूसर ला दू सिक्का अऊ तीसरा ला एक सिक्का दीस। अऊ तब ओह परदेस चल दीस[a]। 16 जऊन सेवक ला पांच सिक्का मिले रिहिस, ओह तुरते गीस अऊ ओ सिक्का ले लेन-देन करके पांच सिक्का अऊ कमा लीस। 17 वइसने जऊन सेवक ला दू सिक्का मिले रिहिस, ओह घलो दू सिक्का अऊ कमाईस। 18 पर जऊन सेवक ला एक ठन सिक्का मिले रिहिस, ओह गीस अऊ भुइयां ला खन के अपन मालिक के पईसा ला उहां लुका दीस।
19 बहुंत समय के बाद, ओ सेवकमन के मालिक ह लहुंटिस अऊ ओमन ले हिसाब मांगिस। 20 जऊन सेवक ला पांच सिक्का मिले रिहिस, ओह पांच सिक्का अऊ लेके आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तेंह मोला पांच सिक्का देय रहय। देख, मेंह पांच सिक्का अऊ कमाय हवंव।’
21 ओकर मालिक ह ओला कहिस, ‘बहुंत अछा करय। तेंह बने अऊ ईमानदार सेवक अस। तेंह थोरकन म ईमानदार रहय। मेंह तोला बहुंत चीजमन ऊपर अधिकार दूहूं। आ अऊ अपन मालिक के खुसी म सामिल हो जा।’
22 जऊन सेवक ला दू सिक्का मिले रिहिस, ओह घलो आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, तेंह मोला दू ठन सिक्का देय रहय। देख, मेंह दू ठन सिक्का अऊ कमाय हवंव।’
23 ओकर मालिक ह ओला कहिस, ‘बहुंत अछा करय। तेंह बने अऊ ईमानदार सेवक अस। तेंह थोरकन म ईमानदार रहय। मेंह तोला बहुंत चीजमन ऊपर अधिकार दूहूं। आ अऊ अपन मालिक के खुसी म सामिल हो जा।’
24 तब जऊन सेवक ला एक सिक्का मिले रिहिस, ओह आईस अऊ कहिस, ‘मालिक, मेंह जानत रहेंव कि तेंह एक कठोर मनखे अस। तेंह जिहां नइं बोए रहस, उहां ले लूथस, अऊ जिहां बीजा नइं बगराय रहस, उहां ले संकेलथस। 25 एकरसेति मेंह डर्रा गेंव अऊ बाहिर जाके मेंह तोर सिक्का ला भुइयां म गड़िया देंव; ए हवय तोर सिक्का।’
26 ओकर मालिक ह ओला कहिस, ‘दुस्ट अऊ अलाल सेवक! जब तेंह जानत रहय कि जिहां मेंह नइं बोए रहंव, उहां ले लूथंव, अऊ जिहां बीजा नइं बगराय रहंव, उहां ले संकेलथंव। 27 त तोला मोर पईसा ला साहूकारमन के इहां जमा कर देना रिहिस, ताकि जब मेंह वापिस आयेंव, त ओला बियाज सहित ले लेतेंव।’
28 मालिक ह अपन आने सेवकमन ला कहिस, ‘ए सिक्का ला एकर ले लेय लव, अऊ ओला दे दव, जेकर करा दस ठन सिक्का हवय। 29 काबरकि जेकर करा हवय ओला अऊ देय जाही अऊ ओकर करा बहुंत हो जाही; पर जेकर करा नइं ए, ओकर ले ओला घलो ले लिये जाही, जऊन ह ओकर करा हवय। 30 ए बेकार सेवक ला बाहिर अंधियार म फटिक दव, जिहां ओह रोही अऊ अपन दांत पीसही।’ ”
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