Book of Common Prayer
थुआतेइरा की कलीसिया को
18 “थुआतेइरा नगर की कलीसिया के लिए चुने हुए दूत को लिखो:
परमेश्वर के पुत्र का, जिसकी आँखें अग्नि की ज्वाला समान तथा पैर भट्टी तपा कर चमकाए गए काँसे के समान हैं, कहना यह है 19 मैं तुम्हारे कामों, तुम्हारे प्रेम, विश्वास सेवकाई तथा धीरज को जानता हूँ तथा इसे भी कि तुम अब पहले की तुलना में अधिक काम कर रहे हो.
20 किन्तु मुझे तुम्हारे विरुद्ध यह कहना है तुम उस स्त्री ईज़ेबेल को अपने बीच रहने दे रहे हो, जो स्वयं को भविष्यद्वक्ता कहते हुए मेरे दासों को गलत शिक्षा देती तथा उन्हें मूर्तियों को भेंट वस्तुएं खाने तथा वेश्यागामी के लिए उकसाती है. 21 मैंने उसे पश्चाताप करने का समय दिया किन्तु वह अपने व्यभिचारी कामों का पश्चाताप करना नहीं चाहती. 22 इसलिए देखना, मैं उसे बीमारी के बिस्तर पर डाल दूँगा और उन्हें, जो उसके साथ व्यभिचार में लीन हैं, घोर कष्ट में डाल दूँगा—यदि वे उसके साथ के दुष्कर्मों से मन नहीं फिराते. 23 इसके अलावा मैं महामारी से उसकी सन्तान को नाश कर दूँगा, तब सभी कलीसियाओं को यह मालूम हो जाएगा कि जो मन और हृदय की थाह लेता है, मैं वही हूँ तथा मैं ही तुम में हर एक को उसके कामों के अनुसार प्रतिफल दूँगा. 24 किन्तु थुआतेइरा के शेष लोगों के लिए, जो इस शिक्षा से सहमत नहीं हैं तथा जो शैतान के कहे हुए गहरे भेदों से अनजान हैं, मेरा सन्देश यह है मैं तुम पर कोई और बोझ न डालूँगा. 25 फिर भी मेरे आने तक उसे, जो इस समय तुम्हारे पास है, सुरक्षित रखो.
26 जो जयवन्त होगा तथा अन्त तक मेरी इच्छा पूरी करेगा, मैं उसे राष्ट्रों पर अधिकार प्रदान करूँगा. 27 वह उन पर लोहे के राजदण्ड से शासन करेगा और वे मिट्टी के पात्रों के समान चकनाचूर हो जाएँगे ठीक जैसे मुझे यह अधिकार अपने पिता से मिला है. 28 मैं उसे भोर के तारे से सुशोभित करूँगा. 29 जिसके कान हों, वह सुन ले कि कलीसियाओं से पवित्रात्मा का कहना क्या है.”
27 “धिक्कार है तुम पर पाखण्डी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! तुम क़ब्रों के समान हो, जो बाहर से तो सजायी-सँवारी जाती हैं किन्तु भीतर मरे हुए व्यक्ति की हड्डियाँ तथा सब प्रकार की गंदगी भरी होती है. 28 तुम भी बाहर से तो मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो किन्तु तुम्हारे अंदर कपट तथा अधर्म भरा हुआ है.
29 “धिक्कार है तुम पर पाखण्डी, फ़रीसियो, शास्त्रियो! तुम भविष्यद्वक्ताओं की क़ब्रें सँवारते हो तथा धर्मी व्यक्तियों के स्मारक को सजाते हो और कहते हो 30 ‘यदि हम अपने पूर्वजों के समय में होते, हम इन भविष्यद्वक्ताओं की हत्या के साझी न होते.’ 31 यह कह कर तुम स्वयं अपने ही विरुद्ध गवाही देते हो कि तुम उनकी सन्तान हो जिन्होंने भविष्यद्वक्ताओं की हत्या की थी. 32 ठीक है! भरते जाओ अपने पूर्वजों के पापों का घड़ा.”
उनके अपराध तथा आनेवाला दण्ड
33 “अरे सांपो! विषधर की सन्तान! कैसे बचोगे तुम नर्क-दण्ड से? 34 इसलिए मेरा कहना सुनो: मैं तुम्हारे पास भविष्यद्वक्ता, ज्ञानी और पवित्रशास्त्र के शिक्षक भेज रहा हूँ. उनमें से कुछ की तो तुम हत्या करोगे, कुछ को तुम क्रूस पर चढ़ाओगे तथा कुछ को तुम यहूदी-सभागृह में कोड़े लगाओगे और नगर-नगर यातनाएँ दोगे 35 कि तुम पर सभी धर्मी व्यक्तियों के पृथ्वी पर बहाए लहू का दोष आ पड़े—धर्मी हाबिल के लहू से ले कर बैरेखाया के पुत्र ज़कर्याह के लहू तक का, जिसका वध तुमने मन्दिर और वेदी के बीच किया. 36 सच तो यह है कि इन सबका दण्ड इसी पीढ़ी पर आ पड़ेगा.”
येशु का येरूशालेम नगर पर विलाप
37 “येरूशालेम! ओ येरूशालेम! तू भविष्यद्वक्ताओं की हत्या करता तथा उनका पथराव करता है, जिन्हें तेरे लिए भेजा जाता है. कितनी बार मैंने यह प्रयास किया कि तेरी सन्तान को इकट्ठा कर एकजुट करूँ, जैसे मुर्गी अपने चूज़ों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठा करती है किन्तु तूने न चाहा. 38 इसलिए अब यह समझ ले कि तेरा घर तेरे लिए उजाड़ छोड़ा जा रहा है. 39 मैं तुझे बताए देता हूँ कि इसके बाद तू मुझे तब तक नहीं देखेगा जब तक तू यह नारा न लगाए.
“धन्य है वह, जो प्रभु के नाम में आ रहा है!”
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