Book of Common Prayer
13 यदि तुम में भलाई की धुन है तो तुम्हें हानि कौन पहुंचाएगा? 14 परन्तु यदि तुम वास्तव में धार्मिकता के कारण कष्ट सहते हो, तो तुम आशीषित हो. उनकी धमकियों से न तो डरो और न घबराओ. 15 मसीह को अपने हृदय में प्रभु के रूप में बसा लो. तुम्हारे अन्दर बसी हुई आशा के प्रति जिज्ञासु हर एक व्यक्ति को उत्तर देने के लिए हमेशा तैयार रहो 16 किन्तु विनम्रता और सम्मान के साथ. अपना विवेक शुद्ध रखो कि जिन विषयों में वे, जो मसीह में तुम्हारे उत्तम स्वभाव की निन्दा करते हैं, लज्जित हों. 17 भलाई के कामों के लिए दुःख सहना अच्छा है—यदि यही परमेश्वर की इच्छा है—इसकी बजाय कि बुराई के लिए दुःख सहा जाए.
18 मसीह ने भी पापों के लिए एक ही बार प्राणों को दे दिया—एक धर्मी ने सभी अधर्मियों के लिए—कि वह तुम्हें परमेश्वर तक ले जाएँ. उनकी शारीरिक मृत्यु तो हुई किन्तु परमेश्वर की आत्मा के द्वारा वह जीवित किए गए. 19 उन्होंने आत्मा ही में जाकर कैदी आत्माओं के सामने प्रचार किया. 20 ये उस युग की आज्ञा न मानने वाली आत्माएँ थीं, जब नोहा द्वारा जलयान निर्माण के समय परमेश्वर धीरज के साथ प्रतीक्षा करते रहे थे. उस जलयान में केवल कुछ ही व्यक्ति—कुल आठ—प्रलयकारी जल से सुरक्षित रखे गए थे. 21 उसके अनुसार जलयान में उनका प्रवेश बपतिस्मा का दृष्टान्त है, जो अब तुम्हें भी सुरक्षित रखता है. बपतिस्मा का अर्थ शरीर की मलिनता से स्वच्छ करना नहीं परन्तु मसीह येशु के पुनरुत्थान के द्वारा परमेश्वर के प्रति शुद्ध विवेक से प्रतिज्ञा है. 22 मसीह येशु स्वर्ग में जाकर परमेश्वर की दायीं ओर बैठ गए और सारे स्वर्गदूतों, अधिकारियों तथा शक्तियों को उनके अधीन कर दिया गया.
4 इसलिए कि मसीह ने शरीर में दुःख सहा, तुम स्वयं भी वैसी ही मनसा धारण कर लो, क्योंकि जिस किसी ने शरीर में दुःख सहा है, उसने पाप को त्याग दिया है. 2 इसलिए अब से तुम्हारा शेष शारीरिक जीवन मानवीय लालसाओं को पूरा करने में नहीं परन्तु परमेश्वर की इच्छा के नियन्त्रण में व्यतीत हो. 3 काफ़ी था वह समय, जो तुम अन्यजातियों के समान इन लालसाओं को पूरा करने में बिता चुके: कामुकता, वासना, मद्यव्यसन, मद्यपान उत्सव, रंगरेलियाँ तथा घृणित मूर्तिपूजन. 4 अब वे अचम्भा करते हैं कि तुम उसी व्यभिचारिता की अधिकता में उनका साथ नहीं दे रहे इसलिए अब वे तुम्हारी बुराई कर रहे हैं. 5 अपने कामों का लेखा वे उन्हें देंगे, जो जीवितों और मरे हुओं के न्याय के लिए तैयार हैं. 6 इसी उद्धेश्य से ईश्वरीय सुसमाचार उन्हें भी सुनाया जा चुका है, जो अब मरे हुए हैं कि वे मनुष्यों के न्याय के अनुसार शरीर में तो दण्डित किए जाएँ किन्तु अपनी आत्मा में परमेश्वर की इच्छानुसार जीवित रह सकें.
दुःखभोग और क्रूस की मृत्यु की तीसरी भविष्यवाणी
(मारक 10:32-34; लूकॉ 18:31-34)
17 जब येशु येरूशालेम नगर जाने पर थे, उन्होंने मात्र अपने बारह शिष्यों को अपने साथ लिया. मार्ग में येशु ने उनसे कहा, 18 “यह समझ लो कि हम येरूशालेम नगर जा रहे हैं, जहाँ मनुष्य के पुत्र को पकड़वाया जाएगा, प्रधान याजकों तथा शास्त्रियों के हाथों में सौंप दिया जाएगा और वे उसे मृत्युदण्ड के योग्य घोषित करेंगे. 19 इसके लिए मनुष्य के पुत्र को अन्यजातियों के हाथों में सौंप दिया जाएगा कि वे उसका ठठ्ठा करें, उसे कोड़े लगवाएं और उसे क्रूस पर चढ़ाएं किन्तु वह तीसरे दिन मरे हुओं में से जीवित किया जाएगा.”
ज़ेबेदियॉस की पत्नी की विनती
20 ज़ेबेदियॉस की पत्नी अपने पुत्रों के साथ येशु के पास आईं तथा येशु के सामने झुक कर उनसे एक विनती करनी चाही.
21 येशु ने उनसे पूछा, “आप क्या चाहती हैं?”
उन्होंने येशु को उत्तर दिया, “यह आज्ञा दे दीजिए कि आपके राज्य में मेरे ये दोनों पुत्र, एक आपके दायें तथा दूसरा आपके बायें बैठे.”
22 येशु ने दोनों भाइयों से उन्मुख हो कहा, “तुम समझ नहीं रहे कि तुम क्या माँग रहे हो! क्या तुममें उस प्याले को पीने की क्षमता है, जिसे मैं पीने पर हूँ?” “हाँ, प्रभु,” उन्होंने उत्तर दिया.
23 इस पर येशु ने उनसे कहा, “सचमुच मेरा प्याला तो तुम पियोगे किन्तु किसी को अपने दायें या बायें बैठाना मेरा अधिकार नहीं है. यह उनके लिए है, जिनके लिए यह मेरे पिता द्वारा तैयार किया गया है.”
अगुवा सेवक बने
(मारक 10:35-45)
24 यह सुन शेष दस शिष्य इन दोनों भाइयों पर क्रोधित हो गए; 25 किन्तु येशु ने उन सभी को अपने पास बुला कर उनसे कहा, “तुम यह तो जानते ही हो कि अन्यजातियों के राजा अपने आधीन रहनेवालों का शोषण करते तथा उनके हाकिम उन पर अपना अधिकार जताते हैं. 26 तुममें ऐसा नहीं है, तुममें जो महान बनने की इच्छा रखता है, वह तुम्हारा सेवक बने 27 तथा तुममें जो कोई श्रेष्ठ होना चाहता है, वह तुम्हारा दास हो. 28 ठीक जैसे मनुष्य का पुत्र यहाँ इसलिए नहीं आया कि अपनी सेवा करवाए परन्तु इसलिए कि सेवा करे और अनेकों की छुडौती के लिए अपना जीवन बलिदान कर दे.”
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