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Book of Common Prayer

Daily Old and New Testament readings based on the Book of Common Prayer.
Duration: 861 days
Saral Hindi Bible (SHB)
Version
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1 पेतरॉस 1:13-25

प्रभु के लिए अलग किए जाने की बुलाहट

13 इसलिए मानसिक रूप से कमर कस लो, सचेत रहो और अपनी आशा पूरी तरह उस अनुग्रह पर केन्द्रित करो, जो मसीह येशु के प्रकट होने पर तुम्हें प्रदान किया जाएगा. 14 परमेश्वर की आज्ञाकारी सन्तान होने के कारण उन अभिलाषाओं को तृप्त न करो, तुम पहले अज्ञानतावश जिनके अधीन थे. 15 अपने पवित्र बुलानेवाले के समान तुम स्वयं अपने सारे स्वभाव में पवित्र हो जाओ 16 क्योंकि लिखा है: चाहने योग्य है तुम्हारा पवित्र होना, क्योंकि मैं पवित्र हूँ.

17 यदि तुम उन्हें पिता कहते हो, जो मनुष्यों के कामों के आधार पर बिना पक्षपात के निर्णय करते हैं तो तुम पृथ्वी पर अपने रहने का समय उन्हीं के भय में बिताओ, 18 इस अहसास के साथ कि पूर्वजों से चली आ रही तुम्हारे निकम्मे चाल-चलन से तुम्हारी छुटकारा नाशमान सोने-चांदी के द्वारा नहीं, 19 परन्तु मसीह के बहुमूल्य लहू से हुआ है—निर्दोष और निष्कलंक मेमने के लहू से. 20 यद्यपि वह सृष्टि के पहले से ही चुने हुए थे किन्तु इन अन्तिम दिनों में तुम्हारे लिए प्रकट हुए हैं. 21 तुम, जो प्रभु द्वारा परमेश्वर में विश्वास करते हो, जिन्होंने उन्हें मरे हुओं में से जीवित कर महिमित किया, जिसके परिणामस्वरूप तुम्हारा विश्वास और आशा परमेश्वर में है.

22 इसलिए कि तुमने उस सच्चाई की आज्ञा मानने के द्वारा अपनी आत्मा को निश्छल भाईचारे के लिए पवित्र कर लिया है, अब तुम में आपस में उत्तम हार्दिक प्रेम ही देखा जाए. 23 तुम्हारा नया जन्म नाशमान नहीं परन्तु अनन्त जीवन तत्व अर्थात् परमेश्वर के जीवित और सदा ठहरने वाले वचन के द्वारा हुआ है 24 क्योंकि

सभी मनुष्य घास के समान
    तथा उनकी शोभा जंगली फ़ूलों के समान है;
घास मुरझा जाती तथा फ़ूल झड़ जाता है;
25     परन्तु प्रभु का वचन युगानुयुग बना रहता है

यही है वह वचन, जो तुम्हें सुनाया गया था.

मत्तियाह 19:13-22

येशु तथा बालक

(मारक 10:13-16; लूकॉ 18:15-17)

13 कुछ लोग बालकों को येशु के पास लाए कि येशु उन पर हाथ रख कर उनके लिए प्रार्थना करें, मगर शिष्यों ने उन लोगों को डाँटा.

14 यह सुन येशु ने उनसे कहा, “बालकों को यहाँ आने दो, उन्हें मेरे पास आने से मत रोको क्योंकि स्वर्ग-राज्य ऐसों का ही है”. 15 यह कहते हुए येशु ने बालकों पर हाथ रखे. इसके बाद येशु वहाँ से आगे चले गए.

अनन्त जीवन का अभिलाषी धनी युवक

(मारक 10:17-31; लूकॉ 18:18-30)

16 एक व्यक्ति ने आ कर येशु से प्रश्न किया, “गुरुवर, अनन्त काल का जीवन प्राप्त करने के लिए मैं कौन सा अच्छा काम करूँ?” येशु ने उसे उत्तर दिया.

17 “तुम मुझसे क्यों पूछते हो कि अच्छा क्या है? उत्तम तो मात्र एक ही हैं. परन्तु यदि तुम जीवन में प्रवेश की कामना करते ही हो तो आदेशों का पालन करो.”

18 “कौन से?” उसने येशु से प्रश्न किया.

उन्होंने उसे उत्तर दिया, “हत्या मत करो; व्यभिचार मत करो; चोरी मत करो; झूठी गवाही मत दो; 19 अपने माता-पिता का सम्मान करो तथा तुम अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम करो जैसे तुम स्वयं से करते हो.”

20 उस युवक ने येशु को उत्तर दिया, “मैं तो इनका पालन करता रहा हूँ; तब अब भी क्या कमी है मुझ में?”

21 येशु ने उसे उत्तर दिया, “यदि तुम सिद्ध बनना चाहते हो तो अपनी सम्पत्ति को बेच कर उस राशि को निर्धनों में वितरित कर दो और आओ, मेरे पीछे हो लो—धन तुम्हें स्वर्ग में प्राप्त होगा.”

22 यह सुन कर वह युवक दुःखित हो लौट गया क्योंकि वह बहुत धन का स्वामी था.

Saral Hindi Bible (SHB)

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